scorecardresearch
 

बिहार चुनाव 2020: कैसे राज्य में 'एक' और 'एक' मिलकर होते रहे हैं 'ग्यारह'

28अक्टूबर को दक्षिणी भोजपुर, पाटलिपुत्र-मगध और कोसी क्षेत्रों में वोटिंग होगी. 2015 विधानसभा चुनाव जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने महागठबंधन बना कर लड़ा था और 71सीटों में से 54 सीटों पर जीत हासिल की.

Advertisement
X
क्या एनडीए पहले चरण में करेगा स्वीप (फाइल फोटो)
क्या एनडीए पहले चरण में करेगा स्वीप (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पहले चरण में 71 सीटों के लिए होगा मतदान
  • जेडीयू जिस गठबंधन में पलड़ा उसी का भारी
  • जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी का वोट शेयर बराबर

बिहार में बुधवार को पहले चरण की 71 सीटों के लिए मतदान होना है. पिछले चुनावों का इतिहास बताता है कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू जिस गठबंधन में भी शामिल रहा, वो यहां मजबूत रहा. इसका सीधा गणित है कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी का लगभग बराबर वोट शेयर रहा है. ऐसे में इनमें से जिन भी दो पार्टियों ने हाथ मिलाया, बाजी उस गठबंधन के हाथ लगी. 

Advertisement

28 अक्टूबर को दक्षिणी भोजपुर, पाटलिपुत्र-मगध और कोसी क्षेत्रों में वोटिंग होगी. 2015 विधानसभा चुनाव जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने महागठबंधन बना कर लड़ा था और 71 सीटों में से 54 सीटों पर जीत हासिल की. एनडीए को यहां सिर्फ 14 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था. 

अगर 2010 विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो जेडीयू ने एनडीए के घटक के तौर पर बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. तब जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को 71 में से 61 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. आरजेडी-एलजेपी गठबंधन के खाते में सिर्फ 6 सीट आई थीं. कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर कामयाबी मिली थी.

पिछले दो विधानसभा चुनावों में इन 71 सीटों में किस पार्टी को कितनी सीटें मिलीं

इस लिहाज से  देखा जाए तो मौजूदा एनडीए को विपक्षी गठबंधन पर बढ़त होनी चाहिए. संयोग से, 2015 विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो बीजेपी को उस चुनाव में 2010 विधानसभा चुनाव की तुलना में 8 प्रतिशत वोट का लाभ हुआ था, संयोग से जेडीयू को इतने ही वोट शेयर का नुकसान हुआ था. इसकी वजह यह भी हो सकती है कि उन्होंने कितनी सीटों पर चुनाव लड़ा था?

Advertisement

“बिहार चुनाव पर आजतक पेश करता है एक ख़ास गाना...सुनें और डाउनलोड करें” 

2015 में बीजेपी ने 71 सीटों में से 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था. ये सीटें बीजेपी ने 2010 में जितनी सीटों पर चुनाव लड़ा था उससे 13 ज्यादा थीं. वहीं जेडीयू ने 2015 में 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था जो उससे पिछले चुनाव से 15 सीटें कम थीं.  

71सीटों के लिए पार्टी-वार वोट शेयर (प्रतिशत में)

क्या एनडीए करेगा पहले चरण में स्वीप? 

2010 और 2015, दोनों चुनावों में, गठबंधन में बदलाव के बावजूद, जेडीयू इन 71सीटों में से 30-30 सीटें जीतने में कामयाब रहा. जबकि बीजेपी और आरजेडी को क्रमश: पांच और तीन सीटें ही बरकरार रख पाई. कांग्रेस और एलजेपी केवल एक-एक सीट ही बचा सकीं. बाकी 31स्विंग सीटें थीं, जहां कोई भी पार्टी एक ही निर्वाचन क्षेत्र में दोबारा जीतने में कामयाब नहीं हो सकी. 

जिन सीटों पर पार्टियों ने चुनाव लड़ा, वहां उनका वोट शेयर (प्रतिशत में) 
जिन सीटों पर पार्टियों ने चुनाव लड़ा, वहां उनका वोट शेयर (प्रतिशत में) 

हालांकि यह सब ऐसा संकेत देता है कि एनडीए पहले चरण में मजबूत स्थिति में है, लेकिन हकीकत में ये इतना आसान नहीं है. 

देखें: आजतक LIVE TV

बीजेपी 2000 के बाद से इन सीटों पर अपने प्रदर्शन में सुधार कर रही है, और 2015 में इसने 37प्रतिशत उच्चतम वोट शेयर हासिल किया. हालांकि, वोट शेयर में वृद्धि के बावजूद, बीजेपी उस चुनाव में सिर्फ 13सीटें जीतने में कामयाब रही. ये सीट 2010 की तुलना में बहुत कम थी. बीजेपी का स्ट्राइक रेट (चुनाव लड़ी गई सीटों में से जीती गईं सीटें) भी 80 फीसदी से घटकर 30 फीसदी पर आ गई. 

Advertisement

2015 में बीजेपी के मुकाबले जेडीयू को सिर्फ एक फीसदी वोट ज्यादा मिले. इसका स्ट्राइक रेट 90 फीसदी से घटकर 60फीसदी आ गया. 2010 और 2015 में अलग अलग गठबंधन के बावजूद जेडीयू का वोट शेयर दोनों चुनाव में 38 प्रतिशत पर टिका रहा. 

यहां जो चौंकाने वाली बात है वो ये है कि आरजेडी और कांग्रेस के वोट शेयर में 2015 में भारी इजाफा हुआ. दोनों को जेडीयू के साथ गठबंधन का फायदा हुआ. आरजेडी को 2010 में 27 प्रतिशत वोट शेयर मिला था जो 2015 में बढ़कर 44 प्रतिशत हो गया. इसी तरह कांग्रेस का वोट शेयर 7 प्रतिशत से बढ़कर 71 फीसदी हो गया. सीटों की बात की जाए तो आरजेडी को 2010 में इन 71 सीटों में से सिर्फ 5 पर जीत मिली थी, जो 2015 में बढ़कर 27 हो गईं. 

2000 में, 34प्रतिशत के वोट शेयर के साथ, आरजेडी ने 61में से 29सीटें जीती थीं (जो कि तीसरे और चौथे परिसीमन में भी वही रहीं). फरवरी 2005 में पार्टी का सीट शेयर 21से नीचे आ गया. यह इस बात को दर्शाता है कि अगर आरजेडी 30 प्रतिशत वोट शेयर की सीमा पार कर लेता है तो त्रिकोणीय या बहु-ध्रुवीय मुकाबला होने की स्थिति में ये खासी सीटों पर जीत हासिल करने की क्षमता रखता है. 

Advertisement

तो इस बार क्या हो सकता है?

कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा है कि यह चुनाव भी एलजेपी और कई अन्य मोर्चों की उपस्थिति के कारण बहु-ध्रुवीय हो सकता है. ऐसे में बीजेपी और जेडीयू साथ होने के बावजूद कड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं. 

 

Advertisement
Advertisement