बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों का प्रचार जोरों पर है. इस कड़ी में बुधवार को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी जनसभा की. मोकामा (पटना) विधानसभा में जनसभा को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि हमारी भावना न्याय के साथ विकास की रही है.
लालू परिवार का नाम लिए बिना नीतीश कुमार ने कहा कि हमारा काम देखकर बहुत लोगों को परेशानी होती है. वो लोग कुछ न कुछ उल्टा-पुल्टा करते रहते हैं, लेकिन ये भूल जाते हैं कि उन पति-पत्नी के कार्यकाल में क्या हाल था? सीएम ने कहा कि हमने जंगलराज खत्म कर कानून का राज स्थापित किया है. 12 करोड़ आबादी का राज्य बिहार आज अपराध में 23वें स्थान पर है.
नीतीश कुमार ने कहा कि इसी मोकामा में एक 9 साल के बच्चे ने मुझसे पूछा था- हम नय पढ़बय? आज हर ग्राम, हर पंचायत में स्कूल खुलवा दिया गया है. अनेक योजनाओं के तहत हर वर्ग के बच्चों को स्कूल तक पहुंचाया गया है. हमारे विद्यार्थी पहले बाहर पढ़ने (इंजीनियरिंग, मेडिकल) के लिए जाते थे. हमने राज्य में ही पढ़ने के लिए व्यवस्था की और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से सहायता दी.
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सीएम ने कहा कि हम बिहार की संपत्ति बढ़ा रहे हैं, कुछ लोग अपनी संपत्ति बढ़ाने का काम करते हैं. आप ने हमें प्रतिष्ठा दी है, सम्मान दिया है, वही प्रतिष्ठा हम आपको और इस क्षेत्र को लौटाएंगे. मोकामा से मेरा व्यक्तिगत रिश्ता है, जेडीयू उम्मीदवार को इतना वोट दें कि रिकॉर्ड वोटों से जीतें.
बांका में भी नीतीश ने जनसभा को किया संबोधित
इससे पहले नीतीश बांका जिले के अमरपुर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे थे. रैली में भीड़ भी अच्छी खासी थी. लोगों को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने सबसे पहले कोरोना संकट के बीच उठाए गए कदमों को गिनाया. उन्होंने कहा कि करीब 22 लाख लोग लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से बिहार लौटे. लोग ऐसे शहरों से आ रहे थे, जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले थे, सबके लिए क्वारनटीन सेंटर बनाए और सबको 1-1 हजार रुपये नकद दिए.
कल मुस्लिमों को साधते नजर आए थे नीतीश
इससे पहले नीतीश कुमार मंगलवार को वर्चुअल रैली के दौरान मुस्लिमों को साधते नजर आए थे. उन्होंने कहा था कि हमसे पहले जिन लोगों ने बिहार में सत्ता चलाई उन्होंने क्या किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि भागलपुर दंगे में उन्होंने (लालू-राबड़ी-कांग्रेस) कुछ नहीं किया लेकिन जब हमारी सरकार बनी तो हमने आयोग बनाकर पूरे मामले की जांच करवाई. दंगे के मृतक आश्रित को पहले 2500 और अब 5000 पेंशन राशि देने का काम किया और दंगा पीड़ितों के मकानों की क्षतिपूर्ति की गई.