लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर को निधन हो गया. राजनीति में रामविलास पासवान ने 70 के दशक में कदम रखा था और फिर सियासत की बुलंदी साल दर साल चढ़ते गए. पासवान ने बिहार की हाजीपुर संसदीय सीट से ऐसी जीत दर्ज की जो विश्व रिकार्ड बन गई. कहा जाता है कि राम विलास पासवान की जीत का मंत्र हाजीपुर के एक घर से जुड़ा है.
लकी साइन बना ये घर
रामविलास पासवान हाजीपुर से आठ बार सांसद रहे. उन्होंने यहां से 10 बार चुनाव लड़ा था, जिसमें वे दो बार हार गए. हाजीपुर से चुनावी जीत हार को लेकर एक बेहद दिलचस्प कहानी है. कहा जाता है कि पासवान की जीत का मंत्र हाजीपुर के एक घर से जुड़ा है. दरअसल 1977 में पहले चुनाव के लिए राम विलास पासवान ने जिस परिवार से चुनाव कार्यालय के लिए जगह ली थी, वो ही उनकी जीत के लिए लकी साइन बन गया.
इसलिए दो बार हारे
हाजीपुर के डाक बंगला रोड स्थित इंदुभूषण ठाकुर का घर रामविलास पासवान के लिए लकी साइन था. 1977 से 2014 के बीच हुए 10 लोकसभा चुनाव में से 8 बार पासवान ने जीत दर्ज की, तो वहीं दो बार वे चुनाव हार गए. बताया गया कि जिन आठ चुनाव में पासवान ने जीत दर्ज की थी, उसमें उनका प्रधान चुनाव कार्यालय इंदुभूषण के घर में ही रहा, लेकिन दो चुनाव 1984 और 2009 में जब पासवान का चुनाव कार्यालय दूसरे स्थान पर बनाया गया, तो वे चुनाव हार गए. बताया जाता है कि खुद रामविलास पासवान भी कहते थे कि उनका चुनाव कार्यालय इंदुभूषण के मकान में ही बनाया जाए.
इस परिवार से था गहरा नाता
दिलचस्प बात ये भी है कि इंदुभूषण सिंह का राजनीति से ज्यादा सरोकार नहीं रहा. फिर भी लगातार राम विलास पासवान से जुड़े रहे. कुछ समय के लिए इंदुभूषण सिंह एलजेपी से जुड़े, लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी. इसके बाद भी पासवान से उनके व्यक्तिगत संबंध बने रहे. राम विलास पासवान भी इंदुभूषण सिंह के घर को खुद के लिए लकी मानते थे और लगातार उनके मकान और परिवार से जुड़ाव बनाये रखा. पासवान के निधन की खबर से इंदुभूषण सिंह और उनके परिवार में भी गहरा शोक है.
ये बोले इंदुभूषण
वहीं इंदुभूषण सिंह ने बताया कि जब राम विलास पासवान 1977 में यहां आए तो हम छात्रों में काफी उत्साह था. उनका चुनाव कार्यालय हमारे यहां खोला गया, तो उनके साथ बड़े भाई जैसा रिश्ता बन गया था. इंदुभूषण ने बताया कि कुछ ऐसा संयोग हुआ कि दो बार हमारे यहां उनका किसी कारण से चुनाव कार्यालय नहीं बन सका, तो दोनों चुनाव में वे हार गए. इसके बाद जब 2014 में चुनाव लड़ने की बात आई, तो राम विलास पासवान ने व्यक्तिगत रूप से इंदुभूषण को बुलाया और फिर से चुनाव कार्यालय उनके ही मकान में खोलने की इच्छा जाहिर की थी. इस चुनाव में भी रामविलास पासवान का चुनावी कार्यालय उन्हीं के मकान में बना.
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