बिहार का छठा सबसे बड़ा शहर दरभंगा बागमती नदी के किनारे बसा हुआ है. उत्तरी बिहार में दरभंगा प्रमंडल में दरभंगा एक जिला है. दरभंगा को मिथिला की राजधानी भी कहा जाता है. समझा जाता है कि दरभंगा शब्द फारसी भाषा के दर-ए-बंग से निकला है. इसका मतलब होता है बंगाल का दरवाजा. इसका मैथिलीकरण होते हुए यह नाम दरभंगा तक पहुंचा है. यह भी कहा जाता है कि मुगल काल में दरभंगी खां ने इस शहर को बसाया था. दरभंगी खां ब्राह्मण थे. उन्होंने कालांतर में इस्लाम अपना लिया था.
सन 1845 में ब्रिटिश सरकार ने दरभंगा सदर को अनुमंडल बनाया और सन 1864 में दरभंगा शहर नगर निकाय बन गया. सन 1875 में स्वतंत्र जिला बनने तक यह तिरहुत के साथ था. 1908 में तिरहुत के प्रमंडल बनने पर इसे पटना प्रमंडल से हटाकर तिरहुत में शामिल कर लिया गया. आजादी मिलने के बाद 1972 में दरभंगा को प्रमंडल का दर्जा देकर मधुबनी तथा समस्तीपुर को इसके अंतर्गत रखा गया. जिले में हिमालय से उतरने वाली नित्यवाही और बरसाती नदियों का जाल बिछा है. कमला, बागमती, कोशी, करेह और अधवारा समूह की नदियों से उत्पन्न बाढ़ हर वर्ष लाखों लोगों के लिए तबाही लाती है. यहां सालाना औसत 1142 मिमी वर्षा होती है.
आम, मछली और मखाने के लिए प्रसिद्ध दरभंगा
दरभंगा के अधिकांश लोगों की आय का साधन खेती है. जिले में घास के मैदान भी हैं. दरभंगा जिले की चूना युक्त दोमट मिट्टी रबी और खरीफ फसलों के लिए उपयुक्त है. यहां भदई और अगहनी धान, गेहूं, मक्का, रागी, तिलहन (चना, मसूर, खेसारी, मूंग), आलू गन्ना आदि मुख्य फसलें हैं. जिले में सीसम, खैर, पाल्मीरा और खजूर के पेड़ भी हैं. दरभंगा शहर में मछली, आम और मखाने का व्यापार होता है. दरभंगा जिले को चार हिस्सों में बांटा जाता है. पहला इलाका घनश्यामपुर, बिरौल और कुशेश्वरस्थान प्रखंड में कोसी का जमा किया गया गाद क्षेत्र जहां दलदली भाग मिलते हैं. दूसरा बूढ़ी गंडक के दक्षिण का ऊंचा और उपजाऊ इलाका जहां रबी की अच्छी फसल होती है. तीसरा इलाका बूढ़ी गंडक और बागमती के बीच का दोआब क्षेत्र है जो नीचा और दलदली है. चौथा सदर क्षेत्र है जो ऊंचा है और कई नदियां यहां से बहती हैं.
कला-संस्कृति का गढ़ रहा है दरभंगा
दरभंगा मिथिला संस्कृति का अंग और केंद्र बिंदु रहा है. रामायण में इसे राजा जनक का प्रदेश बताया गया है. मिथिला पेंटिंग, ध्रुपद गायन की गया शैली और संस्कृत के विद्वानों ने इस इलाके को खास पहचान दी है. प्रसिद्ध लोक कलाओं में सुजनी (कपड़े की कई तहों पर रंगीन धागों से डिजाइन बनाना), सिक्की (खर और घास से बनाई गई कलात्मक डिजाइन वाली उपयोगी वस्तु) और लकड़ी पर नक्काशी का काम शामिल है. सामा चकेवा और झिझिया दरभंगा का प्रसिद्ध लोकनृत्य है. मिथिला क्षेत्र का यह जिला अपनी प्राचीन संस्कृति, संस्कृत और बौद्धिक परंपरा के लिए जाना जाता रहा है. मिथिला संस्कृति का केंद्र रहा यह जिला आम, मखाना, मछली और मिथिला पेंटिंग के लिए भी प्रसिद्ध है. दरभंगा शहर का आधुनिक स्वरूप सोलहवीं सदी में मुगल व्यापारियों और ओईनवार शासकों ने विकसित किया. इस क्षेत्र से कुमारिल भट्ट, मंडन मिश्र, गदाधर पंडित, शंकर, वाचास्पति मिश्र, विद्यापति, नागार्जुन जैसे चोटी के विद्वान निकले हैं.
दरभंगा का सामाजिक तानाबाना
2011 की जनगणना के मुताबिक जिले का आबादी करीब 39.38 है. इसमें पुरुषों की संख्या लगभग 20.60 लाख और महिलाओं की आबादी करीब 18.78 लाख है. जिले में स्त्री-पुरूष अनुपात 910:1000 है. जिले में 72.75% लोग मैथिली बोलते हैं. दरभंगा में उर्दू बोलेने वालों की संख्या 20.67% है और करीब 6.51% लोगों ने हिंदी को अपनी पहली भाषा बताया है. दरभंगा की साक्षरता दर- 35.42% (पुरूष-45.32%, स्त्री- 24.58%) है. परंपरागत तौर पर यह शहर मिथिला के ब्राह्मणों के लिए संस्कृत में उच्च शिक्षा के लिए प्रसिद्ध रहा है. पुरातन शिक्षा का केंद्र होने के बावजूद दरभंगा इस समय एक निम्न साक्षरता वाला जिला है. दरभंगा में करीब 77 फीसदी आबादी हिंदू धर्म को मानती है तो लगभग 22 फीसदी आबादी इस्लाम धर्म को मानने वाली है.
दरभंगा की राजनीतिक तस्वीर
दरभंगा जिले में दरभंगा के अलावा मधुबनी और समस्तीपर लोकसभा सीटों का कुछ हिस्सा आता है. दरभंगा लोकसभा सीट पर पुराने समय में कांग्रेस का दबदबा रहा था. कांग्रेस को यहां पर सात लोकसभा चुनावों में जीत मिली है तो भाजपा को चार और जनता दल को तीन बार जीत का स्वाद मिला है. दो बार आरजेडी यहां से जीतने में सफल रही है. पिछली तीन बार से यहां भाजपा ही जीतती आ रही है. दरभंगा जिले में 10 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से गौड़ाहौराम, बेनीपुर, अलीनगर, दरभंगा ग्रामीण, दरभंगा, और बहादुरपुर विधानसभा सीटें दरभंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में हैं तो दो-दो सीटें मधुबनी (केवटी और जाले) और समस्तीपुर (कुशेश्वरस्थान (SC) और हायाघाट) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में हैं. दरभंगा इलाके की छह विधानसभा सीटों में से तीन सीटें आरजेडी के खाते में हैं तो दो जेडीयू और एक भाजपा के पास है. मधुबनी की दो सीटों में से एक आरजेडी और एक भाजपा के पास है. समस्तीपुर इलाके की दोनों सीटें जेडीयू के पास हैं.
दरभंगा के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल
दरभंगा राज किला-परिसर
दरभंगा के महाराजाओं को कला, साहित्य और संस्कृति के संरक्षकों में गिना जाता है. महेश ठाकुर द्वारा स्थापित दरभंगा राज किला-परिसर अब एक आधुनिक स्थल एवं शिक्षा केंद्र बन चुका है.
लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय
सितंबर 1977 में यहां महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय की स्थापना की गई. दरभंगा महाराज के वंशज शुभेश्वर सिंह की दान की गई दुर्लभ कलाकृतियां एवं राज से संबधित वस्तुएं यहां रखी गई हैं.
काली (श्यामा) मंदिर
दरभंगा स्टेशन से 1 किलोमीटर की दूरी पर मिथिला विश्वविद्यालय के परिसर में 1933 में बनवाया गया काली (श्यामा) मंदिर काफी प्रसिद्ध और सौंदर्य का नमूना है.
दुर्गा मंदिर
दरभंगा जिले के बेनीपुर में काफी पुराना दुर्गा मंदिर है. यहां हर साल दुर्गा पूजा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जमा होते हैं.
कैथोलिक चर्च
दरभंगा रेलवे स्टेशन से 1 किमी दूर 1891 में में बना कैथोलिक चर्च इसाई पादरियों के प्रशिक्षण का केंद्र हुआ करता था. 1897 केभूकंप से हुए नुकसान के बाद चर्च में 1991 से फिर से प्रार्थना शुरू हुई.
रहमतुल्लाह अलैह की मजार
दरभंगा शहर के रेलवे स्टेशन से आधा किलोमीटर दूर दिग्घी तालाब के किनारे पर भठियारी सराय में हजरत मखदूम भीखा शाह सैलानी रहमतुल्लाह अलैह की मजार हैयह करीब 400 साल पुरानी है. यहां रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स ईद उल ज़ुहा पर होता है. इसमें बिहार के अलावा दूसरे राज्यों से और पड़ोसी देशों से भी जायरीन आते हैं.
दरभंगा टावर मस्जिद
दरभंगा रेलवे स्टेशन से 2 किमी दूर दरभंगा टावर के पास बनी मस्जिद शहर के मुसलमानों की सबसे बड़ी इबादतगाह है. पास ही सूफी संत मकदूम बाबा की मजार भी है जो हिंदुओं और मुसलमानों दोनों की श्रद्धा का केंद्र है. स्टेशन से 1 किमी दूर गंगासागर तालाब के किनारे बनी भीखा सलामी मजार के पास रमजान महीने में मेला लगता है.
कुशेश्वर शिव मंदिर और पक्षी अभयारण्य
दरभंगा के कुशेश्वर में काफी पुराना शिव मंदिर है. कुशेश्वर, घनश्यामपुर और बेरौल प्रखंड में 7019 एकड़ जलप्लावित क्षेत्र को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया है. विशेष पारिस्थिकी वाले इस भूक्षेत्र में स्थानीय, साईबेरियाई और नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से आनेवाले पक्षियों की अच्छी संख्या दिखाई देती है.
अहिल्या स्थान
जाले प्रखंड में अहिल्या स्थान स्थित है. कहा जाता है कि अयोध्या जाने के दौरान राम ने पत्थर बनी शापग्रस्त अहिल्या का उद्धार यहीं किया था. यहां हर साल रामनवमी (चैत्र) और विवाह पंचमी (अगहन) को मेला लगता है. कमतौल से 8 किमी दूर ब्रह्मपुर में गौतम सरोवर है. ये पौराणिक स्थल केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकसित हो रहे रामायण सर्किट का हिस्सा है.
जिले की प्रसिद्ध शख्सियतें
पूर्व सांसद हुकुमदेव नारायण सिंह, फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली, पूर्व क्रिकेटर और दरभंगा के सांसद रहे कीर्ति आजाद, बॉलीवुड एक्ट्रेस कावेरी झा, प्रसिद्ध जनकवि बाबा नागार्जुन, फिल्म अभिनेता संजय मिश्रा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध चेहरे दरभंगा से निकले हैं.
जिले के प्रमुख अधिकारी
दरभंगा के एसएसपी बाबू राम हैं. उनसे मोबाइल नंबर- 9431822992 पर संपर्क किया जा सकता है. दरभंगा के डीएम त्यागाजन एसएम हैं. उनकी ई-मेल आईई dm-darbhanga.bih@nic.in है. उनसे टेलीफोन नंबर- 06272240200 पर संपर्क किया जा सकता है.