बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी घमासान अब तेज होता जा रहा है. अब इस बात का एहसास भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हो चला है कि चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी इन्कम्बैंसी हावी है. नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी इन्कम्बैंसी को देखते हुए दोनों पार्टियों ने अपने-अपने कार्यकर्ताओं की समन्वय समिति बनाई है.
बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने विधानसभा स्तर पर कोऑर्डिनेशन के लिए समन्वय समिति बनाई है जिसमें एक जेडीयू का कार्यकर्ता और एक बीजेपी का कार्यकर्ता होगा. इस समिति का काम है कि चाहे बीजेपी का उम्मीदवार हो या जेडीयू का उम्मीदवार, समन्वय समिति विधानसभा में आने वाले प्रत्येक मंडल स्तर पर दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के साथ साझा बैठक करेगी, जिससे कार्यकर्ताओं के बीच में अगर कोई मतभेद है तो उसको दूर किया जाया सके.
ये समन्वय समिति अगर बीजेपी का उम्मीदवार है तो जेडीयू कार्यकर्ताओं से किस क्षेत्र में सहायता चाहिए, कहां पर जेडीयू के कार्यकर्ताओं फोकस करना है, इस पर काम करेगी. इसी प्रकार जेडीयू का उम्मीदवार है तो बीजेपी कार्यकर्ता जेडीयू उम्मीदवार के लिए कार्य करेंगे. ये समन्वय समिति प्रतिदिन अपनी-अपनी पार्टी को विधानसभा का अपडेट देती हैं. समन्वय समिति के बीजेपी सदस्य प्रदेश महासचिव को रिपोर्ट करते हैं.
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अगर किसी भी विधानसभा में कोई कोऑर्डिनेशन में कोई दिक्कत या शिकायत आती है तो उसे दोनों पार्टियां प्रदेश स्तर पर जो भी कदम उठाने होते हैं तुरंत उठाती हैं जो भी दिक्कत या समस्या है उसका समाधान किया जाता है.
साथ ही ये समन्वय समिति मंडल स्तर के बाद बूथ स्तर पर भी कार्यकर्ताओं की साझा बैठक कर रही है. महत्वपूर्ण यह है कि दोनों पार्टियों के बूथ लेवल की बैठक के लिए बीजेपी ने जो बूथ पर सप्तर्षि यानी सात सदस्यों की कमेटी बनाई है और जेडीयू की जो बूथ स्तर पर कमेटी है उसमें दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता मतदाता सूची के अनुसार यह तय करेंगे कि किस मातादाता को पोलिंग बूथ तक लाने की जिम्मेदारी किस पार्टी के कार्यकर्ता की ड्यूटी होगी.
इस बार दोनों पार्टियों में पिछले चुनावों की तुलना में ज्यादा बेहतर समन्वय किया गया है. जमीनी स्तर पर सरकार के खिलाफ नाराजगी दिख रही है. हालांकि उसको कैसे दूर किया जाए उस पर सवाल अभी भी जस का तस बना हुआ है.