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सीमांचल ने लगाई तेजस्वी के सपने में सेंध, जानें-इलाके की हर सीट का हाल

चुनाव नतीजे आने से पहले राजनीतिक विश्लेषक ये मान रहे थे कि सीमांचल के मुसलमान मतदाता ओवैसी की पार्टी के बजाए धर्मनिरपेक्ष छवि रखने वाली महागठबंधन की पार्टियों को तरजीह देंगे. हालांकि, इसके उलट लोगों ने ओवैसी पर भरोसा दिखाया है. सीमांचल की कई ऐसी सीटें हैं जहां ओवैसी की एआईएमआईएम ने महागठबंधन के उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ा है.

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सीमांचल में 24 सीटें
सीमांचल में 24 सीटें
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीमांचल इलाके में 24 विधानसभा सीट हैं
  • यहां किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार आते हैं

बिहार विधानसभा की सियासी तस्वीर साफ हो चुकी है. बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनाने जा रही है. वहीं, महागठबंधन को विपक्ष में बैठना होगा. बिहार में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. महागठबंधन को सबसे बड़ा नुकसान सीमांचल इलाके में हुआ है. 

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सीमांचल में 24 विधानसभा सीट 
सीमांचल में किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जिले आते हैं, जहां कुल 24 विधानसभा सीट हैं. इनमें से आधी से भी ज्यादा सीटों पर मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. इस इलाके में महागठबंधन को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने नुकसान पहुंचाया है. सीमांचल में ओवैसी की पार्टी को पांच सीटों- जोकीहाट, आमौर, बाइसी, बहादुरगंज और कोचाधमन पर जीत मिली है. अगर एनडीए की बात करें तो किशनगंज में एक भी सीट नहीं मिली है जबकि पूर्णिया, अररिया और कटिहार में क्रमश: चार-चार सीटों पर जीत हासिल की है. महागठबंधन को किशनगंज में 2,  पूर्णिया में एक, अररिया में एक और कटिहार में तीन सीटों से ही संतोष करना पड़ा है.

सीमांचल ने राजनीतिक पंडितों को खारिज किया  
चुनाव नतीजे आने से पहले राजनीतिक विश्लेषक ये मान रहे थे कि सीमांचल के मुसलमान मतदाता ओवैसी की पार्टी के बजाए धर्मनिरपेक्ष छवि रखने वाली महागठबंधन की पार्टियों को तरजीह देंगे. हालांकि, इसके उलट लोगों ने ओवैसी पर भरोसा दिखाया है. सीमांचल की कई ऐसी सीटें हैं जहां ओवैसी की एआईएमआईएम ने महागठबंधन के उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ा है.

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पूर्णिया, कटिहार या अररिया की कुछ ऐसी भी सीटें हैं जहां, महागठबंधन और एआईएमआईएम के उम्मीदवारों के बीच वोट का अंतर नजदीकी है. सीधे शब्दों में कहें तो ओवैसी ने पांच सीटें जीतकर तेजस्वी यादव को 11 सीटों पर नुकसान पहुंचाया है. अगर ओवैसी बिहार चुनाव में मैदान में नहीं उतरते, तो शायद तेजस्वी अपना सपना पूरा होते देखने की स्थिति में पहुंच सकते थे. 

सीमांचल के बारे में 
सीमांचल का इलाका पश्चिम बंगाल से सटा हुआ है. ये वो इलाका है जहां भारी गरीबी है, हर साल बाढ़ से जिंदगी दूभर होती है और मुसलमानों की अच्छी खासी तादाद में आबादी है. सीमांचल में किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जिले आते हैं, जहां कुल 24 विधानसभा सीट हैं.

 

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