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'मुंबई में बत्ती गुल बा, बिहार में लाइट फुल बा', नीतीश की रैली में मायानगरी के ग्रिड फेल पर तंज

बिहार में चुनाव प्रचार धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है. जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को अपने प्रचार का आगाज किया था, जिसके बाद आज एक बार फिर उन्होंने वर्चुअल रैली की. पहले चरण के लिए 71 सीटों पर 28 अक्टूबर को मतदान होना है.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीएम नीतीश कुमार की निश्चय संवाद रैली
  • रोजगार के सवाल पर तेजस्वी पर पलटवार
  • कहा- हम बचपन में पढ़ना चाहते थे उर्दू

बिहार में चुनाव प्रचार धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है. जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को अपने प्रचार का आगाज किया था, जिसके बाद आज उन्होंने एक बार फिर निश्चय संवाद के जरिए वर्चुअल रैली की. आज नीतीश कुमार ने अलग-अलग जिलों की 11 विधानसभा क्षेत्रों को संबोधित किया. 

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रोजगार के मसले पर नीतीश कुमार नेता विपक्ष तेजस्वी यादव पर टिप्पणी की. नीतीश कुमार ने कहा कि कुछ लोगों को पता नहीं है क्या होना है कैसे होना है, वो बस बोल देते हैं. नीतीश ने कहा कि दुनिया में ऐसा कौन सा देश या प्रांत है जहां सबको सरकारी नौकरी मिल जाए, क्या ये संभव है. लेकिन रोजगार के अवसर पैदा किए जाते हैं. बता दें कि तेजस्वी यादव ने सरकार बनने की स्थिति में पहली कैबिनेट में 10 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है.

नीतीश कुमार के भाषण से पहले ही कार्यक्रम का संचालन कर रहे मंत्री संजय झा ने मुंबई में पावर ग्रिड फेल होने पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि मुझे एक दोस्त का मैसेज आया है कि 'मुंबई में बत्ती गुल बा, बिहार में लाइट फुल बा'. इस नारे के साथ बिहार में बिजली व्यवस्था की तारीफ की गई.

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अल्पसंख्यकों के लिए किया काम
नीतीश कुमार ने कहा कि हमने हर वर्ग के लिए काम किया है. सेवा ही हमारा धर्म है. हमने अल्पसंख्यकों की सेवा की. भागलपुर दंगे के बाद जब हमें सरकार में आने का मौका मिला तो आयोग का गठन कराया. केस चले. पीड़ित परिवारों को राहत दिलाई. साथ ही हम उर्दू की पढ़ाई सब जगह करना चाहते हैं. उर्दू हमारी द्वीतीय भाषा है. हम तो बचपन में पढ़ना चाहते थे लेकिन कोई पढ़ाने वाला नहीं था. जब कोई उर्दू पढ़ लेगा तो उसकी भाषा का विकास होगा. हम सबकी सेवा करते हैं. कुछ लोग सेवा-सेवा बोलते रहते हैं लेकिन बस मेवा खाना चाहते हैं.

नीतीश कुमार ने कहा कि लोग अल्पसंख्यकों के नाम पर वोट लेते हैं लेकिन किया क्या है? भागलपुर में जो दंगा हुआ उसके लिए क्या किया? हमने सरकार में आते ही जांच कराई, पीड़ितों को 2500 रुपए प्रतिमाह देने का प्रावधान किया. 

लड़कियों की शिक्षा पर किया का काम

लालू यादव-राबड़ी देवी के शासन की आलोचना करते हुए नीतीश कुमार ने अपने राज में लड़कियों की शिक्षा पर किए गए कामों को गिनाया. नीतीश ने कहा, 'हमने लड़कियों की शिक्षा के लिए काम किया, इस बार मैट्रिक की परीक्षा में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा थी. जो बच्चे स्कूल से वंचित थे उनको स्कूल पहुंचाने का काम किया. हमने लड़कियों की शिक्षा के लिए उनको बढ़ावा देने के लिए साइकिल योजना की शुरूआत की, लोग मजाक उड़ाते थे, लेकिन उसका प्रभाव आप सब के सामने हैं.

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नीतीश कुमार ने पुराना वाकयदा याद करते हुए बिहार में सड़क निर्माण पर किए गए अपने कामों को गिनाया. नीतीश ने बताया कि हम जब लोकसभा चुनाव लड़ते थे तो 12-12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. आज देखिए ऐसा है क्या. पूरी तस्वीर बदल गई है. सड़कें बन गई हैं. जो थोड़ी बहुत बची हैं वो भी बन जाएंगी. आज GDP 2006-07 के 88 हज़ार करोड़ से 4 लाख 14 हजार 977 करोड़ हो गया है. प्रति व्यक्ति आय 34 हज़ार 483 रुपये हो गई है.

नीतीश कुमार के भाषण की अन्य अहम बातें:


- कोरोना वायरस दुनिया भर में फैला हुआ है, कोई नहीं जानता संक्रमण ऊपर जाएगा या नीचे, बिहार में नीचे गया. इसके लिए हमने काम किया है. 22 लाख लोगों को ट्रेन के माध्यम से लाया गया. 15 लाख लोगों को क्वारंटीन करने की व्यवस्था की गई.

- ये सच है कि बड़े उद्योग यहां नहीं आते हैं क्योंकि यहां समंदर नहीं है और विशेष दर्जा भी नहीं है. हम स्थानीय स्तर पर उद्योग लगाने के लिए काम कर रहे हैं.

- कोरोना के चलते इस बार समय कम है और हर जगह जाना मुमकिन नहीं है लेकिन कल से हम लोगों के बीच जाना शुरू कर रहे हैं. साथ ही तकनीक के माध्यम से लोगों से जुड़ रहे हैं.

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सभी सरकारी दफ्तरों में महिलाओं की पोस्टिंग सुनिश्चित की जाएगी. अगली बार मौका मिलेगा तो ये काम किया जाएगा. हर खेत तक सिंचाई का पहुंचाने का काम हम करेंगे. ऐसा कहीं नहीं हुआ है. गांव-गांव तक सोलर लाइट पहुंचाई जाएगी.

वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने इस दौरान कहा कि पहले बिहार में आतंक था, अंधेरे में कोई बाहर नहीं निकलता था, मगध में तो लोगों को रात-रात भर घर की छत पर जागकर पहरा देना पड़ता था, 118 नरसंहार हुए, लोग पलायन कर रहे थे अपने बच्चों के भविष्य के लिए. लेकिन नीतीश कुमार ने ने न्याय के साथ विकास करने का काम किया. 

 

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