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कोरोना वायरस की महामारी के बीच बिहार की 17वीं विधानसभा के लिए चुनाव शनिवार को तीसरे चरण के मतदान के साथ संपन्न हो गए हैं. साल 2020 का यह चुनाव अन्य साल में हुए चुनाव की तुलना में जरा अलग है. क्योंकि यह चुनाव ऐसे समय में हुआ जब कोरोना की मार झेलकर बिहार के प्रवासी मजदूर रोजगार छिन जाने के कारण मजबूरी में पलायन करके घर वापस लौटे थे.
अन्य राज्यों की तुलना में कम विकसित बिहार में युवाओं की बड़ी आबादी है. बेरोजगारी का संकट भी है जो और भी बढ़ गया है. अब, जब राज्य के वोटरों ने बेरोजगारी और विकास को सबसे बड़ा मुद्दा बताया है, तो ऐसे में सवाल लाजमी है कि बिहार के युवाओं की पसंद कौन.
युवाओं का भरोसा तेजस्वी पर
आजतक एक्सिस माय इंडिया के 2020 बिहार चुनाव के एग्जिट पोल दर्शा रहे हैं कि इस बार बिहार के युवाओं ने बढ़-चढ़कर तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महगठबंधन को अपना समर्थन दिया है. इस बार बिहार की लीडरशिप की लड़ाई में मुख्य तौर पर 2 किरदार हैं. एक तरफ 15 साल से कुर्सी पर पांव जमाए जनता दल यूनाइटेड के नीतीश कुमार हैं और दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल से महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार युवा तेजस्वी यादव. इन दोनों नेताओं की उम्र में काफी फासला है. जहां नीतीश 69 साल के हैं, वहीं तेजस्वी अभी 31 साल के.
आज तक एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के आंकड़े दर्शाते हैं कि तेजस्वी मुख्यमंत्री पद के लिए लोगों की पहली पसंद हैं. कुल 44 फीसदी लोगों ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी पहली पसंद बताया है. वहीं, नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के लिए 35 फीसदी लोगों की पसंद हैं. अगर इन आंकड़ों को वोटर्स की उम्र के हिसाब से देखें तो साफ है कि बिहार के युवाओं ने अपना प्यार तेजस्वी यादव पर ही न्यौछावर किया है.
आजतक एक्सिस पोल के आंकड़े दर्शाते हैं कि 18-25 वर्ष की आयु वाले वोटरों में से 47 फीसदी लोगों ने तेजस्वी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को चुना, वहीं इस युवा वर्ग के 34 फीसदी वोटरों ने ही नीतीश के नेतृत्व वाले एनडीए का समर्थन किया. ऐसा तब है, जब एनडीए के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी रैलियां कीं. 26 से 35 साल के कामकाजी लोगों के वर्ग में भी तेजस्वी का बोलबाला रहा. इस आयुवर्ग में जहां महागठबंधन को 47 फीसदी लोगों ने चुना, वहीं एनडीए को 36 फीसदी लोगों का समर्थन मिला.
36 से 50 आयुवर्ग में एनडीए आगे
36 से 50 साल के आयुवर्ग में मुकाबला कांटे का होता नजर आ रहा है. एग्जिट पोल के मुताबिक इस आयुवर्ग के लोगों के समर्थन की बात करें तो एनडीए आगे है. इस आयुवर्ग के 42 फीसदी लोगों ने एनडीए का समर्थन किया है, वहीं आरजेडी को 41 फीसदी लोगों का समर्थन मिलता नजर आ रहा है. खास बात यह है कि एनडीए को समर्थन देने वालों में प्रदेश के बुजुर्ग आगे हैं.
50 से 61 साल के लोगों ने एनडीए को अधिक पसंद किया है. एग्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक इस आयुवर्ग के 45 फीसदी लोगों ने एनडीए का समर्थन किया, वहीं महागठबंधन को केवल 40 फीसदी लोगों का ही समर्थन मिला. आजतक एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल के आंकड़े यह बताते हैं कि 61 साल से अधिक उम्र के लोगों में से 48 फीसदी ने एनडीए, 38 फीसदी ने महागठबंधन का समर्थन किया.
एनडीए का नुकसान
भले ही प्रदेश के बुजुर्गों में एनडीए लोकप्रिय रहा, लेकिन युवाओं को न लुभा पाना नीतीश कुमार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2018 के अनुसार बिहार की 74 फीसदी आबादी 35 साल से कम उम्र की है. देश की औसत के हिसाब से देखें तो बिहार काफी युवा है. राष्ट्रीय औसत की बात करें तो कुल आबादी में 35 साल से कम उम्र के युवाओं की भागीदारी 65 फीसदी है. बिहार की कुल आबादी में बुजुर्गों की भागीदारी महज छह फीसदी है.
सोशल मीडिया, विद्यार्थी और बेरोजगारी
आजतक एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल के अनुमान पूर्व के चुनावों में काफी सटीक रहे हैं. इस एग्जिट पोल के मुताबिक युवाओं का रूझान तेजस्वी यादव की ओर है. सोशल साइट फेसबुक पर भी तेजस्वी यादव की लोकप्रियता काफी अधिक है. छात्रों और बेरोजगारी के मुद्दों को हाईलाइट करना कहीं न कहीं उनके पक्ष में जाता दिख रहा है. महागठबंधन को 49, एनडीए को 33 फीसदी छात्रों का समर्थन मिलता दिख रहा है. बेरोजगारों में भी महागठबंधन को 47 फीसदी, एनडीए को 35 फीसदी का समर्थन मिला.