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किशनगंज: बिहार का ऐसा जिला जहां मुस्लिमों के हाथ में रहती है सत्ता की चाबी

यह बिहार का अकेला जिला है जहां मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है. जिले में  करीब 68 फीसदी मुस्लिम आबादी है तो लगभग 31 फीसदी हिंदू आबादी है. जिले में वोटों का गणित देखते हुए विधानसभा सीटों पर भी सभी पार्टियां मुस्लिम उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती हैं.

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किशनगंज में चाय बागान (फोटो- NIC)
किशनगंज में चाय बागान (फोटो- NIC)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मुस्लिम बहुल आबादी वाला जिला है किशनगंज
  • मुस्लिम मतदाता तय करते हैं जिले की राजनीतिक तस्वीर 
  • नेपाल और पश्चिम बंगाल से घिरा है किशनगंज

किशनगंज एक और से नेपाल और दूसरी ओर से पश्चिम बंगाल से घिरा हुआ बिहार का अहम जिला है. यह पूर्णिया डिविजन का हिस्सा है. यह पश्चिम में बिहार का अररिया जिला, दक्षिण-पश्चिम में पूर्णिया जिला, पूर्व में पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिला, और उत्तर में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और नेपाल से घिरा हुआ है. पश्चिम बंगाल की लगभग 20 किमी चौड़ी पट्टी इसे बांग्लादेश से अलग करती है. 

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किशनगंज जिले के गठन की कहानी
किशनगंज पूर्णिया के पुराना और अहम अनुमंडल रहा है. सोशल वर्कर्स, नेताओं, पत्रकारों, व्यापारियों, किसानों समेत किशनगंज के लोगों के 17 साल के लंबे और कठिन संघर्ष के बाद, किशनगंज 1990 में स्वतंत्र जिले के तौर पर सामने आया. जिले में महानंदा, कनकी, मेची, डोंक रतुआ नदियां प्रमुख तौर पर बहती हैं. किशंनगंज बिहार में चाय पैदा करने वाला एकमात्र जिला है. 

किशनगंज का सामाजिक तानाबाना
2011 की जनगणना के अनुसार किशनगंज जिले की आबादी करीब 17 लाख है. जिले में जनसंख्या का घनत्व 898 प्रति व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. किशनगंज में बिहार के कुछ जिलों के मुकाबले लिंगानुपात थोड़ा कम खराब है. यहां प्रत्येक 1,000 पुरुषों पर 946 महिलाएं है. जिले में साक्षरता की दर 57.04% है. यह बिहार का अकेला जिला है जहां मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है. जिले में  करीब 68 फीसदी मुस्लिम आबादी है तो लगभग 31 फीसदी हिंदू आबादी है.

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मुस्लिम बहुल आबादी वाला जिला
जिले की अधिसंख्य आबादी गांवों में रहती है. जिले के अधिकांश लोग मैथिली बोलते हैं. इसके बाद सुरजापुरी (42.61 फीसदी) बोलने वालों की तादाद भी अच्छी खासी है. उर्दू बोलने वालों की संख्या 32.62 फीसदी, उर्दू बोलने वालों की 9.05 और हिंदी बोलने वालों की संख्या 6.66 फीसदी  है. इसके अलावा कुछ लोग बंगाली, संथाली, मैथिली और भोजपुरी में बोलते हैं. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के किशनगंज कैंपस की नींव 2014 में रखी गई थी.

मुस्लिम मतदाता तय करते हैं राजनीतिक तस्वीर 
किशनगंज जिले में किशनगंज लोकसभा सीट आती है. मुस्लिम बहुल आबादी होने की वजह से यहां पर अधिकतर पार्टियां मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारती हैं. यहां पर एक बार 1967 के लोकसभा चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार लाखन लाल कपूर को जीत मिली थी. इस सीट पर नौ बार कांग्रेस को जीत मिली है तो तीन बार आरजेडी ने भी जीत का स्वाद चखा है. भाजपा ने एक बार 1999 में शाहनवाज हुसैन के रूप में यहां से सासंद बनाया है. किशनंगज में चार विधानसभा सीटें- बहादुरगंज, किशनगंज, ठाकुरगंज और कोचाधामन सीटें आती हैं. वोटों का गणित देखते हुए विधानसभा सीटों पर भी सभी पार्टियां मुस्लिम उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती हैं. इनमें से फिलहाल दो सीटें जेडीयू के पास हैं और एक-एक सीट कांग्रेस और AIMIM (कांग्रेस विधायक के सांसद बनने के बाद)  के पास है. 

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जिले के प्रमुख अधिकारी
किशनगंज के डीएम आदित्य प्रकाश हैं. उनकी ई-मेल आईडी dm-kishanganj.bih@nic.in है. उनका टेलीफोन नंबर 06456-222530 है. जिले के एसपी कुमार आशीष हैं. जिनकी ई-मेल आईडी sp-kishanganj-bih@nic.in है. उनका टेलीफोन नंबर 06456-222438 है.
 

 

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