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मौका मिला तो चुनाव लड़ूंगा, VRS के लिए किया गया मजबूर: गुप्तेश्वर पांडेय

वीआरएस लेने के एक दिन बाद पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने अपने फेसबुक लाइव के जरिए चुनाव लड़ने की संभावना के बारे में कहा कि क्या चुनाव लड़ना पाप है. वीआरएस लेकर चुनाव लड़ना पाप है. क्या मैं ऐसा पहली बार कर रहा हूं.

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बिहार सरकार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय (फाइल-पीटीआई)
बिहार सरकार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय (फाइल-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गुप्तेश्वर पांडेय ने एक दिन पहले ही लिया वीआरएस
  • पूर्व DGP- मैं किसी से डर कर बैठने वाला नहीं
  • 'VRS लेकर चुनाव लड़ना पाप, क्या पहली बार ऐसा हो रहा'

गुप्तेश्वर पांडेय ने एक दिन पहले मंगलवार को बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया. वीआरएस लेने के एक दिन बाद बुधवार को फेसबुक लाइव में उन्होंने कहा कि मौका मिला तो मैं चुनाव लडूंगा. मैं स्वतंत्र नागरिक हूं. निश्चित तौर पर चुनाव में आऊंगा. मैं किसी से डर कर बैठने वाला नहीं. 

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बिहार सरकार के पुलिस महानिदेशक और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1987 बैच के अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय ने इससे पहले वीआरएस का आवेदन दिया था, जिसे राज्य सरकार ने मंजूर कर लिया. गुप्तेश्वर पांडेय को पिछले साल बिहार का पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बनाया गया था. गुप्तेश्वर अगले साल फरवरी में सेवानिवृत्त होने वाले थे.

वीआरएस लेने के एक दिन बाद पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने अपने फेसबुक लाइव के जरिए चुनाव लड़ने की संभावना के बारे में कहा, 'क्या चुनाव लड़ना पाप है. वीआरएस लेकर चुनाव लड़ना पाप है. क्या मैं ऐसा पहली बार कर रहा हूं.'

'क्या मैंने सुशांत केस में गलत कर दिया'

उन्होंने कहा, 'कुछ लोग मेरे वीआरएस को सुशांत सिंह राजपूत केस से जोड़ कर देख रहे हैं. क्या सुशांत केस में मैंने गलत कर दिया. मुझे फांसी लगा दीजिएगा. गोली मारिएगा, आखिर कौन सा अपराध कर दिया. बिहार का बेटा था वो. देश की शान था वो. मेरे वीआरएस को लेकर सुशांत से जोड़ कर क्यों देखा जा रहा है.' उन्होंने कहा कि जिस दिन सुशांत की मौत की खबर आई उसके अगले दिन उनके पिता से मिलने गया. 

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गुप्तेश्वर पांडेय ने एफबी लाइव में कहा, 'मैंने 34 साल की नौकरी में कभी भी किसी को थप्पड़ मारना क्या, किसी को ऊंची आवाज में नहीं बोला. हर किसी से प्यार से बोला. मेरे कार्यकाल में पुलिस मुख्यालय का दरवाजा आम लोगों के लिए खोल दिया गया था.'

डीजीपी बनने के बाद आम लोगों के लिए पुलिस मुख्यालय का दरवाजा खोल दिया गया. हर जाति-धर्म समुदाय के लोगों के लिए दरवाजे खुले रहे. कल तक मेरे वीआरएस लेने तक लोग मेरे ऑफिस आते रहे. समस्या सुनने के बाद संबंधित एसपी से संपर्क करके समाधान का रास्ता निकाला जाता था.

'VRS के लिए मजबूर किया गया'

वीआरएस लेने को लेकर बिहार के पूर्व डीजीपी ने कहा, 'मैं भावुक इंसान हूं, मैं भावुकता के साथ काम करता हूं. वीआरएस लेने का मेरा कोई इरादा नहीं था. लेकिन मुझे वीआरएस लेने को मजबूर कर दिया गया. 1 हजार से ज्यादा कॉल आते थे. 5,500 तक मैसेज भी आते थे. इन्हें अटैंड करना आसान होता है क्या. मेरे वीआरएस को लेकर जमकर हंगामा मचा दिया.'

उन्होंने कहा कि पत्रकार, अफसर और नेता लोग पूछने लगे कि आप कब इस्तीफा दे रहे हैं. लोगों के लगातार सवालों ने मुझे परेशान कर दिया. एक पोर्टल ने एक महीने पहले ही मेरे इस्तीफा की खबर चला दी.

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पूर्व डीजीपी ने कहा, 'अब बिहार में चुनाव होने वाले हैं. यहां पर कभी भी आचार संहिता लागू हो सकती है. इतनी अफवाह उड़ने के बाद अगर मैं काम करता तो पक्षपात का आरोप लगता. 34 साल के करियर में निष्पक्षता के साथ काम किया और अब कुछ महीने रह गए हैं तो मुझ पर आरोप लगते. जनता से जुड़े रहना मेरे स्वभाव में है.'

गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा, 'मैं एक गरीब किसान का बेटा हूं. मेरे चुनाव के दौरान किसी भी स्तर (लोकल, राज्य और आम चुनाव) पर किसी भी नेता ने मेरी निष्पक्षता पर कोई सवाल नहीं उठाया. किसी भी दल के जन प्रतिनिधि, मुखिया सरपंच ने मेरे ऊपर किसी तरह की आलोचना नहीं कि मैंने निष्पक्षता के साथ काम नहीं किया.'

'CM नीतीश ने कभी दखल नहीं दिया'
 
उन्होंने कहा, 'मैंने किसी का कभी कोई नुकसान नहीं किया. परेशानियां उठानी पड़ी हैं. मेरी लोकप्रियता से किसी को जलन हो. राजनीतिक कारण से अपने स्तर पर मुझसे ईर्ष्या करता है तो क्या कर सकता हूं.' उन्होंने कहा कि बिहार में पुलिस व्यवस्था को सुधारने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अहम योगदान रहा है. नीतीश कुमार कभी भी पुलिस के काम में हस्तक्षेप नहीं करते. अब आप इसे राजनीतिक बयान समझ सकते हैं. 

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पूर्व डीजीपी पांडेय ने अपने भविष्य के बारे में संकेत देते हए कहा, 'मैं अगर किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाऊं, रिटायर होने के बाद क्या करूं. अब क्या करूं मर जाऊं. ट्रोल के डर से डर जाऊं. हताशा के डर से बैठ जाऊं. मौका मिला तो मैं चुनाव लडूंगा. मैं स्वतंत्र नागरिक हूं. निश्चित तौर पर चुनाव में आऊंगा.'

उन्होंने कहा, 'अगर मुझे पैसे की जरुरत होती तो अफसर के तौर पर खूब पैसा कमाता. मैं चुनाव इसलिए लड़ना चाहता हूं कि सेवा की जाए. मैंने 34 साल सेवा की और आगे भी सेवा करना चाहता हूं. लोगों के डर से घर मैं बैठने वाला नहीं.' उन्होंने कहा कि 60 साल की उम्र में 34 साल की सेवा में किसी गरीब का दिल नहीं दुखाया. किसी को आने से नहीं रोका. कई साल पहले मैंने महादलित की बेटी को कन्यादान दिया.

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