कोरोना वायरस ने जिंदगी जीने का ढंग बदल दिया है. जीवन के हर क्षेत्र पर वायरस का प्रभाव पड़ा है. चुनाव भी इससे अछूते नहीं हैं. वायरस के खतरे के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. कोरोना काल में होने वाला यह पहला ऐसा चुनाव है. लिहाजा, सुरक्षा के मद्देनजर चुनाव आयोग ने नियमों में भी काफी बदलाव किए हैं.
ऐसा ही एक नियम पोस्टल बैलेट पेपर से जुड़ा है. अभी तक सेना और उनके परिवार, देश के बाहर काम करने वाले सरकारी कर्मचारी समेत आवश्यक सेवाओं में तैनात लोगों को ही पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग का विकल्प दिया जाता था. लेकिन इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में दिव्यांग और 80 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं को भी ये सुविधा दी जा रही है. पहले चरण में करीब 52 हजार मतदाताओं ने पोस्टल बैलेट से मतदान का विकल्प चुना है.
कैसे होगी वोटिंग
पहले चरण के तहत 28 अक्टूबर को 16 जिलों की 71 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होनी है. इन विधानसभा क्षेत्रों के 4 लाख से ज्यादा मतदाताओं तक बीएलओ यानी बूथ लेवल ऑफिसर पहुंचे थे और उनसे पूछा था कि क्या वो पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग करना चाहेंगे. इनमें से 52 लोगों ने पोस्टल बैलेट से वोटिंग के लिए हामी भरी है.
जिन मतदाताओं ने पोस्टल बैलेट का विकल्प चुनाव है उन्हें मतदान केंद्र नहीं आना होगा. रिटर्निंग ऑफिसर की तरफ से उनके पास पोस्टल बैलेट भेजा जाएगा. ये बैलेट पोस्ट यानी डाक के जरिए या व्यक्तिगत तौर पर जाकर दोनों ही तरीकों से भेजा जा सकता है.
ऐसे वोटरों को पहले ही मतदान की तारीख बता दी जाएगी. वोटिंग के दौरान वीडियोग्राफी भी की जाएगी. ताकि सही ढंग से वोटिंग सुनिश्चित कराई जा सके. बता दें कि जब नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो उसके 24 घंटे के अंदर रिटर्निंग ऑफिसर बैलेट पेपर प्रिंट कर लेते हैं और संबंधित वोटरों को पोस्ट के जरिए भेज दिए जाते हैं ताकि मतदान की तारीख से पहले ऐसे वोटरों तक पोस्टल बैलेट पहुंच सके. आमतौर पर पोस्ट के जरिए ही ये बैलेट भेजे जाते हैं लेकिन व्यक्तिगत तौर पर आयोग की टीम खुद जाकर भी पोस्टल बैलेट वोटरों को दे सकती है.
पोस्टल बैलेट मिलने के बाद वोटर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के सामने टिक मार्क या क्रास मार्क लगाकर अपना वोट देता है. इसके साथ ही उन्हें एक घोषणा पत्र पर भी हस्ताक्षर करने होते हैं कि उन्होंने बैलेट पेपर पर अपना वोट मार्क कर दिया है. इसके बाद बैलेट पेपर और घोषणा पत्र कवर में सील कर दिए जाते हैं और रिटर्निंग ऑफिसर को भेज दिए जाते हैं.
कैसे गिने जाते हैं पोस्टल बैलेट
देश में जब से ईवीएम के जरिए वोटिंग होना शुरू हुई है तब से बैलेट पेपर का चलन लगभग खत्म हो गया है. सेना या दूसरी जरूरी सेवाओं से जुड़े लोग ही पोस्टल बैलेट के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं, लिहाजा इनकी संख्या भी कमोबेश कम ही रहती है. मतगणना के दिन सबसे पहले पोस्टल बैलेट की ही गिनती की जाती है और जब बैलेट की गिनती पूरी हो जाती है तो फिर ईवीएम के वोट गिने जाते हैं. काउंटिंग के शुरुआती आधे घंटे में आमतौर पर पोस्टल बैलेट की गिनती की जाती है.