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हरनौत विधानसभा सीट: JDU का अभेद किला, नीतीश का राजनीतिक सफर यहीं से हुआ था शुरू

हरनौत विधानसभा सीट का गठन 1977 में हुआ. यहां पर हुए पहले चुनाव में निर्दलीय भोला प्रसाद को जीत मिली. उन्होंने नीतीश कुमार को शिकस्त दी थी. हरनौत विधानसभा सीट से नीतीश कुमार चार बार चुनाव लड़े. जिसमें उन्हें 1977 और 1980 के चुनाव में हार मिली, जबकि 1985 और 1995 के चुनाव में विजयी हुए.

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बिहार के सीएम नीतीश कुमार (फोटो- PTI)
बिहार के सीएम नीतीश कुमार (फोटो- PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हरनौत विधानसभा सीट का गठन 1977 में हुआ
  • नीतीश कुमार चार बार यहां से चुनाव लड़े
  • दो बार हरनौत से चुनाव जीत चुके हैं नीतीश कुमार

बिहार की हरनौत विधानसभा सीट नालंदा जिले में आती है. ये नालंदा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. हरनौत सीट को जेडीयू का अभेद किला माना जाता है. 2005 से लेकर अबतक हुए चुनावों में पार्टी यहां से लगातार जीतती रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर हरनौत से ही शुरू हुआ था.

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सामाजिक ताना-बाना

हरनौत विधानसभा सीट बिहार के नालंदा जिले में आती है. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की जनसंख्या 422763 है. अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) का अनुपात कुल आबादी से क्रमशः 24.15 और 0.06 है.
हरनौत विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से टाल क्षेत्र में आता है और मोकामा के बाद दलहन-तिलहन के लिए यह टाल क्षेत्र मशहूर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर हरनौत से ही शुरू हुआ था. टाल क्षेत्र को मुद्दा बना कर उन्होंने राजनीति में कदम रखा था. यह विधानसभा क्षेत्र पहले चंडी विधानसभा क्षेत्र कहलाता था, लेकिन परिसीमन के बाद हरनौत प्रखंड और चंडी प्रखंड को मिला कर हरनौत विधानसभा क्षेत्र बनाया गया. 

2015 का जनादेश

2015 के विधानसभा चुनाव में हरनौत में 287953 मतदाता थे. इसमें से 53.09 फीसदी पुरुष और 46.91 महिला वोटर्स थीं. हरनौत में 156772 मतदाता थे. यहां पर 54 फीसदी वोटिंग हुई थी. जेडीयू के हरिनारायण सिंह ने एलजेपी के अरुण कुमार को मात दी थी. हरिनारायण सिंह को 71933 (45.91 फीसदी) वोट और अरुण कुमार को 57638 (36.78 फीसदी) वोट मिले थे.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

हरनौत विधानसभा सीट का गठन 1977 में हुआ. यहां पर हुए पहले चुनाव में निर्दलीय भोला प्रसाद को जीत मिली. उन्होंने नीतीश कुमार को शिकस्त दी थी. हरनौत विधानसभा सीट से नीतीश कुमार चार बार चुनाव लड़े. जिसमें उन्हें 1977 और 1980 के चुनाव में हार मिली, जबकि 1985 और 1995 के चुनाव में विजयी हुए. हरनौत सीट को जेडीयू का अभेद किला माना जाता है. 2005 से लेकर अबतक हुए चुनावों में पार्टी यहां से लगातार जीतती रही है. 

15 साल से जेडीयू का कब्जा

हरनौत विधानसभा सीट पर 15 साल से जेडीयू का कब्जा है. 2015 के चुनाव में जेडीयू के हरिनारायण सिंह ने एलजेपी के अरुण कुमार को मात दी. उससे पहले 2010 के चुनाव में भी जेडीयू के टिकट पर ही हरिनारायण सिंह यहां से विजयी हुए, उससे पहले 2005 में हुए दो चुनावों में जेडीयू के सुनील कुमार ने जीत हासिल की. 

विधायक के बारे में

हरनौत के विधायक हरिनारायण सिंह का जन्म 20 फरवरी 1945 को हुआ. नालंदा के महमदपुर में जन्मे हरिनारायण सिंह की शैक्षणिक  योग्यता स्नातक है. उन्होंने 1967 में राजनीति में प्रवेश किया. इमरजेंसी के दौरान वह मीसा के तहत जेल में भी रहे. वो दो वर्ष तक बंदी रहे. 1977 में हरिनारायण सिंह ने राजनीति में प्रवेश किया. हरिनारायण सिंह 2010 में चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे. 

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ये प्रत्याशी हैं मैदान में

हरनौत नालंदा विधानसभा सीट पर 24 उम्मीदवार मैदान में हैं. यहां से कांग्रेस के कुंदन कुमार, एलजेपी की ममता देवी, जेडीयू के हरि नारायण सिंह प्रत्याशी हैं.

कितनी हुई वोटिंग

हरनौत में दूसरे चरण के तहत मतदान हुआ. यहां पर 3 नवंबर को वोटिंग हुई. हरनौत में 51.68 फीसदी मतदान हुआ. मतगणना 10 नवंबर को की जाएगी.
 

 

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