scorecardresearch
 

एग्जिट पोल: महिला वोटर्स ने एनडीए की जगह महागठबंधन को दी तवज्जो

एग्जिट पोल के नतीजे कहते हैं कि महागठबंधन को महिलाओं और पुरुषों का समर्थन लगभग बराबर है. महागठबंधन को 43 फीसदी महिला वोटर्स का समर्थन मिला जबकि 44 फीसदी पुरुषों ने भी महागठबंधन को वोट दिया है.

Advertisement
X
महिला वोटर्स ने इस बार महागठबंधन को ज्यादा पसंद किया (पीटीआई)
महिला वोटर्स ने इस बार महागठबंधन को ज्यादा पसंद किया (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सर्वेः 43% महिला मतदाताओं ने महागठबंधन को वोट किया
  • एलजेपी को भी महिला-पुरुष वोटर्स का बराबर समर्थन मिला
  • बिहार की 243 विधानसभा सीटों में 63,081 सैंपल के साथ सर्वे

बिहार में एक दशक से ज्यादा पुराने रुझान को पीछे छोड़ते हुए ज्यादातर महिला मतदाताओं ने नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) की बजाय महागठबंधन को तवज्जो दी है. ये बात इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एक्जिट पोल में सामने आई है.

Advertisement

एग्जिट पोल के नतीजे दिखाते हैं कि 43 फीसदी महिला मतदाताओं ने महागठबंधन को वोट करना पसंद किया, जबकि 42 फीसदी महिलाओं ने एनडीए को चुना. माना जाता है कि बिहार में नीतीश कुमार की लगातार चुनावी जीत के पीछे महिला वोटर का 'मौन समर्थन' रहता आया है. लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि बिहार चुनाव में नीतीश को महिला वोटर्स की नाराजगी झेलनी पड़ी है.
 
हालांकि, एग्जिट पोल ये भी दिखाता है कि एनडीए को पुरुषों से ज्यादा महिलाओं का समर्थन मिला है. सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए को 42 फीसदी महिला वोटर्स और 37 फीसदी पुरुष वोटर्स का समर्थन मिला है.

एग्जिट पोल के नतीजे कहते हैं कि महागठबंधन को महिलाओं और पुरुषों का समर्थन लगभग बराबर है. महागठबंधन को 43 फीसदी महिला वोटर्स का समर्थन मिला जबकि 44 फीसदी पुरुषों ने भी महागठबंधन को वोट दिया है.

Advertisement

पोल के मुताबिक, एलजेपी को भी महिला और पुरुष वोटर्स का बराबर समर्थन मिला है. सात फीसदी महिलाओं और सात ही फीसदी पुरुषों ने एलजेपी को वोट किया है.

पिछले महीने लोकनीति-सीएसडीएस ने इंडिया टुडे के लिए एक ओपिनियन पोल किया था, जिसमें देखा गया कि बिहार में नीतीश के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को महिलाओं का खासा समर्थन था. ओपिनियन पोल में सामने आया था कि एनडीए गठबंधन को 41 फीसदी महिलाओं का समर्थन है, जबकि आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 31 फीसदी महिलाओं का ही समर्थन है. बाकी 28 फीसदी महिलाएं अन्य दलों को समर्थन करती दिखी थीं.

2005 में सत्ता में आने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में लड़कियों और महिलाओं के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. उन्होंने छात्राओं के लिए मुफ्त साइकिल योजना की शुरुआत की, पंचायत और नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण दिया, महिला स्वयं-सहायता समूहों (एसएचजी) के गठन पर जोर दिया, 12वीं की छात्राओं को वित्तीय सहायता प्रदान की, स्नातक स्तर की पढ़ाई करने की इच्छुक छात्राओं को मदद की, सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की शुरुआत की. महिलाओं की मांग पर ही नीतीश ने 2016 में राज्य में शराबबंदी लागू की थी.

Advertisement

हालांकि, नीतीश की महिला समर्थक छवि को 2018 में तब धक्का लगा जब मुजफ्फरपुर में कुख्यात आश्रय गृह यौन शोषण कांड सामने आया.

विधानसभा चुनाव 2020 के पहले भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘सात निश्चय पार्ट-2’ जारी किया. इन सात में से एक निश्चय था ‘सशक्त महिला सक्षम महिला’. इसके तहत नीतीश ने वादा किया था कि महिलाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना लाई जाएगी.

सीएम नीतीश ने 12वीं में पढ़ने वाली अविवाहित छात्राओं के लिए सरकारी अनुदान को 12,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये, और स्नातकों (विवाहितों सहित) के लिए 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया. ये व्यवस्था जाति और समुदाय से परे रखी गई. 2010 के बाद से महिला मतदाताओं ने वोटिंग में बढ़-चढ़कर भागीदारी शुरू की और पुरुषों को पीछे छोड़ दिया.

देखें: आजतक LIVE TV

2010 के विधानसभा चुनाव में ये पहली बार था जब महिला वोटर्स (54.85%) ने पुरुष वोटर्स (50.70%) की तुलना में ज्यादा वोटिंग की. 2015 के चुनावों में 59 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. 2019 के लोकसभा चुनावों में करीब 60 फीसदी महिलाओं ने वोट डाले. बड़ी संख्या में महिलाओं का वोटिंग करना ये संकेत था कि नीतीश को महिलाओं का समर्थन हासिल है. बिहार में 7.2 करोड़ वोटर्स में से 3.4 करोड़ महिलाएं हैं.  

Advertisement

इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल ने 63,081 सैंपल के साथ बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर ये सर्वे किया है.

Advertisement
Advertisement