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सासाराम विधानसभा सीट:पिछले चुनाव में RJD ने बिगाड़ा था भाजपा का खेल, इस बार वापसी पर नजर

बिहार की सासाराम विधानसभा सीट (Sasaram Assembly Seat) हॉट सीट में तब्दील हो गई है. इस बार सासाराम विधानसभा क्षेत्र की सियासी हवा बदल गई है. दरअसल, RJD के विधायक अशोक कुमार JDU में शामिल हो गए हैं. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. 

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Bihar Election 2020, Sasaram assembly seat
Bihar Election 2020, Sasaram assembly seat
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार में तीन चरण में हुआ चुनाव
  • 10 नवंबर को आएंगे चुनावी नतीजे

बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, अब 10 नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की सासाराम विधानसभा सीट पर इस बार 28 अक्टूबर को वोट डाले गए, यहां कुल 50.44% मतदान हुआ.

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बिहार की सासाराम विधानसभा सीट (Sasaram Assembly Seat) हॉट सीट में तब्दील हो गई है. इस सीट पर 2015 के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के उम्मीदवार डॉ. अशोक कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार जवाहर प्रसाद को हराकर जीत दर्ज की थी. इस बार सासाराम विधानसभा क्षेत्र की सियासी हवा बदल गई है. दरअसल, RJD के विधायक अशोक कुमार JDU में शामिल हो गए हैं. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प है. 

कब हुई वोट‍िंग, क‍ितने प्रत्‍याशी?
सासाराम विधानसभा सीट पर पहले चरण में 28 अक्टूबर को मतदान हुआ. सासाराम सीट से अशोक कुमार जेडीयू (JDU) के टिकट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. 2015 के चुनाव में वो आरजेडी (RJD) के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे. वहीं, महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने राजेश कुमार को प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा एलजेपी (LJP) के टिकट पर रामेश्वर चौरसिया चुनावी मैदान में हैं.

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बता दें कि इस साल बिहार विधानसभा चुनाव 3 चरणों में संपन्न हुए. पहले चरण के लिए 28 अक्टूबर, दूसरे चरण के लिए 3 नवंबर को वोट डाले गए. जबकि तीसरे यानी आखिरी चरण का चुनाव 7 नवंबर को हुआ. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.

क्या कहता है राजनीतिक इतिहास?
रोहतास जिले के अंतर्गत आने वाली सासाराम विधानसभा सीट पर 1957 में पहला चुनाव हुआ था. 1990 से इस सीट पर भाजपा और राजद में मुख्य मुकाबला होता रहा है. 1990 से 2015 तक इस सीट पर 5 बार BJP जबकि सिर्फ दो बार RJD को जीत मिली है. खास बात ये है कि जवाहर प्रसाद और अशोक कुमार इन दो चहरों के बीच ही हमेशा कांटे की टक्कर रही है. अब तक के आंकड़े बताते हैं कि 1990 और 1995 में भाजपा के टिकट पर जवाहर प्रसाद का इस सीट पर कब्जा रहा है. वहीं वर्ष 2000 में राजद प्रत्याशी डॉ. अशोक कुमार चुनाव जीते थे. इसके बाद 2005 में फिर जवाहर प्रसाद ने वापसी की और 2010 तक सीट पर काबिज रहे. जबकि 2015 के चुनाव में एक बार फिर अशोक कुमार ने भाजपा को टक्कर देते हुए सत्ता में वापसी की.  

सामाजिक तानाबाना
सासाराम विधानसभा सीट रोहतास जिले के अंर्तगत आती है. 2011 की जनगणना के अनुसार सासाराम की कुल जनसंख्या 467532 है. जिसमें 66.7% ग्रामीण जबकि 33.3% शहरी आबादी है. यहां की कुल आबादी में 17.55 फीसदी अनुसूचित जाति (SC) और  1.37 फीसदी अनुसूचित जनजाति (ST) है. 2019 की वोटर लिस्ट के अनुसार, सारासाम निर्वाचन क्षेत्र में  342822 मतदाता और  347 मतदान केंद्र हैं.  2015 में सासाराम विधानसभा क्षेत्र में 353.27% मतदान हुआ था. 

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2015 के चुनावी नतीजे
बिहार की सासाराम विधानसभा सीट पर पिछले कुछ चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में कांटे का मुकाबला होता रहा है. ऐसे में इस बार यहां किसके माथे पर जीत का सेहरा बंधता है इसपर नज़र रहेगी. 2015 में इस सीट पर राजद प्रत्याशी के रूप में अशोक कुमार का कब्जा रहा. राजद के अशोक कुमार को 82766 वोट मिले थे. जबकि भाजपा के जवाहर प्रसाद को 63154 वोट मिले थे. वहीं, तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी कृष्ण कुमार सिंह को 9247 वोट प्राप्त हुए थे. राजद विधायक के जदयू में शामिल होने के बाद से सासाराम सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है.

अशोक कुमार का रिपोर्ट कार्ड
बिहार के रोहतास जिले में 1960 में जन्मे अशोक कुमार ने महज 15 साल की उम्र में सियासत में कदम रखा था. अशोक कुमार ने 1975 में राजनीति में प्रवेश किया. अशोक कुमार ने1974 में जेपी आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया. इस सिलसिले में उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा. 

 

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