राजनीति में अपराधी कोई नई बात नहीं. खासतौर पर बिहार में तो बाहुबलियों को जीत का पर्याय माना जाता है. यही वजह है कि कोई भी दल अपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों को टिकट देने में पीछे नहीं. हर दल में ऐसे प्रत्याशी मिल जाएंगे जो अपराधिक मामले में आरोपी हैं. लेकिन अब ऐसे दागी नेताओं को टिकट देने वाली पार्टियों को ये बताना होगा कि उनकी नजर में दागी प्रत्याशी क्यों अच्छा है जिसकी वजह से उन्हें टिकट दिया गया.
चुनाव आयोग का है फरमान
बिहार विधानसभा चुनाव में अपराधी प्रवृत्ति वाले प्रत्याशियों की भरमार देखते ही चुनाव आयोग ने एक नया फरमान जारी किया है. इस फरमान के मुताबिक उन सभी राजनीतिक दलों को अब सोशल मीडिया पर भी ये बताना होगा कि उन्होंने दागी व्यक्ति को प्रत्याशी के रूप में क्यों चुना. यहां पर पार्टियों की ये दलील स्वीकार्य नहीं होगी कि अमुक दागी व्यक्ति प्रभावशाली है या राजनीति में इतने दिनों से सक्रिय है. पार्टियों को ये भी बताना होगा कि चुनाव में अन्य स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशियों की तुलना में किस-किस मामले में उनक दागी प्रत्याशी श्रेष्ठ है जिसकी वजह से उसे चुना गया है.
सोशल मीडिया की बाध्यता क्यों?
चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि राजनीतिक दलों को दागी प्रत्याशी के बारे में निर्धारित जानकारी अपने ऑफिशियल फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल से शेयर करना अनिवार्य होगा. सोशल मीडिया प्लेटफार्म की बाध्यता के पीछे चुनाव आयोग का मानना है कि यहां सूचनाएं स्थायी रहती हैं. युवा मतदाताओं से सीधा कनेक्ट करती हैं. साथ ही सोशल मीडिया का दायरा काफी ज्यादा होता है जिससे सूचना ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकती है.
अखबार में विज्ञापन भी जरुरी
बिहार चुनाव की घोषणा के साथ ही चुनाव आयोग ने पहले ही ये निर्देश भी दिया था कि अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को टिकट देने वाली पार्टियों को उन उम्मीदवारों के बारे में पूरी जानकारी स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में विज्ञापन के रूप में प्रकाशित करना होगा. अब नये निर्देश से राजनीतिक पार्टियों के लिए मुश्किल बढ़ने वाली है, क्योंकि सोशल मीडिया पर दी जाने वाली सूचना भविष्य में उनके लिए चुनौती बन सकती है.
नये नियम में करना होगा ये सब
- राजनीतिक दलों को दागी प्रत्याशियों के बारे में कई तरह की जानकारियां अपने सोशल मीडिया एकाउंट के जरिये देनी है.
- संबंधित प्रत्याशी के खिलाफ किस किस प्रकृति के आपराधिक मामले दर्ज हैं जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, बलात्कार आदि.
- सभी मामले में अलग-अलग मुकदमा संख्या और संबंधित अदालत का नाम जहां मामला ट्रायल में है.
- ये भी घोषणा करनी होगी कि उस प्रत्याशी के खिलाफ किसी भी न्यायालय में आरोप तय हुआ है या नहीं.
- अगर किसी मामले सजा हुई है तो सजा की मियाद और उसकी तारीख का भी जिक्र करना होगा.
- दलों को अपने प्रत्याशी की घोषणा के दो दिनों के अंदर ये सभी सूचनाएं प्रकाशित करानी है.
- नया निर्देश विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, विधान परिषद चुनाव पर भी लागू होगा.
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