बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे. पिछले 7 दशकों में हुए चुनाव से इस बार चुनावी प्रक्रिया काफी नई और अलग रही. कोरोना संकट के बीच बिहार पहला राज्य है, जहां विधानसभा के चुनाव हुए.
243 विधानसभा सीटों में अररिया जिले के रानीगंज विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पिछले चुनाव से पहले हैट्रिक जमा चुकी है. हालांकि 2015 के चुनाव में इस सीट से जेडीयू ने बाजी मारी थी, लेकिन इस बार जेडीयू-बीजेपी साथ मैदान में हैं. ऐसे में इस सीट पर रोमांचक लड़ाई देखने को मिल सकती है. इस बार यहां 58.6% वोटिंग हुई है.
इन उम्मीदवारों पर रहेगी नजर
1- अचमित ऋषिदेव (JDU)
2- अविनाश मंगलम ऋषिदेव (RJD)
सीट का इतिहास
रानीगंज सीट पर अब तक 15 बार चुनाव हुए है. पहली बार चुनाव 1957 में हुआ था, तब इस सीट से कांग्रेस पार्टी के राम नारायण मंडल ने जीत दर्ज की थी. पिछले 15 चुनाव की बात की जाए तो 5 बार कांग्रेस, 3 बार बीजेपी, 2 बार जनता दल, 2 बार निर्दलीय, एक-एक बार जनता पार्टी, आरजेडी और जेडीयू ने जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की है. यह सीट 1962 के बाद से आरक्षित (SC) है.
2015 में क्या था समीकरण
2015 विधानसभा चुनाव में रानीगंज से जेडीयू के अचमित ऋषिदेव जीते थे. उन्होंने बीजेपी के रामजी दास ऋषिदेव को पटखनी दी थी. अचमित ऋषिदेव को 77717, जबकि रामजी दास ऋषिदेव को 62787 वोट मिले थे. 2015 के चुनाव में बीजेपी और जेडीयू अलग-अलग मैदान में उतरे थे, लेकिन इस बार साथ हैं. वहीं, आरजेडी इस सीट पर साल 2000 में जीती थी, जबकि कांग्रेस के खाते में ये सीट 1985 के बाद से नहीं आई है.
पिछड़ा क्षेत्र माना जाता है
रानीगंज विधानसभा सीट अररिया जिले में है, जो पिछड़ा क्षेत्र माना जाता है. 2011 की जनगणना के अनुसार, अररिया जिले की लगभग आबादी 28,11,569 है, जबकि रानीगंज विधानसभा सीट की आबादी करीब 482592 है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करती है. इस जिला का मुख्य कृषि उत्पादन धान, मक्का और जूट हैं. 2006 में भारत सरकार ने अररिया जिला को देश के 250 सबसे पिछड़े जिलों में से एक नाम दिया था.