बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, तीन चरणों में हुए चुनावों में इस बार कुल 59.94 फीसदी वोटिंग हुई है. अब 10 नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की दरौली विधानसभा सीट पर इस बार 3 नवंबर को वोट डाले गए, यहां कुल 50.05% मतदान हुआ. सीवान जिले में आने वाली बिहार के दरौली विधानसभा सीट का इतिहास काफी बदलाव वाला रहा है. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन समेत कई पार्टियां चुनाव जीत चुकी हैं. वर्तमान में यहां सीपीआई (एमएल, एल) के विधायक सत्यदेव राम का कब्जा है. यह सीट एससी (SC) कैंडिडेट के लिए आरक्षित है. साल 2015 में हुए चुनावों में इस सीट पर बीजेपी, आरजेडी और सीपीआई एमएल एल के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था और सत्यदेव सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार रामायण मांझी को करीब 9500 वोटों के अंतर से हराया था. इस बार भी इस सीट पर बीजेपी, वाम दल और आरजेडी के बीच कड़ा मुकाबला होना तय माना जा रहा है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
दरौली विधानसभा सीट पर 1951 में पहला चुनाव हुआ था और कांग्रेस के रामाणय शुक्ला ने जीत हासिल की थी. उसके बाद से अभी तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस को 5 बार जीत हासिल हुई है लेकिन वर्तमान में यहां कांग्रेस की हालत बेहद खराब है. आलम यह है कि इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार इंदिरा लहर में साल 1980 में जीत हासिल हुई थी. इसके बाद इस सीट से कांग्रेस गायब ही हो गई. वहीं, लेफ्ट की पार्टी सीपीआई (एमएल, एल) (Communist Party of India Marxist-Leninist Liberation) का इस सीट पर दबदबा रहा है, यहां लेफ्ट के उम्मीदवारों ने चार बार जीत हासिल की है और वर्तमान में भी उन्ही का कब्जा है.
इस सीट पर बीजेपी और आरजेडी को एक-एक बार जीत हासिल हुई है. वहीं, नीतिश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का खाता भी नहीं खुला है, लेकिन यहां जनता दल का खासा प्रभाव रहा है. जनता दल के शिव शंकर यादव ने दो बार इस सीट से जीत हासिल की है और तीन बार के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे. शिव शंकर के अलावा इस सीट पर सीपीआई एमएल के अमर नाथ यादव ने तीन बार जीत हासिल की और इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में भी लेफ्ट से बीजेपी और आरजेडी को कड़ी टक्कर मिलना तय है.
सामाजिक ताना-बाना
सीवान जिले में आने वाली दरौली विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. इस विधानसभा के तहत आने वाला पूरा इलाका पूर्ण रूप से ग्रामिण है. 2019 के वोटर लिल्ट के अनुसार, इस निर्वाचन क्षेत्र में 3,09,753 वोटर और 319 मतदान केंद्र हैं. यहां पर अनुसूचित जाति (एससी) से 14.49 फीसदी लोग हैं, वहीं, अनुसूचित जनजाति (एसटी) की संख्या 4.54 फीसदी है. 2019 के लोकसभा चुनावों में यहां 52.9% वोटिंग हुई थी. वहीं, 2015 के विधानसभा चुनावों में यहां वोटिंग परसेंटेज 51.3 फीसदी था. 2015 में सीपीआई एमएल को सबसे ज्यादा 33.55 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, बीजेपी को 27.07 फीसदी और आरजेडी को 25.27 फीसदी वोट मिले थे.
2015 का जनादेश
2015 के विधानसभा चुनाव में दरौली विधानसभा सीट से सीपीआईएमएल के नेता सत्यदेव राम ने जीत हासिल की थी. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेता रामायण मांझी को 9500 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था. 2015 में इस सीट पर कुल 2.88 लाख वोटर थे जिनमें से 1.47 लाख वोटरों ने अपने मतों का इस्तेमाल किया था, यानी वोटिंग परसेंटेज 51 फीसदी रही. इस सीट से लड़ने वाले सत्यदेव राम को 49576 वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर की पार्टी बीजेपी को 39992 वोट और आरजेडी उम्मीदवार परमात्मा राम को 37345 वोट प्राप्त हुए थे. वहीं, चंद्रमा नाम के निर्दलीय उम्मीदवार ने 8700 से ज्यादा वोट प्राप्त किए थे.
दूसरे चरण के तहत 3 नवंबर 2020 को इस सीट पर वोट डाले जाएंगे. चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे. इस सीट पर 4 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं जिसमें बीजेपी, लेफ्ट, प्लूरल्स पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं.
इस बार के उम्मीदवार
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
बिहार में सीवान के कृष्णपाली में साल 1964 में जन्में वर्तमान विधायक सत्यदेव राम सीपीआईएमएल के नेता हैं. 1988 से राजनीति में कदम रखने वाले सत्यदेव राम 3 बार मैरवा विधानसभा से विधायक रहे हैं और वर्तमान में दरौली से विधायक हैं. सत्यदेव राम अपने राजनीतिक जीवन में रहते हुए तीन बार जेल जा चुके हैं. वर्तमान कार्यकाल के 5 सालों में से 2 साल वो जेल में रहे. दरअसल, चिल्हमरवा में हुए दोहरे हत्याकांड के मामले में उन्हें जेल हुई थी और 2015 के विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन करते समय ही सत्यदेव राम को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद वो जेल में रहते हुए ही चुनाव लड़े और न सिर्फ लड़े बल्की जीते भी.
अपने क्षेत्र में सड़क, स्कूल और नालियों के काम को गिनाते हुए एक इंटरव्यू में सत्यदेव सिंह बताते हैं कि 27 साल पहले दरौली विधानसभा में उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेफरल अस्पताल का शिलान्यास किया था. लेकिन अस्पताल का निर्माण कार्य रोक दिया गया. इसके बाद यह काम लटका रहा. सत्यदेव राम ने इस अस्पताल के निर्माण कार्य को शुरू कराने में अहम भूमिका निभाई है. अब देखना होगा कि 2020 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर सीपीआईएमएल का झंडा बुलंद हो पाता है या बीजेपी और आरजेडी के उम्मीदवार यहां से जीत हासिल करने में कामयाब रहते हैं.