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गठजोड़ बदल गए हैं, छोटे पार्टनर्स को अलग छोड़ दिया गया है, जिससे वो आगबबूला हैं. वहीं, हैवीवेट माने जाने वाले खुशी-खुशी पाले बदल रहे हैं. बिहार चुनाव में इस साल दिलचस्प मुकाबलों के आसार हैं, खासकर उन सीटों पर जहां पिछले चुनाव में जीत का अंतर बहुत कम रहा था.
71 सीटों के लिए 28 अक्टूबर को पहले चरण का चुनाव होगा. इनमें से 12 सीटों पर (जिनमें तीन पर कैबिनेट मंत्रियों की नुमाइंदगी थी) 2015 में जीत का अंतर 5,000 वोटों से कम था, जब जेडी(यू) महागठबंधन का हिस्सा था. इनमें से तीन सीटों पर जीत का अंतर 1,000 से कम था.
इन 12 सीटों में से तीन पर बीजेपी और 8 पर महागठबंधन ने जीत दर्ज की, जिसमें 2 सीट जेडी(यू) के खाते में गईं. आरजेडी ने 4 और कांग्रेस ने 2 सीट हासिल कीं. एक सीट पर सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने जीत हासिल की. सीपीआई (एमएल) लिबरेशन 2015 में महागठबंधन का हिस्सा नहीं था, लेकिन इस बार है. नीतीश इस बार बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, सभी की निगाहें इन सीटों पर हैं जो किंगमेकर बन सकती हैं.
2015 में, इन 12 सीटों में, बीजेपी और जेडी(यू) की 2 सीटों- दीनारा और जमालपुर में आमने-सामने की लड़ाई थी. नीतीश ने जुलाई 2017 में महागठबंधन का साथ छोड़ दोबारा एनडीए का दामन थाम लिया. इस बार, बीजेपी इनमें से आठ सीटों पर चुनाव लड़ रही है, बाकी 4 को JDU के लिए छोड़ा है.
दिनारा से निवर्तमान विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जय कुमार सिंह, बांका से भूमि राजस्व मंत्री राम नारायण मंडल और चैनपुर से खदान और भूविज्ञान मंत्री बृज किशोर बिंद ऐसे उम्मीदवार थे जो 12 सीटों पर सबसे कम अंतर से जीते थे. इनमें मंडल और बिंद बीजेपी से हैं.
तेजस्वी यादव की बड़ी चुनौती 2015 में छोटे अंतर से जीती RJD की चार सीटों- आरा, डेहरी, मुंगेर और रजौली को अपने पास बनाए रखना होगा. महागठबंधन ने हाल ही में जीतन राम माझी को अपने से निकलकर NDA से हाथ मिलाते देखा. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा ने अपना गठबंधन बनाया. लेकिन महागठबंधन को कई लेफ्ट संगठनों का साथ मिला है.
2015 में, तरारी में सबसे कम जीत का अंतर दर्ज किया गया था, जहां सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के सुदामा प्रसाद ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की गीता पांडे को केवल 272 वोटों से हराया था. इस बार पार्टी पहले चरण में सात सीटों पर चुनाव लड़ रही है. दूसरा सबसे कम अंतर आरा में दर्ज किया गया, जहां आरजेडी के मोहम्मद नवाज आलम ने बीजेपी के अमरेन्द्र प्रताप सिंह को कांटे के मुकाबले में सिर्फ 666 मतों से हराया.
तीसरा जीत का सबसे कम अंतर चैनपुर से बीजेपी के बृज किशोर बिंद के लिए था. बिंद ने बीएसपी के मोहम्मद जमा खान को 671 मतों से हराया. जेडी(यू) के जय कुमार सिंह ने दिनारा से बीजेपी के राजेंद्र प्रसाद सिंह को मात्र 2,691 मतों के अंतर से हराया. 2015 में, राजेंद्र सिंह को बिहार में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों में से एक के रूप में प्रोजेक्ट किया गया था. इस बार चुनाव से ठीक पहले वह एलजेपी में शामिल हुए हैं.
असल में, इस बार कई मजबूत नेताओं ने तमाम राजनीतिक लाइन्स से निकलकर एलजेपी का दामन थामा है. इससे नजदीकी मुकाबलों वाली सीटें और अप्रत्याशित हो गई हैं.
2015 में, आरजेडी-जेडी(यू)-कांग्रेस गठबंधन ने पहले चरण के मतदान वाली 71 सीटों में से 54 सीटें जीती थीं. NDA को सिर्फ 15 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी. इस बार महागठबंधन 70 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है. जिसमें RJD 42, कांग्रेस 21 और सीपीआई (एमएल) 07 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, बीजेपी और जेडी(यू) मिलकर इस चरण की 64 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं.