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जेपी से प्रभावित होकर राजनीति में आए थे नड्डा, 14 की उम्र में किया था पहला अनशन

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि जय प्रकाश नारायण ने मुझे सबसे पहले प्रेरित किया. 1974 में मैं 10वीं की परीक्षा दे रहा था. बीच के गैप में मैं अनशन पर बैठा रहता था. तब मैं 14 साल का था. उस समय सत्याग्रह चल रहा था.

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बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जेपी नड्डा ने 14 साल की उम्र में अनशन किया
  • जेपी नारायण से प्रेरित होकर नड्डा राजनीति में आए
  • 1974 में बिहार में अनशन पर बैठे थे जेपी नड्डा

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी जंग को फतह करने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है. ऐसे में बिहार चुनाव के वोटिंग से चार दिन पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आजतक को दिए इंटरव्यू में अपनी पढ़ाई से लेकर राजनीति में आने और पार्टी के अध्यक्ष बनने तक के हर सवाल का बेबाकी से जवाब दिया. इस दौरान जेपी नड्डा ने बताया कि वे जय प्रकाश नारायण से प्रेरित होकर राजनीत में आए और महज 14 साल की उम्र में उन्होंने पहला अनशन किया.

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बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर श्वेता सिंह और अंजना ओम कश्यप ने जेपी नड्डा से खास बातचीत की है. जेपी नड्डा ने कहा कि मेरी पढ़ाई और खेल में रुचि थी. राजनीति के लिए कोई विचार नहीं रखता था, लेकिन बिहार में 1972-73 में राजनीतिक उथपुथल हुई. मेरे पिताजी प्रोफेसर थे और यूनिवर्सिटी उसका केंद्र था. मैं तब यूनिवर्सिटी में ही था. साथियों में राजनीतिक चेतना थी और मैं भी उसमें आ गया. 74 में मैं 10वीं का छात्र था और मैं भी उसमें शामिल हुआ. मुझे याद है 18 मार्च 1974 के आंदोलन ने आगे चलकर एक विराट रूप ले लिया. 5 लाख लोगों ने सिग्नेचर कैंपेन चलाया था. मैं तब से ही उसमें शामिल था.

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि बिहार में राजनीतिक चेतना काफी प्रबल है. जय प्रकाश नारायण का आंदोलन था, मैं इसमें शामिल हो गया है. 5 मार्च का दिन था. बिहार में गफूर सरकार को बर्खास्त करने के लिए आंदोलन चला था. जय प्रकाश नारायण ने मुझे सबसे पहले प्रेरित किया. 1974 में मैं 10वीं की परीक्षा दे रहा था. बीच के गैप में मैं अनशन पर बैठा रहता था. तब मैं 14 साल का था. उस समय सत्याग्रह चल रहा था. मैंने अपने पिताजी से पूछा कि क्या मैं जा सकता हूं. उन्होंने कहा कि जाओ. इसके बाद में अनशन में शामिल हुआ और यहीं से मेरी राजनीतिक चेतना जागी. 

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जेपी ने नड्डा ने बताया, 'मेरी माताजी मुझे गांधी मैदान में आने वाले हर नेता की रैली में उंगली पकड़कर ले जाती थी. मैंने देवराज अर्स, निजलिंग गप्पा, कामराज जी, जगजीवन राम जी, अटल जी को देखा है. अटल जी तो गांधी मैदान के पर्याय हुआ करते थे. इनमें से कई लोगों के भाषण का ट्रांसलेशन होता था. शुरुआत के नाम कांग्रेस के बड़े नेता थे.'

उन्होंने बताया कि 18 मार्च 1974 को हम लोग जेपी आंदोलन में शामिल थे. तब पानी की बौछार नहीं होती थी. आंसू गैस, लाठियां और गोलियां चलती थीं. मुझे याद है तब गोलियां चली थीं. मैं वहीं से निकला था. 5 जून को लंबा जुलूस गांधी मैदान से निकला था. नवंबर 1975 में जेपी पर लाठी चली थी. नानाजी देशमुख उनके बचाव में आए थे और उनकी कॉलर बोन टूट गई थी. मैं जयप्रकाश जी के घर पर गया था. नानाजी देशमुख ने 60 साल पूरे होने पर राजनीति का त्याग करने का आशीर्वाद मेरे सामने जेपी से लिया था. तब मुझे लगा था कि ये ऐसा क्यों कर रहे हैं. मैं नानाजी से आखिर समय तक जुड़ा रहा. और मुझे लगता है कि उन्होंने राजनीति के बाद सामाजिक जीवन में भी काफी काम किया.

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जेपी नड्डा ने कहा कि डाक बंगला युवाओं का जमावड़ा था. चाय पीना, पान खाना, बहसें करना, वहां पर होता था. वहां पर तारिक अनवर, लालू जी, सुशील मोदी आते थे. इसके आगे सीनियर्स जमा होते थे. शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव, फणीश्वरनाथ रेणु, गोविंदाचार्य जमा होते थे. ये सब जेपी जी के प्रेरणास्रोत थे. राजनीति बिहार की हवा में है.

राजनीति में आने पर परिवार के सवाल पर जेपी नड्डा ने कहा कि  मेरे पिता प्रोफेसर थे. कुछ समय हिमाचल यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर रहे फिर यहां पटना से रिटायर हुए. मेरे परिवार में काफी हेल्दी डिसक्शन होता था. मेरे पिताजी कहते थे कि डिनर कोई स्किप नहीं करेगा. वहां पर काफी अच्छी बातें सीखने को मिलीं. हर्षद मेहता का स्कैम मैंने वहीं पर समझा. इंदिरा गांधी का गरीबी हटाओ का नारा मैंने उसी टेबल पर समझा. जेपी का आंदोलन और समग्र क्रांति का जिक्र भी वहां होता था.

उन्होंने कहा, 'मेरे पिता के साथ मेरी बातचीत हुई. मेरे बैच से 15 आईएएस ऑफिसर निकले हैं. आज दिल्ली में जो भी इंपोर्टेंट ऑफिसर बैठे हैं वो या तो मेरे क्लासफेलो रहे हैं या सीनियर या जूनियर. आईपीएस का भी यही हाल है. 15 लोग आईपीएस बने थे. ये सब मुझे आईएएस बनाना चाहते थे. मेरी बहुत मदद करते थे. जब भी एग्जाम आते थे ये लोग मुझे नोट्स दिया करते थे. मैंने कभी यूपीएससी का एग्जाम नहीं दिया. मैंने इकोनॉमक्स, हिस्ट्री और प़लिटिकल साइंस लिया था. लोग कहते थे कि ये सबजेक्ट मार्क्स लूज करने के लिए होते हैं. मैं तब यूपीएससी की तैयारी कर रहा था. जब एमरजेंसी आई तो मेरे विचार बदले. तब मैं इंटरमीडिएट का फर्स्ट ईयर में था. मैंने पिताजी से बात की उन्होंने कहा कि तुमको पॉलिटिकल साइंस लेना चाहिए. इसके बाद उन्होंने कहा कि तुमको लॉ लेना चाहिए.'

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बिहार चुनौती के सवाल पर जेपी नड्डा ने कहा कि मैं हर चुनाव को टेस्ट मैच के नजरिए से ही देखता हूं. अध्यक्ष हूं तब भी और जब जनरल सेक्रेटरी था तब भी. हर चुनौती को शिद्दत के साथ लड़ने की मेरी आदत रही है. हमारे साथी भी पूरी शक्ति के साथ लगे हुए हैं.

 


 

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