बिहार के उत्तर-पश्चिम के जिले पूर्वी चंपारण की सीमा नेपाल से मिलती है. खेती के लिए उपजाऊ जमीन वाला पूर्वी चंपारण बिहार का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला जिला भी है. यह बिहार के तिरहुत प्रमंडल में आता है. यह जिला 1971 में अस्तित्व में आया था जब यह चंपारण से अलग होकर पूर्वी चंपारण बना था. इसका मुख्यालय मोतिहारी है. चंपारण का नाम चंपा और अरण्य से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है- चम्पा के पेड़ों से भरा हुआ जंगल. पूर्वी चम्पारण की उत्तर दिशा में नेपाल है तो दक्षिण में मुजफ्फरपुर है. दूसरी ओर इसके पूर्व में शिवहर और सीतामढ़ी हैं तो पश्चिम में पश्चिमी चम्पारण जिला है. फिलहाल यह देश के रेड कॉरिडोर का एक हिस्सा है. रेड कॉरिडोर सरकारी शब्दावली में उस इलाके को कहा जाता है जो नक्सल प्रभावित होता है.
मिथक और इतिहास में दर्ज है चंपारण
चंपारण का जिक्र पौराणिक कथाओं में भी मिलता है. कहा जाता है कि यहां के राजा उत्तानपाद के पुत्र भक्त ध्रुव ने यहां के तपोवन नामक स्थान पर ज्ञान प्राप्ति के लिए कठिन तपस्या की थी. चंपारण को रामायण में सीता की शरणस्थली बताया गया है तो हिंदू धर्मावलंबियों में इसे पवित्र स्थान माना जाता रहा है. दूसरी ओर आधुनिक भारत में गांधी का 'चंपारण सत्याग्रह' भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास का अमूल्य पन्ना है. यही नहीं, गौतम बुद्ध ने यहां अपना उपदेश दिया था जिसकी याद में ईसा पूर्व तीसरी सदी में प्रियदर्शी अशोक ने कई स्तंभ लगाए और स्तूप बनवाए.
सत्याग्रह की पहली प्रयोगशाला बना चंपारण
आजादी के आंदोलन के समय चंपारण के ही एक रैयत और स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार शुक्ल के बुलावे पर महात्मा गांधी अप्रैल 1917 में मोतिहारी आए. तब नील की फसल पर तीनकठिया खेती लागू थी. इसके विरोध में गांधी ने चंपारण में ही सत्याग्रह का पहला सफल प्रयोग किया था. आजादी की लड़ाई में यह नए चरण की शुरुआत थी. अंग्रेजों ने चंपारण को सन 1866 में ही स्वतंत्र इकाई बनाया था. 1971 में इसके विभाजन से पूर्वी और पश्चिमी चंपारण दो जिले बन गए.
नील से लेकर गन्ने और चावल का क्षेत्र है चंपारण
यहां गंडक, बागमती, सिकरहना, ललबकिया, तिलावे, कचना, मोतिया, तिऊर और धनौति जैसी नदियां हैं. कभी नील की खेती के लिए प्रसिद्ध चंपारण अब अच्छी किस्म के चावल और गुड़ के लिए प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि यहां पर अगर कोई अपिरिचित रास्ता पूछते हुए आपके दरवाजे पर आए तो उसका स्वागत भी गुड़ और पानी से किया जाता है. गंडक, बागमती तथा इसकी अन्य सहायक नदियों के मैदान में होने से पूर्वी चंपारण की उपजाऊ मिट्टी खेती के लिए काफी अच्छी है. तराई का इलाका होने के कारण यहां दलदली मिट्टी (चौर) का भी विस्तार है. यहां आजीविका का बड़ा साधन खेती और छोटे-मोटे उद्योग हैं. यहां साल में औसतन 1242 मिलीमीटर बारिश होती है जो पश्चिम की ओर बढ़ती जाती है. सिंचाई के लिए गंडक नदी से निकाली गई त्रिवेणी, ढाका तथा सकरी नहरें बनी हैं. प्रचुर मात्रा में पानी होने की वजह से धान की काफी खेती होती है. यहां का बासमती चावल काफी प्रसिद्ध है और गन्ने की भी अच्छी मात्रा में खेती होती है. इसके अलावा जूट, मसूर और गेहूं भी जिले की प्रमुख फसलें हैं.
पशुपालन और मेहसी बटन उद्योग
बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 में कहा गया है कि कृषि के अलावा पशुपालन भी आजीविका का प्रमुख क्षेत्रों साधन है. पशुपालन कुल ग्रामीण आय का लगभग पांचवां हिस्सा है. पशुपालन में गाय-भैंस के अलावा बकरियां और मछलियां भी बड़ी तादाद में पाली जाती हैं. इस जिले का मेहसी बटन उद्योग दुनिया भर में प्रसिद्ध है. इसकी शुरुआत करने का श्रेय स्थानीय निवासी भुवन लाल को जाता है. समय के साथ बटन निर्माण की प्रक्रिया ने एक उद्योग का रूप अपना लिया. एक समय में लगभग 160 बटन फैक्ट्री मेहसी प्रखंड के 13 पंचायतों में चल रही थीं. हालांकि, सरकार की ओर से सहयोग न मिलने के कारण बदतर स्थिति में पहुंच गया है.
पूर्वी चंपारण का सामाजिक तानाबाना
2011 की जनगणना के अनुसार पूर्वी चंपारण जिले की आबादी करीब 50 लाख है. आबादी में यहां महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले काफी कम है. यहां पर स्त्री-पुरुष अनुपात 901:1000 है. जिले में साक्षरता की दर 55.79% है. जिले के सभी हिस्सों में भोजपुरी ही बोली जाती है लेकिन शिक्षा का माध्यम हिंदी और उर्दू है. शहरी इलाकों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने वाले स्कूल भी हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार 92.33% आबादी ने अपनी बोलचाल की भाषा भोजपुरी या हिंदी को बताया और करीब 7.33% लोगों ने अपनी बोलचाल की भाषा उर्दू बताई. जिले में हिंदू धर्म को मानने वालों की आबादी 80.14% है तो इस्लाम के मानने वालों की आबादी 19.42% है.
पूर्वी चंपारण के दर्शनीय स्थल
केसरिया बौद्ध स्तूप
मोतिहारी से 35 किमी दूर प्राचीन ऐतिहासिक स्थल केसरिया का बौद्ध स्तूप है. 1998 में भारतीय पुरातत्व विभाग की खुदाई के बाद इस जगह का महत्व बढ़ गया है. पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार यह दुनिया का सबसे ऊंचा बौद्ध स्तूप है. मूल रूप में 150 फीट ऊंचे इस स्तूप की ऊंचाई सन 1934 में आए भीषण भूकंप से पहले 123 फीट थी.
अशोक स्तंभ
अरेराज अनुमंडल के लौरिया गांव में स्थित अशोक स्तंभ की ऊंचाई 36.5 फीट है. बलुआ पत्थर से निर्मित इस स्तंभ का निर्माण 249 ईसा पूर्व सम्राट अशोक के कराया था. इस स्तंभ को 'स्तंभ धर्मलेख' के नाम से भी जाना जाता है. स्तंभ का कुल वजन 40 टन (जमीन से ऊपर के हिस्से का 34 टन) के आसपास है.
गांधी स्मारक (मोतिहारी)
चम्पारण में गांधी मेमोरियल स्तंभ का शिलान्यास 10 जून 1972 हुआ था. 18 अप्रैल 1978 को वरिष्ठ गांधीवादी विद्याकर कवि ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया. इस स्तंभ का निर्माण महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह की याद में शांति निकेतन के मशहूर कलाकार नन्द लाल बोस ने किया था. चुनार पत्थर से बने इस स्तंभ की लंबाई 48 फीट है. स्मारक ठीक उसी जगह बना है जहां गांधी को 18 अप्रैल 1917 में धारा 144 का उल्लंघन करने के जुर्म में अनुमंडलाधिकारी की अदालत में पेश किया गया था.
जॉर्ज ऑरवेल स्मारक
मोतिहारी इलाके में पड़ने वाले जॉर्ज ऑरवेल के घर को स्मारक के रूप में विकसित किया जाना है. इसके पास में ही चंपारण मिलेनियम पार्क भी बनाया गया है.
पर्वी चंपारण में भाजपा का परचम
पूर्वी चंपारण जिले में पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट आती है. यह 2008 में परिसीमन के बाद बनी सीट है. 2009 के बाद यहां पर हुए तीन लोकसभा चुनावों में भाजपा को ही जीत मिली है. तीनों बार पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ही यहां से जीते हैं. इसके अलावा पश्चिमी चंपारण और शिवहर लोकसभा सीट का भी कुछ हिस्सा इस जिले में आता है. शिवहर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर 1977 से लेकर 2019 तक हुए चुनावों लोकसभा में दो बार कांग्रेस, दो बार जनता दल, दो बार आरजेडी और तीन बार भाजपा को जीत मिली है. पिछली तीन बार से यहां की सांसद भाजपा की रमा देवी हैं.
विधानसभा सीटों पर BJP सबसे आगे, दूसरे नंबर पर RJD
पूर्वी चंपारण में विधानसभा सीटों की बात करें तो इस लोकसभा सीट में छह विधानसभा सीटें आती हैं और शिवहर और पश्चिमी चंपारण वाले इलाके में तीन-तीन विधानसभा सीटें हैं, जो इसी जिले में पड़ती हैं. पूर्वी चंपारण में हरसिद्धि (अनुसूचित जाति), गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा और मोतिहारी सीटें हैं. शिवहर लोकसभा क्षेत्र में मधुबन, चिरैया, ढाका सीटें हैं और पश्चिमी चंपारण वाले लोकसभा क्षेत्र में रक्सौल, सुगौली और नरकटिया सीटें आती हैं. पूर्वी चंपारण की विधानसभा सीटों में से 3 भाजपा के पास हैं तो 2 आरजेडी और एक सीट एलजेपी के पास है. शिवहर इलाके की दो सीटें भाजपा और एक सीट आरजेडी के पास है. पश्चिमी चंपारण वाली तीन सीटों में से दो भाजपा और एक सीट आरजेडी के पास है.
इलाके के प्रसद्ध व्यक्ति
जॉर्ज ऑरवेल
दुनिया भर में प्रसिद्ध अंग्रेजी साहित्यकार जॉर्ज ऑरवेल भी पूर्वी चंपारण इलाके में ही पैदा हुए थे. ऑरवेल का जन्म 25 जून 1903 को मोतिहारी में हुआ था. उस समय उनके पिता रिचर्ड वेल्मेज्ली ब्लेयर अधिकारी थे. इंग्लैंड में पढ़ते समय ही ऑरवेल ने लेखन शुरू कर दिया था. उनकी लिखी Animal Farm, Burmese Days, A Hanging जैसी महान कृतियां हैं.
राजकुमार शुक्ल
पूर्वी चंपारण जिले में स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार शुक्ल पैदा हुआ थे. उनके कहने पर ही गांधी ने चंपारण में सत्याग्रह किया था. बाद में राजकुमार शुक्ल को डाक विभाग ने टिकट पर भी जगह दी.
रमेश चन्द्र झा
इसी इलाके में फुलवारिया में पैदा हुए रमेश चन्द्र झा भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय क्रांतिकारी थे. बाद में उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई. वह स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ हिन्दी के कवि, उपन्यासकार और पत्रकार भी थे.
चर्चा में चंपारण
पूर्वी चंपारण में आने वाले इलाके मोतिहारी में हाल ही में यहां से सांसद राधामोहन सिंह ने रेलवे की 3 योजनाओं का लोकार्पण और 6 योजनाओं का शिलान्यास वर्चुअल माध्यम से किया. इन योजनाओं पर 23.5 करोड़ खर्च होंगे.
जिले के प्रमुख पदाधिकारी
श्रीसत कपिल अशोक कलेक्टर और जिले के DM हैं. उनकी ई-मेल आईडी dm-motihari.bih@nic.in है. उनका मोबाइल फोन नंबर +919473191301 है और फैक्स नंबर 06252-242900 है. नवीन चंद्र झा यहां के एसपी हैं. उनसे motihari-bih@nic.in पर ई-मेल के जरिए संपर्क किया जा सकता है. उनका मोबाइल फोन नंबर +919431822988 है. इस लोकसभा सीट के सांसद राधा मोहन सिंह का टेलीफोन नंबर 06252-241210 और मोबाइल फोन नंबर 9431815551 और 09431233001 है.