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पटना: 2500 साल पुराना गौरवमयी इतिहास वाला जिला आज भगवा का गढ़

बिहार का पटना करीब 2500 साल पुराना शहर है. इतने पुराने शहर दुनिया में कफी कम हैं. इसलिए यह सांस्कृतिक तौर पर काफी समृद्ध रहा है. यह जिला सर्वधर्मसमभाव का भी नमूना है.

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पटना साहिब गुरुद्वारा
पटना साहिब गुरुद्वारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पटना करीब 2500 साल पुराना शहर
  • कई धर्मों का केंद्र पटना सर्वधर्म समभाव का प्रतीक
  • पटना में इस समय भाजपा मजबूत स्थिति में

पटना (संस्कृत में पटनम्) भारत के बिहार राज्य की राजधानी और सबसे बड़ा नगर है. पटना जिले में गंगा और सोन जैसी नदियों ने उपजाऊ खेती लायक जमीन बनाई है. पटना एक कृषि प्रधान जिला है. पटना में कई धर्मों के महत्वपूर्ण स्थल भी हैं. प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर, नालंदा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही हैं. पटना सिखों के लिए भी पवित्र स्थल है. सिखों के 10वें तथा अंतिम गुरु गोविन्द सिंह का जन्म पटना में ही हुआ था. हर साल देश-विदेश से लाखों सिख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं. 

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एक जिले पटना के रहे हैं कई नाम
पटना नाम हिंदू देवी पटन की वजह से रखा गया है. कई लोगों का कहना है कि यह नाम संस्कृत के पत्तन से आया है, जिसका अर्थ बन्दरगाह होता है. मौर्यकाल के यूनानी इतिहासकार मेगस्थनीज ने इस शहर को पालिबोथरा और चीनीयात्री फाहियान ने पालिनफू के नाम से संबोधित किया है. यह ऐतिहासिक नगर कई नाम पा चुका है- पाटलिग्राम, पाटलिपुत्र, पुष्पपुर, कुसुमपुर, अजीमाबाद और पटना. माना जाता है कि इसका मौजूदा नाम शेरशाह सूरी के समय से प्रचलित हुआ. शेरशाह सूरी ने इस नगर को पुनर्जीवित करने की कोशिश की. उसने गंगा के किनारे एक किला बनाया. उसका बनाया कोई दुर्ग तो अभी नहीं है, पर अउगान शैली में बनी एक मस्जिद अभी भी है.शेरशाह ने इसका नाम 'पैठना' रखा था जिसे शेर शाह के मृत्यु के बाद अंतिम हिंदू सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य ने पटना कर दिया.

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2500 साल पुराना है इसका इतिहास
पुराना पटना सोन और गंगा नदी के संगम पर बसा था. सोन नदी आज से करीब दो हजार वर्ष पहले अगमकुंआ से आगे गंगा में मिलती थी. पाटलिग्राम में गुलाब (पाटली के फूल) की खेती होती थी. गुलाब के फूलों से तरह-तरह के इत्र, दवा आदि बनाकर उनका व्यापार होता था इसलिए इसका नाम पाटलिग्राम हो गया. लोककथाओं के अनुसार, राजा पत्रक को पटना का जनक कहा जाता है. कहा जाता है कि उसने अपनी रानी पाटलि के लिए जादू से इस नगर का निर्माण किया. इसी कारण नगर का नाम पाटलिग्राम पड़ा. पाटलिपुत्र नाम भी इसी के कारण पड़ा.पटना करीब 2500 साल पुराना शहर है. इतने पुराने शहर दुनिया में कफी कम हैं. 

जब औरंगजेब ने बदला इसका नाम
अकबर के राज्य सचिव और आइने-अकबरी के लेखक अबुल फजल ने कहा है कि पटना कागज, पत्थर और शीशे का सम्पन्न औद्योगिक केंद्र था. मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने प्रिय पोते मुहम्मद अजीम के कहने पर 1704 में इस शहर का नाम अजीमाबाद कर दिया था. तब अजीम उस समय पटना का सूबेदार हुआ करता था. पटना सन 1912 में बंगाल विभाजन के बाद उड़ीसा और बिहार की राजधानी बना. 1917 के चंपारण आंदोलन के बाद 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी पटना ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. आजादी के बाद से पटना बिहार की राजधानी है. 

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उठती-गिरती रही है अर्थव्यवस्था 
पटना पुराने समय से ही देश में खेती और व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा रहा है. पुराने मय में यहां से अनाज, गन्ना, तीसी और चावल का निर्यात होता था. नदी किनारे बसा होने और गन्ने की अच्छी खेती के कारण पटना के आस पास कई चीनी मिलें रही हैं. बिहार के औद्योगिक रूप से पिछड़ा होने के बावजूद 2009 में विश्व बैंक ने पटना को उद्योग शुरू करने के लिय भारत की दूसरी सबसे अच्छी जगह माना था. 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने पटना को देश के 250 सबसे पिछड़े जिलों में शामिल कर फंड देने की शुरुआत की थी. पटना जिले में धान, मक्का, दाल, गेहूं और तिलहन की खेती की जाती है. जले के करीब एक तिहाई हिस्से मं धान की खेती की जाती है. यहां पर नगदी फसलों के तौर पर सब्जियों और फलों की भी खेती होती है.  जिले में प्रमुख तौर पर चमड़ा, हैंडीक्राफ्ट और एग्रो-प्रोसेसिंग के उद्योग हैं. फिलहाल यह जिला भी दूसरे जिलों की तरह पलायन की समस्या से जूझ रहा है. 

पटना शहर का भूगोल
पटना गंगा नदी के दक्षिणी और पुनपुन के उत्तरी किनारे पर बसा है. यहां पर गंगा- घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है. यह शहर तीन ओर से गंगा, सोन और पुनपुन नदियों से घिरा है. नगर से ठीक उत्तर हाजीपुर के पास गंडक नदी भी गंगा में आकर मिल जाती है. अभी के दिनों में पटना शहर पश्चिम की ओर फैलते हुए दानापुर से जा मिला है. 

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पटना का सामाजिक तानाबाना
2011 की जनगणना के मुताबिक पटना जिले की आबादी करीब 58.39 लाख है. यहां पर बिहार के दूसरे जिलों के मुकाबले लिंगानुपात की स्थिति और भी दयनीय है. पटना जिले में 1000 पुरुषों पर केवल 89 महिलाएं हैं. पटना में साक्षरता की दर 72.47% है. 2011 के आंकड़ों के मुताबिक जिले की 46.35% आबादी मगही बोलती है तो 43.77% फीसदी लोग हिंदी बोलते हैं. इसके अलावा 5.19% फीसदी लोग उर्दू और 2.67% लोग भोजपुरी बोलते हैं. इसके अलावा 1.24% लोग मैथिली भी बोलते हैं. जिले में हिंदू धर्म की आबादी का प्रतिशत 91.74 है तो मुस्लिम आबादी करीब 7.54% है. बिहार की आधिकारिक भाषा हिंदी है और उर्दू दूसरी राजभाषा है.

सांस्कृतिक शहर रहा है पटना
पटना में दशहरे के मौके पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहे हैं. इस परंपरा की शुरुआत 1944 में मध्य पटना के गोविंद मित्रा रोड मुहल्ले से हुई थी. एक दौर में धुरंधर संगीतज्ञों के साथ-साथ बड़े कव्वाल और मुकेश या तलत महमूद जैसे गायक भी इस कार्यक्रम से जुड़े हुए थे. 1950 से लेकर 1980 तक पटना देश के शीर्षस्थ संगीतकारों का तीर्थस्थल कहा जाने लगा था. डीवी पलुस्कर, ओंकारनाथ ठाकुर, भीमसेन जोशी, अली अकबर खान, निखिल बनर्जी, विनायक राव पटवर्धन, पंडित जसराज, कुमार गंधर्व, बीजी जोग, अहमद जान थिरकवा, बिरजू महाराज, सितारा देवी, किशन महाराज, गुदई महाराज, बिस्मिल्ला ख़ान, हरिप्रसाद चौरसिया, शिवकुमार शर्मा जैसे दिग्गज पटना के दशहरा संगीत समारोह में हिस्सा ले चुके थे. 

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पटना में भाजपा सबसे ताकतवर पार्टी
पटना जिले में तीन लोकसभा सीटें आती हैं- पटना साहिब, पाटलिपुत्र और मुंगेर. 2008 के लोकसभा परिसीमन के दौरान एक सीट के दो हिस्से होकर पटना साहिब और पाटलिपुत्र सीटें बनी थीं. 2009 के बाद से पटनना साहिब में हुए तीन लोकसभा चुनावों में हर बार भाजपा को ही जीत मिली है. इनमें दो बार शत्रुघ्न सिन्हा तो एक बार रविशंकर प्रसाद जीते हैं. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर 2009 में इस सीट पर हुए पहले चुनावों में जेडीयू को जीत मिली थी. इसके बाद हुए दोनों चुनावों में भाजपा ही जीती है. इस जिले की सबसे पुरानी लोकसभा सीट मुंगेर पर छह बार कांग्रेस को जीत मिली है तो तीन बार जेडीयू और दो बार आरजेडी को भी जीत मिली है. फिलहाल यहां से जेडीयू के राजीव रंजन सिंह सांसद हैं. 

पटना जिले में आने वाले तीन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के तहत 14 विधानसभा सीटें- मोकामा, बाढ़, बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, फतुहा, दानापुर, मनेर, फुलवारी (अनुसूचित जाति), मसौढ़ी (अनुसूचित जाति), पालीगंज और बिक्रम आती हैं. इनमें से 7 सीटें भाजपा, 4 सीटें आरजेडी और जेडीयू, कांग्रेस और निर्दलीय के पास एक-एक सीट है. 

पटना की प्रसिद्ध जगहें

सभ्यता द्वार
पटना की अलग पहचान जाहिर करने के लिए यहां के प्रसिद्ध गांधी मैदान के उत्तर दिशा की ओर गंगा नदी के किनारे 'सभ्यता द्वार' बनाया गया है. यह बलुआ पत्थर से निर्मित चापनुमा स्मारक है. सभ्यता द्वार को मौर्य-शैली की वास्तुकला से बनाया गया है. इसमें बिहार और पाटलिपुत्र की परंपराओं और प्राचीन संस्कृति को दिखया गया है. 

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पटना तारामंडल- यह पटना के इंदिरा गांधी विज्ञान परिसर में स्थित है.

अगम कुंआ
सम्राट अशोक के काल का एक कुंआ गुलजारबाग स्टेशन के पास है. पास ही एक मंदिर भी स्थानीय लोगों के लिए शादी-विवाह की अहम जगह है.

कुम्हरार

चंद्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार और अशोक कालीन पाटलिपुत्र के भग्नावशेष को देखने के लिए यह सबसे अच्छी जगह है. कुम्हरार परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित तथा संचालित है.

किला हाउस (जालान हाउस)
दीवान बहादुर राधाकृष्ण जालान द्वारा शेरशाह के किले के अवशेष पर निर्मित इस भवन में हीरे जवाहरात और चीनी वस्तुओं का एक निजी संग्रहालय है.

तख्त श्रीहरमंदिर साहब
पटना सिखों के दसवें और अंतिम गुरु गोविन्द सिंह की जन्मस्थली है. नौवें गुरु श्री तेगबहादुर के पटना में रहने के दौरान गुरु गोविन्द सिंह ने अपने बचपन के कुछ वर्ष पटना सिटी में बिताए थे. बालक गोविन्दराय के बचपन का पालना, लोहे के चार तीर, तलवार, पादुका और 'हुकुमनामा' यहां के गुरुद्वारे में है.

महावीर मंदिर
संकटमोचन रामभक्त हनुमान मंदिर पटना जंक्शन के ठीक बाहर बना है. न्यू मार्केट में बनी मस्जिद के साथ खड़ा यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है.

गांधी मैदान
शहर के बीचोबीच स्थित इस विशाल मैदान को पटना का दिल भी कहा जाता रहै. इसने पुराने समय से बिहार की राजनीतिक उटापटक बहुत देखी है. जनसभाओं, सम्मेलनों, राजनीतिक रैलियों के अलावा यह मैदान पुस्तक मेलों और दैनिक व्यायाम, जॉगिंग आदि का भी केंद्र है. इसके चारों ओर अति महत्वपूर्ण सरकारी इमारतें और प्रशासनिक और मनोरंजन केंद्र बने हैं.

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गोलघर
सन 1770 में इस क्षेत्र में पड़े अकाल के बाद अनाज भंडारण के लिए बनाई गई यह गोल इमारत अपनी खास आकृति के लिए प्रसिद्ध है. इसे सन 1786 में जॉन गार्स्टिन ने बनाया और तब से यह पटना शहर का प्रतीक चिह्न बन गया. दो तरफ बनी सीढियों से ऊपर जाकर गंगा के बहने का दृश्य देखा जा सकता है. 

गांधी संग्रहालय
गोलघर के सामने बने बांकीपुर बालिका उच्च विद्यालय के बगल में महात्मा गांधी की स्मृतियों से जुड़ी चीजों का नायाब संग्रह है. 

श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र
गांधी मैदान के पश्चिम भाग में बना विज्ञान परिसर स्कूली शिक्षा में लगे बालकों के लिए ज्ञानवर्धक केंद्र है.

पटना संग्रहालय
जादूघर के नाम से प्रसिद्ध इस म्यूजियम में प्राचीन पटना के हिंदू और बौद्ध धर्म की कई निशानियां हैं. करीब 30 करोड़ वर्ष पुराने पेड़ के तने का फॉसिल यहां की विशेष धरोहर है.

ताराघर
पटना संग्रहालय के पास बना इन्दिरा गांधी विज्ञान परिसर में बना ताराघर देश के सबसे बड़े ताराघरों में से एक है. 

बेगू हज्जाम की मस्जिद
सन 1489 में बंगाल के शासक अलाउद्दीन शाह की बनाई यह मस्जिद और जहाँगीर के पुत्र शाह परवेज द्वारा 1621 में बनवाई गई 'पत्थर की मस्जिद आकर्षण का केंद्र है.

शेरशाह की मस्जिद
अफगान शैली में बनी यह मस्जिद बिहार के महान शासक शेरशाह सूरी द्वारा 1540-1545 के बीच बनवाई गई थी. पटना में बनी यह सबसे बड़ी मस्जिद है.

पादरी की हवेली
सन 1772 में बना बिहार का प्राचीनतम चर्च बंगाल के नवाब मीर कासिम और ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच की कड़वाहटों का गवाह है.

शहीद स्मारक
बिहार विधानसभा के सामने बने शहीद स्मारक में सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में शहीद हुए सात शहीदों की प्रतिमाएं हैं.

पटना के प्रमुख पदाधिकारी
पटना के जिलाधारी कुमार रवि हैं. उनसे ई-मेल- dm-patna.bih@nic.in, मोबाइलनंबर- +916122219545 और फैक्स नंबर- 06122218900 पर संपर्क किया जा सकता है. जिले की एसएसपी गरिमा मलिक हैं उनकी ई-मेल आईडी- ssp-patna-bih@nic.in, मोबाइल नंबर- 9431822967और फैक्स नंबर 6122214318 है. 
 

 

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