पार्टी बदली, इलाका बदला, जेल भी गया लेकिन फिर भी इस बाहुबली को कोई हरा नहीं पाया. दबदबा ऐसा कि 5 बार चुनाव लड़ा और हर बार लोगों ने उसे अपना नेता चुना. पुलिस की लिस्ट में सालों तक मोस्ट वांटेड रहे मनोरंजन सिंह को लोग उनके इलाके में धूमल सिंह के नाम से बुलाते हैं. स्थानीय लोग कहते हैं, 'धूमल सिंह' नाम ज्यादा वजनदार लगता है इसलिए मनोरंजन सिंह के राजनीति में उतरने से पहले से लोग उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं. बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, तीन चरणों में हुए चुनावों में इस बार कुल 59.94 फीसदी वोटिंग हुई है. अब 10 नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की एकमा विधानसभा सीट पर इस बार 3 नवंबर को वोट डाले गए, यहां कुल 50.51% मतदान हुआ.
बिहार विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है और चुनावी सरगर्मियां अपने चरम पर हैं. इस बीच हम बात कर रहे हैं बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले एकमा विधानसभा सीट के बारे में. यह सीट अपने बाहुबली विधायक के कारण जानी जाती है. पीतल उद्योग क्षेत्र के लिए कभी मशहूर रही एकमा सीट से जेडीयू नेता मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह विधायक हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार कामेश्वर कुमार सिंह को हराया था.
परीसीमन के बाद बने विधानसभा क्षेत्र एकमा में धूमल सिंह का दबदबा माना जाता है. यही कारण है 2014 के लोकसभा चुनाव में भी जेडीयू ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन उन्हें बीजेपी उम्मीदवार जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में धूमल सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराकर दोबारा विधायक बन गए. हालांकि, इस बार के चुनाव दिलचस्प होने वाले हैं क्योंकि इस सीट पर धुर-विरोधी रहे बीजेपी और जेडीयू अब गठबंधन में हैं. ऐसे में आरजेडी के मुकाबले जेडीयू के लिए यह सीट आसान हो सकती है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस सीट पर अभी तक कुल तीन बार चुनाव हुए हैं. 1951 में इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. इसके बाद ये सीट खत्म हो गई. हालांकि परिसीमन के बाद दोबारा ये सीट अस्तित्व में आई, जिसके बाद 2010 में यहां विधानसभा चुनाव हुए और बाहुबली नेता मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह ने करीब 30 हजार वोटों से जीत हासिल की.
उन्होंने आरजेडी के कामेश्वर सिंह को हराया. वही कामेश्वर सिंह जिन्होंने 2015 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था. हालांकि, बीजेपी का झंडा भी उन्हें जीत नहीं दिला सका और 2015 के विधानसभा चुनावों एक बार फिर धूमल सिंह ने उन्हें करीब 8 हजार वोटों के अंतर से चित कर दिया. लेकिन इस बार का चुनावी मौसम 2015 से बिलकुल अलग है. 2015 में एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाली जेडीयू और बीजेपी इस बार एक साथ हैं और इस सीट का टिकट धूमल सिंह के खाते में जाते दिख रही है. ऐसे में आरजेडी और अन्य दलों के लिए यह सीट थोड़ी मुश्किल हो सकती है.
सामाजिक ताना-बाना
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले एकमा विधानसभा क्षेत्र की आबादी करीब 370025 है और यहां की पूरी 100 फीसदी आबादी ग्रामिण है. यहां 12.27 फीसदी लोग अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के हैं और 3.67 फीसदी लोग अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग से आते हैं.
2015 का जनादेश
2015 के विधानसभा चुनाव में धूमल सिंह ने बीजेपी के कामेश्वर कुमार सिंह को करीब 8000 मतों के अंतर से हराया था. कामेश्वर सिंह को 41382 वोट मिले थे जबकि धूमल सिंह को 49508 वोट मिले थे.
दूसरे चरण में 3 नवंबर 2020 को इस सीट पर वोट डाले जाएंगे. चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.
इस बार के मुख्य उम्मीदवार
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कई सालों तक पुलिस की मोस्ट वांटेड लिस्ट में रहे मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह बिहार के बाहुबलियों में शामिल हैं. वहां स्थानीय इलाकों में उन्हें मनोरंजन के नाम से कम और धूमल सिंह के नाम से ज्यादा जाना जाता है. कहा जाता है कि एक समय ऐसा भी था जब इनकी इजाजत के बिना छपरा में परिंदा भी पर नहीं मार पाता था. इनके खिलाफ कई केस भी दर्ज हैं.
धूमल सिंह ने साल 2000 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार बनियापुर विधानसभा क्षेत्र से राजनीति की शुरुआत की, चुनाव लड़े और विधायक बन गए. इस सीट से वो 3 बार विधानसभा चुनाव जीते. उनका दबदबा इस कदर था कि 2005 में जेल में रहते हुए उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
दिलचस्प बात ये है कि उनके लिए इलाका और पार्टी कभी बड़ी नहीं रही. वो जहां से और जिस पार्टी से लड़े उन्हें जीत मिली. 2000 में निर्दलीय लड़कर चुनाव जीतने वाले धूमल सिंह ने फरवरी 2005 का विधानसभा चुनाव LJP के टिकट पर और नवंबर 2005 का चुनाव JDU के टिकट पर लड़ा और दोनों चुनावों में जीत दर्ज की.
इसके बाद परिसीमन हुआ और उन्होंने अपना चुनाव क्षेत्र बदल लिया, जिसके बाद 2010 के विधानसभा चुनाव में धूमल सिंह एकमा विधानसभा से चुनाव लड़े और यहां भी जीत का परचम लहराया. इसके बाद 2015 में उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को हराया. जेडीयू उम्मीदवार और बाहुबली धूमल 5 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामाना करना पड़ा था. धूमल सिंह को नीतीश कुमार का करीबी बताया जाता है.