scorecardresearch
 

लालू के बिना दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरेगी RJD, तेजस्वी की होगी असली परीक्षा

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद अब सियासी पारा चढ़ने लगा है. जहां सभी दल चुनावी समर में उतरने को तैयार हैं वही एक नेता ऐसा भी है जो इस चुनाव का हिस्सा नहीं है.

Advertisement
X
लालू यादव के बेटे तेजस्वी की नेतृत्व की होगी परीक्षा (फाइल फोटो)
लालू यादव के बेटे तेजस्वी की नेतृत्व की होगी परीक्षा (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का हुआ ऐलान
  • दूसरी बार लालू के बिना चुनावों में उतरेगी आरजेडी
  • 2019 के लोकसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद अब सियासी पारा चढ़ने लगा है. जहां सभी दल चुनावी समर में उतरने को तैयार हैं वही एक नेता ऐसा भी है जो इस चुनाव का हिस्सा नहीं है. मगर आज भी बिहार की राजनीति उसकी परिक्रमा के बिना पूरी नहीं होती है. यहां बात आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की हो रही है.

Advertisement

लालू प्रसाद पिछले 3 साल से चारा घोटाले में दोषी करार दिए जाने के बाद रांची जेल में बंद है और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव ऐसा दूसरा मौका होगा जब लालू की गैरमौजूदगी में राष्ट्रीय जनता दल चुनावी समर में उतरेगी. ऐसे में राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की चुनावी रणनीति और नेतृत्व क्षमता की असल परीक्षा भी इन चुनावों में होगी. क्योंकि लोकसभा चुनावों में मुद्दे राष्ट्रीय स्तर के होते हैं जबकि विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दों पर बात होती है. इसके अलावा यह भी देखना वाला होगा कि तेजस्वी के बाद बिहार की जनता तेजस्वी को स्वीकार करती है या नहीं.

बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव ऐसा पहला मौका था जब लालू प्रसाद की गैरमौजूदगी में उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल ने चुनाव लड़ा था मगर चुनावी नतीजों से बिल्कुल साफ है कि किस तरीके से पार्टी को लालू की कमी महसूस हुई. बता दें कि लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर वह एक सीट पर भी जीत हासिल नहीं कर पाई.

Advertisement

लालू प्रसाद, जिन्होंने बिहार की राजनीति में पिछले तीन दशक से अपना दबदबा बना कर रखा है उन्होंने 2015 में किस तरीके विधानसभा चुनाव में आरजेडी के पक्ष में बाजी पलट दी थी अब तक लोगों को याद है. 2010 विधानसभा चुनाव लालू के लिए सबसे बुरा वक्त था जब उनकी पार्टी केवल 22 सीटों पर सिमट गई थी. मगर 2015 में लालू ने अकेले पूरी बाजी पलट दी और राष्ट्रीय जनता दल 80 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.

2019 का लोकसभा चुनाव आरजेडी के लिए देश की राजनीति में सबसे खराब दौर रहा. पार्टी का एक भी सांसद संसद में नहीं है. इसकी एक बड़ी वजह है चुनाव में लालू प्रसाद का गैर मौजूद होना.

राष्ट्रीय जनता दल प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, "लालू प्रसाद एक करिश्माई नेता हैं जो बिहार के लोगों के दिलों पर राज करते हैं. बिहार के लोगों के साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल भी अपने सबसे बड़ी नेता की कमी को महसूस कर रहा है. विधानसभा चुनाव में ऐसा दूसरा मौका होगा जब लालू के बिना पार्टी चुनाव लड़ेगी. हालांकि, तेजस्वी लालू के सपने को साकार करने के लिए पूरी तरीके से तैयार हैं".

 

Advertisement
Advertisement