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Muzaffarpur: लाइसेंस धारी शराब दुकानदारों का दर्द, 'अब भी बिक रही अवैध शराब, भूखे मर रहे हम'

बिहार सरकार ने 5 अप्रैल 2016 से राज्य में पूर्ण शराब बंदी लागू कर दी थी. इसके बाद से बिहार में शराब की खरीद-बिक्री और शराब का सेवन गैर कानूनी हो गया. शराबबंदी तो लागू हो गई लेकिन जो सरकारी लाइसेंस धारी शराब दुकानदार थे उनके पास कोई रोजगार नहीं बचा.

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बिहार में सरकारी लाइसेंस धारी शराब दुकानदारों के रोजी-रोटी का संकट (फोटो आजतक)
बिहार में सरकारी लाइसेंस धारी शराब दुकानदारों के रोजी-रोटी का संकट (फोटो आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार में 2016 से पूर्ण शराब बंदी लागू
  • लाइसेंस धारी शराब दुकानदार परेशान
  • दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट

बिहार सरकार ने 5 अप्रैल 2016 से राज्य में पूर्ण शराब बंदी लागू कर दी थी. इसके बाद से बिहार में शराब की खरीद-बिक्री और शराब का सेवन गैर कानूनी हो गया. शराबबंदी तो लागू हो गई लेकिन जो सरकारी लाइसेंस धारी शराब दुकानदार थे उनके पास कोई रोजगार नहीं बचा. शराब दुकान की आमदनी से ही उनका घर चलता था. शराब की दुकान पर उन्होंने डिटिजट सेवा सर्विस सेंटर खोला, लेकिन वह भी नहीं चला. उनकी हालत बहुत दयनीय हो गई है.

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मुजफ्फरपुर के सरकारी लाइसेंस धारी शराब दुकानदार विनोद प्रसाद बताते हैं कि हमारी 11 साल पुरानी दुकान थी. हम लोगों की स्थिति काफी खराब हो गई है. शराबबंदी होने के बाद हम लोग भूखे मर रहे हैं. सरकार ने जो भी हम लोगों के लिए कहा था कुछ पूरा नहीं किया. अब कोई चारा नहीं है. 

घर-परिवार चलाना मुश्किल हुआ 

विनोद बताते हैं कि हम लोगों को घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. चाय की दुकान जैसे तैसे चलती है. सरकार की इस नीति का बहुत बुरा असर पड़ा. हम लोगों की दुकान बंद हो गई. अवैध शराब बिक रही है हर जगह गली गली चौक चौराहे पर और हम लोग भूखे मर रहे हैं.

गली-गली बिक रही अवैध शराब  

वहीं दूसरे दुकानदार विक्रम सिंह ने बताया कि उनकी 40 साल से शराब की दुकान थी. अच्छी आमदनी होती थी. उसी आमदनी पर पूरा परिवार चलता था. अचानक सरकार ने बंद कर दी. जिससे ओने पाने दामों पर हमें शराब को बेचना पड़ा. सरकार ने जो वादा किया था उसमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया. इसके बाद डिजिटल सेवा केंद्र खोला लेकिन इसमें भी सरकार ने जितनी बातें कहीं पर किया कुछ नहीं.

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