महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस को बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का बिहार प्रभारी नियुक्त किया गया है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह की ओर से जारी एक पत्र में कहा गया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने देवेंद्र फडणवीस को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त किया है. यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी.
वहीं, बिहार चुनाव को लेकर पार्टी की बैठक के बाद बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव ने कहा कि एलजेपी, बीजेपी और जेडीयू तीनों मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. सीट बंटवारे का फैसला दो दिनों में हो जाएगा. केंद्रीय नेतृत्व को राजनीतिक स्थिति के बारे में बताया गया है और अभियान की रणनीति पर चर्चा की गई है. हम सोशल वेलफेयर एजेंडे के साथ पीएम के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे.
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @JPNadda ने श्री @Dev_Fadnavis, पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र को आगामी बिहार विधान सभा चुनाव हेतु चुनाव प्रभारी नियुक्त किया। pic.twitter.com/BDl4luR8il
— BJP (@BJP4India) September 30, 2020
बता दें कि बिहार चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर आज दिल्ली में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए और कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन के नेताओं की अपनी-अपनी महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है. बीजेपी और जेडीयू के नेता दिल्ली पहुंच गए हैं. एलजेपी को निर्णय करने के लिए अल्टीमेटम भी आज शाम तक का है.
एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला
पहला फॉर्मूला ये बनाया जा रहा है कि सूबे की 243 सीटों में से बीजेपी और जेडीयू 100-100 सीटों पर चुनाव लड़े और बाकी बची 43 सीटें में से सहयोगी दल एलजेपी और जीतनराम मांझी की दी जाएं. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव की तर्ज पर एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे को लेकर 50:50 फॉर्मूले पर सहमति की बात हो रही है.
बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं. लोकसभा फॉर्मूले के तहत जेडीयू को 122 और बीजेपी को 121 सीट मिल सकती हैं. इसके बाद बीजेपी अपने कोटे से एलजेपी को तो जेडीयू अपने कोटे से जीतनराम मांझी को सीट देने के फॉर्मूले को अपना सकते हैं. हालांकि, इस फॉर्मूल के तहत बीजेपी की अपनी सीटें कम हो सकती हैं, क्योंकि एलजेपी को कम से कम 25 से 30 सीटें देनी ही होंगी.
वहीं, माना जा रहा है कि नीतीश अपने कोटे से जीतन राम मांझी की पार्टी को 6-8 सीट दे सकते हैं. नीतीश अगर मांझी की पार्टी को इससे ज्यादा सीटें देते हैं तो इसका मतलब होगा कि जेडीयू अपने कुछ उम्मीदवारों को हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ा सकती है.