बिहार में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. पहली दफा लालू यादव की गैर मौजूदगी में उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) चुनाव मैदान में उतरी है. सजायाफ्ता लालू यादव भले ही अपने पार्टी के पोस्टर तक से गायब हैं, लेकिन वे लगातार चर्चा में बने हुए हैं. चुनाव में प्रत्यक्ष रूप से उनकी भूमिका बेशक नहीं है, लेकिन उनके नाम पर सियासत जारी है.
आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत में लालू के सबसे करीबी सेवादार इरफान अंसारी ने कहा कि बिहार में प्रथम चरण के मतदान पर और उसके पहले चुनाव प्रचार पर लालू यादव ने टीवी और समाचार पत्रों के जरिए नजर रखी. वोटिंग के दिन वे टीवी के माध्यम से अपडेट लेते रहे. इरफान बताते हैं कि चुनाव के दौरान अपनी गैर मौजूदगी को लेकर लालू यादव तनिक भी चिंतित नहीं हैं.
सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लालू यादव की पार्टी के 15 साल के कार्यकाल को आधार बनाकर जंगलराज के आरोप लगा आक्रामक प्रचार कर रहे हैं. सत्ताधारी खेमे ने जंगलराज को ही चुनाव प्रचार की धुरी बना लिया है. जंगलराज के लिए दोबारा वोट नहीं डालने को प्रचार का एजेंडा बनाया है, वहीं आरजेडी की जनसभाओं में लालू यादव के नारे भी लग रहे हैं.
दिसंबर 2017 से झारखंड में हैं लालू यादव
गौरतलब है कि लालू यादव चारा घोटाले के अलग-अलग मामलों में सजायाफ्ता होने के बाद दिसंबर 2017 से झारखंड में हैं. लालू पहले बिरसा मुंडा जेल में थे और उसके बाद एम्स गए. एम्स से आने के बाद मई 2018 से वह रिम्स के प्राइवेट वार्ड में हैं. कोरोना की महामारी के बीच उन्हें एहतियातन केली बंगले में रखा गया है. अगस्त महीने में ही लालू से मिलने उनके बड़े पुत्र तेज प्रताप पहुंचे थे. बताया जाता है कि तब तेज प्रताप ने लालू से चुनावी रणनीति पर चर्चा की थी और टिप्स लिए थे.
टिकट चाहने वालों की भी उमड़ती थी भीड़
विधानसभा चुनाव के लिए आरजेडी से टिकट चाहने वालों की भी केली बंगले पर भीड़ लगी रहती थी. रांची में टिकटार्थियों का जमघट लगा रहता था, लेकिन कुछ ही थे जो निर्धारित तिथि पर लालू से मिल पाए. अब केली बंगले के बाहर सन्नाटा पसरा है. बता दें कि दुमका से अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को कोर्ट और 10 नवंबर को जनता की अदालत के फैसले का इंतजार है.