बिहार विधानसभा के चुनाव नतीजों के आने के बाद चिराग पासवान यूं तो बड़ी-बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं, साथ ही मीडिया से जमकर बातचीत भी हो रही है लेकिन एक सवाल जिसने चिराग पासवान को भावुक कर दिया.
आजतक ने अपनी खास बातचीत में चिराग पासवान से एक ऐसा सवाल पूछ लिया, जिसने चिराग को भावुक कर दिया. हमने चिराग से यह पूछा था कि आज अगर उनके पापा और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान जीवित होते तो चुनावी नतीजों पर अपने बेटे चिराग से क्या कहते?
इस इमोशनल सवाल पर चिराग पासवान थोड़े ठिठक तो जरूर गए, लेकिन अपने अनूठे अंदाज में जवाब भी दिया. चिराग ने थोड़ी देर रुक कर कहा, 'यह आपने कैसा सवाल पूछ लिया जो मुझे भावुक कर गया.'
यूं तो चिराग हर सवाल का फटाफट जवाब देते हैं, लेकिन इस सवाल को सुनने के बाद वह 2 सेकंड के लिए जवाब देते-देते रुके. उनका पहला जवाब यह था कि मैं अपने पापा को बहुत मिस कर रहा हूं. लेकिन जब सवाल दोबारा पूछा गया कि आखिरकार पापा आपकी इस चुनावी यात्रा पर कहते तो चिराग की तरफ से जवाब आया, 'आज पापा को गर्व जरूर होता. हमने पहली बार अपने दम पर चुनाव लड़ा और साथ ही साथ 6% वोट भी हासिल किया. यह उपलब्धि है जो पापा भी अपने दम पर हासिल करना चाहते थे.' उन्होंने कहा कि आज तक हमें सभी "पिछलग्गू पार्टी" कहते थे लेकिन आज हमने वह पहचान बदल दी है.
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बीजेपी के नेता भी एनडीए के लिए स्पॉयलर इन चीफ कह रहे हैं, चिराग ने इसके जवाब में कहा कि यह कहना गलत है कि उन्होंने पूरे एनडीए को नुकसान पहुंचाया. चिराग ने बिना किसी हिचक के यह साफ किया कि वह जनता दल यूनाइटेड को तो नुकसान पहुंचाना चाहते थे और उन्होंने कई सारी सीटों पर उन्हें नुकसान पहुंचाया भी है. लेकिन एनडीए की दूसरी सहयोगी बीजेपी के बारे में भी वह कहते हैं कि कई सारी सीटें बीजेपी उनकी वजह से जीती क्योंकि उन्होंने वोटरों से अपील की थी कि वह वोट बीजेपी को करें जहां पार्टी का अपना उम्मीदवार नहीं है.
जब चिराग से यह पूछा गया कि क्या बीजेपी के प्रति उनका एकतरफा प्यार है क्योंकि बीजेपी तो उन्हें अपना सहयोगी मानती ही नहीं. तो चिराग ने जवाब दिया कि वह पीएम नरेंद्र मोदी से प्रभावित हैं और मोदी ही एक ऐसा चेहरा है जो देशभर में विकास की गति को तेज कर सकता है, इसीलिए उनके प्यार को एकतरफा मानने की जरूरत नहीं है. बल्कि यह मानना सियासत से ऊपर है और देश हित में है.
गौरतलब है कि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव को अपने दम पर लड़ा. लेकिन उन्होंने उम्मीदवार ज्यादातर वहीं खड़े किए जहां बीजेपी का कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा था. हालांकि तेजस्वी यादव के क्षेत्र राघोपुर सहित 5 विधानसभा क्षेत्र ऐसे थे जहां पर उनका बीजेपी के साथ फ्रेंडली मैच भी हुआ.