आजादी के बाद का एक वक्त था जब केंद्र और राज्य की राजनीति में बिहार के राजे-रजवाड़ों का परिवार बेहद सक्रिय था. लेकिन बदलते वक्त के साथ ज्यादातर राज परिवारों का राजनीति से मोहभंग हुआ. हालांकि अब भी कुछ ऐसे राज परिवार हैं जो राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं. जानिए कौन हैं वो राजपरिवार...
गिद्धौर रियासत:
कम ही लोग ये जानते हैं कि बीजेपी के टिकट पर जमुई की प्रत्याशी बनी इंटरनेशनल शूटर श्रेयसी सिंह भी राज परिवार से ताल्लुक रखती हैं. गिद्धौर रियासत से ताल्लुक रखने वाले श्रेयसी के पिता स्वर्गीय दिग्विजय सिंह बांका लोकसभा सीट से 1999 में पहली बार सांसद चुने गए थे. 2009 में वह दोबारा निर्दलीय सांसद बने. उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी एवं श्रेयसी की मां पुतुल कुमारी सांसद चुनी गईं, जो अब भी राजनीति में सक्रिय हैं.
डुमरांव राजघराना:
इस परिवार के महाराजा बहादुर कमल सिंह और उनके बेटे चंद्रविजय सिंह अपने-अपने दौर में राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे. अब चंद्रविजय के पुत्र शिवांग विजय सक्रिय हैं और इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
जैतपुर स्टेट:
मुजफ्फरपुर के इस राज परिवार के अनुनय सिन्हा भी राजनीति में सक्रिय हैं. वह वर्ष 2000 तथा 2010 में कांग्रेस के टिकट पर पारू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली.
शिकारपुर स्टेट:
पश्चिम चंपारण के शिकारपुर स्टेट से विनय वर्मा नरकटियागंज से विधायक हैं. वह भी राजनीति में सक्रिय हैं. हाल में उन्हें एक गाड़ी से बरामद प्रचार सामग्री मामले में मुकदमे का सामना भी करना पड़ रहा है.
कालिका सिंह राज परिवार:
यहां के राजा कुमार कालिका प्रसाद सिंह को 1952 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी दुर्गा मंडल ने हरा दिया था. उनके बाद के 27वें राजा महाराजा प्रताप सिंह वर्ष 1989 और 1994 में दो बार बांका से जनता दल के सांसद चुने गए थे. यह परिवार भी राजनीति से अभी जुड़ा हुआ है.
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