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सीवान: गोरेयाकोठी विधानसभा में RJD के सामने किला बचाने की चुनौती

साल 1995 से रामायण चौधरी राजद के सक्रिय कार्यकर्ता हैं. पहली बार 2001 में पंचायत समिति के चुनाव में जीत हासिल की.

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रामायण चौधरी राजद के प्रबल दावेदार हैं
रामायण चौधरी राजद के प्रबल दावेदार हैं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गोरेयाकोठी सीट पर राजद का अभी है कब्जा
  • राजद के वर्तमान विधायक के खिलाफ माहौल
  • राजद की ओर से रामायण चौधरी प्रबल दावेदार

साल 2018 में बिहार के सीवान जिले में को-ऑपरेटिव का चुनाव हुआ था. आमतौर पर खामोशी से हो जाने वाला ये चुनाव मीडिया में काफी चर्चित रहा. दरअसल, इस चुनाव में सीवान भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज सिंह को शिकस्त मिल गई थी. ये शिकस्त किसी और ने नहीं बल्कि राजद समर्थित रामायण चौधरी ने दी थी. अब यही रामायण चौधरी सीवान के गोरेयाकोठी विधानसभा में विरोधियों की टेंशन बढ़ा रहे हैं. दरअसल, सीवान के चर्चित विधानसभा क्षेत्र गोरेयाकोठी में रामायण चौधरी राजद के प्रबल दावेदार बनकर उभरे हैं. दिलचस्प बात ये है कि विधानसभा चुनाव में भी रामायण चौधरी की टक्कर मनोज सिंह से ही होने की उम्मीद दिख रही है. हालांकि, ये मनोज सिंह बीजेपी के ही एक अन्य नेता हैं.

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कौन है रामायण चौधरी

स्थानीय पत्रकार कुमार राहुल बताते हैं कि साल 1995 से रामायण चौधरी राजद के सक्रिय कार्यकर्ता हैं. पहली बार 2001 में पंचायत समिति के चुनाव में जीत हासिल की. रामायण चौधरी लगातार तीन बार निर्विरोध पैक्स अध्यक्ष भी रह चुके हैं.  ऐसा माना जा रहा है कि गोरेयाकोठी में राजद विधायक सत्यदेव प्रसाद सिंह के खिलाफ बने माहौल का फायदा रामायण चौधरी को मिल सकता है. स्थानीय पत्रकार कुमार राहुल के मुताबिक राजद के सामने गोरेयाकोठी विधानसभा को बचाने की चुनौती है. दरअसल, इस सीट के वर्तमान राजद विधायक सत्यदेव सिंह के खिलाफ जबरदस्त माहौल है. क्षेत्र में उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में यह संभव है कि राजद अपने उम्मीदवार को बदल दे. अगर ऐसा होता है तो राजद का टिकट रामायण चौधरी को मिलना तय है.

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माई समीकरण पर सटीक

रामायण चौधरी की बड़ी बात ये है कि वो राजद के मुस्लिम और यादव यानी माई समीकरण पर सटीक बैठ रहे हैं. आपको बता दें कि गोरेयाकोठी में यादव और मुसलमान वोटर टर्निंग प्वाइंट साबित होते रहे हैं. अब तक के पैटर्न में ये वोट बैंक एकमुश्त राजद के खाते में जाते रहे हैं.  इसके अलावा रामायण चौधरी सीवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन परिवार के भी करीबी माने जाते हैं. कहा जाता है कि 2018 के को-ऑपरेटिव चुनाव में रामायण चौधरी ने शहाबुद्दीन के इशारे पर ही मनोज सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था. इसका नतीजा ये हुआ कि उन्हें चुनाव में जीत मिली.

लालू परिवार के भी करीबी

ऐसा माना जाता है कि रामायण चौधरी लालू परिवार के बेहद करीबी हैं. राजद के प्रति रामायण चौधरी की निष्ठा भी उनके लिए मजबूत फैक्टर है.  इसके अलावा सवर्ण वोटर्स के बीच भी रामायण चौधरी काफी लोकप्रिय हैं. कोरोना काल में अपनी सक्रियता की वजह से रामायण चौधरी लगातार सुर्खियों में हैं.

इसके अलावा गोरेयाकोठी में युवा प्रत्याशी विवेक कुमार वर्मा ने भी दावेदारी पेश की है. वहीं, राजद के युवा नेता विपिन कुशवाहा भी चुनाव प्रचार में जुटे हैं.  एनडीए की ओर से देवेशकांत सिंह और मनोज कुमार सिंह के बीच दावेदारी के लिए जंग हो रही है. गोरेयाकोठी से बीजेपी के एक अन्य दावेदार अरविंद सिंह भी हैं. अरविंद सिंह राजपूत समाज में काफी चर्चित हैं.  यह पहली बार है जब अरविंद सिंह के तौर पर देवेशकांत सिंह परिवार को बीजेपी में टक्कर मिल रही है.

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साल 2015 के नतीजे

साल 2015 के विधानसभा चुनाव में गोरेयाकोठी से राजद के उम्मीदवार सत्यदेव प्रसाद सिंह को जीत मिली थी. इस सीट पर सत्यदेव प्रसाद को 70 हजार से ज्यादा वोट मिले. वहीं, दूसरे स्थान पर बीजेपी के देवेशकांत सिंह थे. देवेशकांत सिंह को करीब 63 हजार वोट मिले थे. इसके अलावा तीसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन राम और चौथे स्थान पर रेणू यादव थीं.

 

 

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