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बिहार: दूसरे चरण के चुनाव में 46 सीटों पर BJP प्रत्याशी, प्रचार में उतरे 45 सांसद

हर सीट के लिए खास रणनीति के साथ देश भर से 45 सांसदों को कैम्पेन की कमान सौंपी गई है. इनमें केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, मध्य प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राकेश सिंह और दक्षिण दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी शामिल हैं.

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बिहार विधानसभा चुनाव-2020
बिहार विधानसभा चुनाव-2020
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दूसरे चरण में 91 सीटों के लिए वोटिंग होनी है
  • बीजेपी ने दूसरे राउंड के लिए पूरी ताकत झोंक दी है
  • बीजेपी ने बूथ लेवल पर ‘सप्तऋषि कमेटियां’ बनाई हैं

बिहार में पहले चरण का मतदान निपटने के बाद अब सबकी नजरें 3 नवंबर को राउंड 2 पर है. इस राउंड में 94 सीटों के लिए वोटिंग होनी है. बीजेपी ने दूसरे राउंड के लिए 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी ने दूसरे राउंड के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.  

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46 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार, कैम्पेन के लिए 45 सांसद 

हर सीट के लिए खास रणनीति के साथ देश भर से 45 सांसदों को कैम्पेन की कमान सौंपी गई है. इनमें केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, मध्य प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राकेश सिंह और दक्षिण दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी शामिल हैं.  

इन सभी बीजेपी सांसदों को बिहार में अलग-अलग ज़िलों और विधानसभा सीटों की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है. इनका काम मंडल स्तर पर बूथ लेवल पर पार्टी कार्यकर्ताओं में समन्वय स्थापित करना है.

यें सभी सांसद ‘सप्तऋषि  कमेटियों की बैठकें कर रहे हैं. सभी सांसद बैठक में इस बात पर ज़ोर दें रहें हैं कि सभी सप्तऋषि मतदाताओं के द्वार द्वार पहुंचने पर फ़ोकस करें. साथ ही उन तक केंद्र सरकार और बिहार सरकार की विकास और गरीबों के कल्याण के लिए लाई गईं योजनाओं की जानकारी दें. ये सांसद इन कमेटियों के सदस्यों पर इस बात के लिए भी जोर दे रहे हैं कि अगर क्षेत्र में पार्टी या एनडीए के किसी बड़े नेता की सभा हो तो उन्हें सुनने के लिए लोगों को प्रेरित करें.  

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साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि वोटिंग के दिन से पहले ही मतदाताओं के घर पर वोटिंग स्लिप पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए. पार्टी के सांसदों की ओर से बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं को आगाह किया जा रहा है कि 3 नवम्बर को मतदान के लिए वोटिंग लिस्ट के मुताबिक सभी वोटरों को समय से पोलिंग बूथ तक लाने की जिम्मेदारी उनकी है.

क्या हैं सप्तऋषि कमेटियां? 

बिहार में बीजेपी ने बूथ लेवल पर ‘सप्तऋषि कमेटियां’ बनाई हैं. इनमें कमेटी का एक इंचार्ज, एक सह इंचार्ज के अलावा महिला सदस्य हैं. साथ ही एससी, ओबीसी, युवा और सोशल मीडिया की जानकारी रखने वाले सदस्य भी इसमें रखे गए हैं. इन कमेटियों के सदस्यों पर आम मतदाताओं के अलावा अपने सगे संबंधियों, जानकार और मित्रों से मिलकर अपने उम्मीदवार को वोट देने की अपील करने के लिए कहा गया है.  

कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की जिम्मेदारी भी सांसदों पर 

बिहार कैम्पेन के लिए उतारे गए पार्टी सांसदों के ऊपर एक और अहम जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. ये सभी सांसद नाराज़ नेताओ और कार्यकर्ताओं से मिलकर उनकी  शिकायतों और समस्याओं को सुनकर उनका समाधान करेंगे. इसके अलावा एनडीए में सहयोगी जेडीयू के साथ तालमेल का जिम्मा भी इन सांसदों पर है. इसके लिए बीजेपी और जेडीयू मंडल स्तर के नेताओं की समन्वय बैठकों का आयोजन किया जा रहा है. इन बैठकों में स्पष्ट किया जा रहा है कि क्या-क्या किसकी ज़िम्मेदारी रहेंगी और कैसे मतदाताओं के बीच दोनों पार्टियों के एक यूनिट की तरह काम करने का संदेश जाए.

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इन बैठकों में अगर कोई बड़ी समस्या आती हैं और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को उसकी जानकारी देने की आवश्यकता पड़ती है तो उसके लिए भी बीजेपी ने एक मैकेनिज्म बनाया है. इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और बीजेपी और जेडीयू के बीच समन्वय का काम देख रहें बिहार बीजेपी के महासचिव देवेश कुमार पर है. ताकि त्वरित कार्रवाई कर समस्या का तुरंत निवारण किया जा सके.

सियासी संतुलन की रस्सी  

दरअसल, बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि सहयोगी जेडीयू के प्रमुख और बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ इस चुनाव में एंटी इंक्मबेंसी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसलिए कार्यकर्ताओं में जोश भरे रखना बहुत अहम है.  

बीजेपी केंद्र सरकार की कल्याण योजनाओं को अधिक से अधिक हाइलाइट कर रही है. साथ ही विकास के लिए केंद्र और राज्य में ‘डबल इंजन’ की थ्योरी पर जोर दे रही है. बीजेपी सवर्ण मतदाताओं में नीतीश कुमार को लेकर कथित नाराजगी संबंधी रिपोर्टों से भी अवगत है. सियासी संतुलन की रस्सी पर बीजेपी को जहां बहुत सावधानी से चलना पड़ रहा है साथ ही उसकी पूरी कोशिश अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रखने की है. बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि बिहार में पार्टी का कैसा प्रदर्शन रहता है, इसकी गूंज अगले साल बंगाल विधानसभा चुनाव तक भी सुनाई देती रहेगी.

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