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गोरेयाकोठी विधानसभा सीटः BJP-RJD में टक्कर, क्या इस बार भी जलेगी लालटेन?

साल 2015 के विधानसभा चुनाव में गोरेयाकोठी से राजद के उम्मीदवार सत्यदेव प्रसाद सिंह को जीत मिली थी. इस सीट पर सत्यदेव प्रसाद को 70 हजार से ज्यादा वोट मिले. वहीं, दूसरे स्थान पर बीजेपी के देवेशकांत सिंह थे.

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Goriyakothi assembly seat election 2020, RJD MLA SATYADEO PRASAD SINGH
Goriyakothi assembly seat election 2020, RJD MLA SATYADEO PRASAD SINGH

बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, तीन चरणों में हुए चुनावों में इस बार कुल 59.94 फीसदी वोटिंग हुई है. अब 10 नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की गोरेयाकोठी विधानसभा सीट पर इस बार 3 नवंबर को वोट डाले गए, यहां कुल 57.61% मतदान हुआ. गोरियाकोठी विधानसभा क्षेत्र बिहार के सीवान जिले में स्थित है और महराजगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस सीट से फिलहाल आरजेडी नेता सत्यदेव प्रसाद सिंह विधायक हैं. सत्यदेव सिंह पहले बीजेपी के नेता हुआ करते थे लेकिन बाद में वो आरजेडी के साथ हो गए और पिछले चुनाव में उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार देवेश कांत सिंह को 7 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर मात दी थी.

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हालांकि, इस बार उन्हें आरजेडी टिकट देगी या उम्मीदवार बदलेगी इस पर भी संशय है. बताया जा रहा है कि इस बार आरजेडी सत्यदेव सिंह की जगह लालू परिवार के बेहद करीबी रामायण चौधरी को यहां से टिकट दे सकती हैं. रामायण चौधरी सवर्ण वोटर्स के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं. 

राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस सीट के इतिहास पर नजर डालने पर पता चलता है कि यहां के वोटर पार्टी देखकर नहीं बल्कि उम्मीदवार के नाम पर वोट डालते रहे हैं. फिर चाहे वो उम्मीदवार पार्टी बदल ही क्यों न ले. जैसे 1977 में जनता पार्टी के नेता रहे इंद्रदेव प्रसाद ने बाद में बीजेपी, जनता दल और आरजेडी में रहे. लेकिन लोगों के लिए उनके प्रति प्यार कम नहीं हुआ. वो बीजेपी, जनता दल और आरजेडी में रहते हुए चुनाव जीते. 

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हालांकि, इस सीट पर अभी तक कांग्रेस को सिर्फ 4 बार ही जीत हासिल हो सकी है. कांग्रेस के उम्मीदवारों को 1980  के बाद से जीत नहीं मिल सकी है. इसके अलावा बीजेपी और आरजेडी को 3-3 बार और जनता दल के उम्मीदवार 2 बार इस सीट से जीते हैं.

2010 में बीजेपी से जीत हासिल करने वाले भुमेंद्र नारायण सिंह को 2015 में बीजेपी से टिकट नहीं मिला. उनकी जगह देवेश कांत सिंह को टिकट मिला और वो आरजेडी के उम्मीदवार सत्यदेव सिंह से 7 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए. 

हलांकि, 2015 के चुनावों में महज 4 फीसदी कम वोट पाने वाली बीजेपी को इस बार जेडीयू का साथ है. बता दें कि 2015 में जेडीयू और आरजेडी एक साथ लड़े थे. ऐसे में इस बार ये सीट एनडीए के खाते में भी जा सकती है.

सामाजिक ताना-बाना
गोरेयाकोठी में यादव और मुसलमान वोटर टर्निंग प्वाइंट साबित होते रहे हैं. अब तक के पैटर्न में ये वोट बैंक एकमुश्त राजद के खाते में जाते रहे हैं. महराजगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले गोरियाकोठी विधानसभा क्षेत्र की आबादी करीब 457837 है और ये पूरी तरह से ग्रामिण आबादी है. यहां 10.84 फीसदी लोग अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के हैं और 1.3 फीसदी लोग अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग से आते हैं. 

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2015 का जनादेश
साल 2015 के विधानसभा चुनाव में गोरेयाकोठी से राजद के उम्मीदवार सत्यदेव प्रसाद सिंह को जीत मिली थी. इस सीट पर सत्यदेव प्रसाद को 70 हजार से ज्यादा वोट मिले. वहीं, दूसरे स्थान पर बीजेपी के देवेशकांत सिंह थे. देवेशकांत सिंह को करीब 63 हजार वोट मिले थे. इसके अलावा तीसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन राम और चौथे स्थान पर रेणू यादव थीं.

2019 के लोकसभा चुनावों में इस सीट पर 55.81 फीसदी वोटिंग हुई थी. वहीं, 2015 के विधानसभा चुनावों में यहां का वोटिंग परसेंटेज 55.44 फीसदी रहा था. वोटिंग परसेंटेज की बात करें तो 2015 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आरजेडी को 42.75 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, दूसरे नंबर पर रही बीजेपी को 38.14 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.

दूसरे चरण में 3 नवंबर 2020 को इस सीट पर वोट डाले जाएंगे. चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.

इस बार के मुख्य उम्मीदवार

  • बीजेपी - देवेश कांत सिंह
  • आरजेडी - नुतन देवी
  • आरएलएसपी - सत्यदेव प्रसाद सिंह

मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
विधायक सत्यदेव प्रसाद सिंह का जन्म सिवान जिला के कौरिया में हुआ था. वो 1974 में जयप्रकाश नारायण द्वारा खड़े किए गए छात्र आंदोलन में बढ़-चढ़कर शामिल हुए थे. इस दौरान 18 मार्च, 1974 में छपरा में उनकी गिरफ्तारी भी हुई और उन्हें जेल जाना पड़ा. यही नहीं, 5 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक लागू आपातकाल के दौरान 19 जुलाई, 1975 को भी उनकी गिरफ्तारी हुई, जिसके बाद भागलपुर स्पेशल सेंट्रल जेल में 17 महीने तक जेल की सजा काटी. साल 2000 में भी वो विधानसभा चुनाव जीते थे.

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इसके बाद 2015 में आरजेडी के टिकट से जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे. दिलचस्प बात ये है कि आरजेडी से पहले वो भारतीय जनता पार्टी में थे और भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे. इसके अलावा वो बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर भी रहे. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल का दामन थाम लिया.

 

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