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मधुबनी जिले के अंतर्गत आने वाली हरलाखी विधानसभा सीट जेडीयू के सुधांशु शेखर ने एक बार जीत हासिल कर ली है. सुधांशु शेखर को 60 हजार से ज्यादा वोट मिले. वहीं, महागठबंधन की ओर से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार राम नरेश पांडेय को 42800 वोट ही प्राप्त हो सके. इस तरह वो इस सीट पर दूसरे नंबर पर रहे.
इन्होंने 2016 के उपचुनाव में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से जीत दर्ज की थी लेकिन मई 2019 में पार्टी छोड़कर जेडीयू में शामिल हो गए थे. इससे पहले 2015 के चुनाव में इस सीट पर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता बसंत कुमार को जीत मिली थी. उन्होंने कांग्रेस के निकटम प्रतिद्वंद्वी मोहम्मद शब्बीर को हराया था. इसके बाद 2016 में हुए उपचुनाव में इस सीट से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के सुधांशु शेखर को जीत मिली थी. हालांकि वे 26 मई 2019 को राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी छोड़कर जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए थे.
मधुबनी जिले के अंतर्गत कुल 10 विधानसभाएं आती हैं. हरलाखी, बेनीपट्टी, खजौली, बाबूबरही, बिस्फी, मधुबनी, राजनगर, झांझरपुर, फुलपरास और लौखहा. दरअसल, दुर्भाग्य से चुनाव जीतने के बाद बसंत कुमार का आकस्मिक निधन हो गया. वे शपथ भी नहीं ले सके थे. जिसके बाद साल 2016 में इसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराए गए. इस चुनाव में बसंत कुमार के बेटे सुधांशु शेखर ने जीत हासिल की.
2015 का चुनाव
2015 के चुनाव में तब आरएलएसपी एनडीए का हिस्सा थी. उस चुनाव में हरलाखी विधानसभा सीट से बसंत कुमार ने महागठबंधन के समर्थन वाले मोहम्मद शब्बीर को पटखनी दी थी. उससे पहले साल 2010 के चुनाव में जनता दल यूनाइटेड का इस सीट पर कब्जा था. इस सीट से शालिग्राम यादव विधायक चुने गए थे. उन्होंने सीपीआई के राम नरेश पांडेय को पटखनी दी थी. इस सीट पर कुल 16 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें 2 उपचुनाव शामिल हैं.
1951 से चले आ रहे वोटिंग पैटर्न को देखें तो इस विधनासभा सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और कांग्रेस का दबदबा रहा है.
इस चुनाव में कुल चार चेहरे प्रमुख रहे. सुधांशु शेखर को 62,434 मत मिले, तो कांग्रेस के मोहम्मद शब्बीर को 43,784 वोट मिले. सीपीआई के राम नरेश पांडेय को 19,835 वोट मिले तो मदन चंद्र झा को 2,826 वोट मिले.
सीट का इतिहास
1951 में इस सीट पर पहली बार चुनाव संपन्न कराए गए. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के अनक किशोर देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी राजेंद्र नारायण चौधरी को मात दी थी. 1962 के चुनाव में इस सीट से सीपीआई के बद्रीनाथ यादव को जीत मिली थी. उन्होंने कांग्रेस पार्टी की नेता रामदुलारी शास्त्री को चुनावी समर में पटखनी दी थी. फिर 1967 के चुनाव में भी इस सीट से बैद्यनाथ यादव को ही जीत मिली थी. लगातार दो बार सीपीआई का इस सीट पर कब्जा रहा. फिर 1969 और 1972 के चुनाव में कांग्रेस को यह सीट हासिल हुई.
सामाजिक ताना बाना
इस विधानसभा में कुल 2,58,296 वोटर्स हैं, जिनमें 1,35,504 पुरुष और 1,22,784 महिलाएं हैं. आठ थर्ड जेंडर भी यहां के वोटर हैं. 2015 के चुनाव में यहां कुल 56.23 फीसदी मत पड़े थे. मधुबनी अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान के लिए विख्यात है. मधुबनी आर्ट और हस्तशिल्प का देशभर में क्रेज है. यह मिथिला संस्कृति के केंद्र के तौर पर जानी जाती है. आज मधुबनी कला विश्वभर में विख्यात है.
57.31% लोगों ने किया वोट
तीसरे चरण में 15 जिलों की 78 सीटों पर चुनाव हुए. हरलाखी में भी तीसरे चरण के तहत 7 नवंबर को वोटिंग हुई. हरलाखी विधानसभा में कुल 57.31 फीसदी लोगों ने वोट किया है.
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