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मखदुमपुर विधानसभा सीट: लालू के इस 'किले' में सेंध लगा पाएंगे जीतन राम मांझी के दामाद?

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मखदुमपुर विधानसभा सीट हमेशा से चर्चा में रही है. यहां से कई नेता जीतकर मंत्री पद पा चुके हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, पूर्व मंत्री सुखदेव प्रसाद वर्मा, पूर्व मंत्री स्वर्गीय रामाश्रय प्रसाद सिंह, पूर्व मंत्री रामजतन सिन्हा और पूर्व मंत्री बागी कुमार वर्मा शामिल हैं.

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Makhdumpur assembly election 2020
Makhdumpur assembly election 2020

बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, अब 10 नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की मखदुमपुर विधानसभा सीट पर इस बार 28 अक्टूबर को वोट डाले गए, यहां कुल 55.87% मतदान हुआ.

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बिहार के मखदुमपुर विधानसभा सीट (Makhdumpur Assembly Seat) पर इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प है. पिछली बार इस वीआईपी सीट से आरजेडी के सुबेदार दास ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी को हराकर जीत का परचम लहराया था. बता दें कि जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा एनडीए में शामिल हो चुकी है. 

कब हुई वोट‍िंग?
मखदुमपुर विधानसभा सीट पर पहले चरण में 28 अक्टूबर को मतदान हुआ. बता दें कि इस साल बिहार विधानसभा चुनाव 3 चरणों में संपन्न हुए. पहले चरण के लिए 28 अक्टूबर, दूसरे चरण के लिए 3 नवंबर को वोट डाले गए. जबकि तीसरे यानी आखिरी चरण का चुनाव 7 नवंबर को हुआ. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे. 

इस बार के मुख्य उम्मीदवार

  • हम - देवेंद्र कुमार
  • आरजेडी - सतीश कुमार

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राजनीतिक पृष्ठभूमि
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मखदुमपुर विधानसभा सीट हमेशा से चर्चा में रही है. यहां से कई नेता जीतकर मंत्री पद पा चुके हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, पूर्व मंत्री सुखदेव प्रसाद वर्मा, पूर्व मंत्री स्वर्गीय रामाश्रय प्रसाद सिंह, पूर्व मंत्री रामजतन सिन्हा और पूर्व मंत्री बागी कुमार वर्मा शामिल हैं.

पिछले 5 विधानसभा चुनावों की बात करें तो तीन बार आरजेडी, एक बार लोजपा और एक बार जेडीयू को जीत मिली है. 2010 में जेडीयू के टिकट पर जितन राम मांझी यहां से चुनाव जीते थे और आरजेडी के धर्मराज पासवान को 5000 वोटों के अंतर से हराया था. हालांकि पिछले चुनाव में जीतन राम मांझी अपनी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़े और 67 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा.

समाजिक ताना-बाना
बिहार के जहानाबाद जिले में स्थित मखदुमपुर (एससी) विधानसभा क्षेत्र जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. 2011 की जनगणना के अनुमान के अनुसार यहां की कुल आबादी 348138 है, जिसमें से 90.81 फीसदी लोग ग्रामीण हैं और 9.19 फीसदी की आबादी शहरी है. इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति (एससी) का बोलबाला माना जाता है.

चुनावी राजनीति में यह वर्ग अहम माना जाता है और इसके पीछे मुख्य वजह इनकी जनसंख्या है. आंकड़ों के मुताबिक यहां अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात कुल जनसंख्या में करीब 22.89 फिसदी है. मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र में मखदुमपुर प्रखंड और काको प्रखंड शामिल हैं, जिसमें 30 पंचायतें आती हैं.

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विधायक का रिपोर्ट कार्ड
मखदुमपुर सीट से आरजेडी विधायक सुबेदार दास ने 2015 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जितन राम मांझी नैया डूबा दी थी. सुबेदार रविदास समुदाय से आते हैं और इस सीट पर रविदास समुदाय के लोगों की आबादी काफी है. यही नहीं, इस सीट पर यादव, कुर्मी, मुस्लिम और कुशवाहा भी बहुत भारी संख्या में हैं. माना जाता है कि ये सभी वर्ग आरजेडी के पारंपरिक वोट बैंक रहे हैं. यही कारण है कि इस क्षेत्र में आरजेडी का दबदबा रहा है.

सुबेदार के बारे में बताया जाता है कि वो लालू के करीबी लोगों में से एक हैं. जब वो जिला परिषद के चुनाव लड़े थे तब भी लालू यादव उनके लिए वोट मांगने आए थे. अगर इस बार भी आरजेडी लालू यादव के सुबेदार पर भरोसा जताती है तो उनका सामना इस सीट पर जीतन राम मांझी के दामाद से हो सकता है. जहानाबाद के मखदुमपुर विधानसभा (सुरक्षित सीट) से जीतन राम मांझी  के दामाद देवेंद्र मांझी मैदान में उतर चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कार्यकर्ताओं से अपने दामाद इंजीनियर देवेंद्र मांझी को जिताकर विधानसभा भेजने का अपील की है.
 

 

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