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सिकटा विधानसभा सीट पर 60 फीसदी मतदान, JDU की साख दांव पर

सिकटा विधानसभा सीट पर इस बार कुल 21 लोगों ने नामांकन दाखिल किया था और 20 आवेदन सही पाए गए. यहां से एक उम्मीदवार ने नाम वापस लिया जबकि किसी की उम्मीदवारी खारिज नहीं हुई. इस तरह से इस सीट पर 16 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • कांग्रेस को 5 बार यहां से मिली जीत
  • सिकटा सीट पर 66.0% मतदान हुआ
  • पिछले चुनाव में 12 उम्मीदवार मैदान में थे

बिहार की सिकटा सीट पर 60 फीसदी मतदान हुआ. पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले. सिकटा विधानसभा सीट पर कुल 16 उम्मीदवार मैदान में है जिसमें मुख्य मुकाबला जनता दल यूनाइटेड के खुर्शीद फिरोज अहमद और पूर्व विधायक दिलीप वर्मा के बीच है. यहां पर तीसरे चरण में मतदान कराया गया. 

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बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 28 अक्टूबर को 16 जिलों की 71 सीटों पर मतदान हुआ तो दूसरे चरण में 3 नवंबर को 17 जिलों की 94 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई जबकि तीसरे चरण में 7 नवंबर को 78 सीटों पर मतदान हुआ. वोटों की गिनती 10 नवंबर को की जाएगी.

मैदान में 16 उम्मीदवार

सिकटा विधानसभा सीट पर इस बार कुल 21 लोगों ने नामांकन दाखिल किया था और 20 आवेदन सही पाए गए. यहां से एक उम्मीदवार ने नाम वापस लिया जबकि किसी की उम्मीदवारी खारिज नहीं हुई. इस तरह से इस सीट पर 16 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है. सिकटा सीट पर तीसरे चरण में वोटिंग होनी है और 7 नवंबर को मतदान कराए जाएंगे.

सिकटा विधानसभा सीट की बिहार विधानसभा में सीट क्रम संख्या नौ है. यह विधानसभा क्षेत्र पश्चिम चंपारण जिले में पड़ता है और यह वाल्मिकी नगर संसदीय (लोकसभा) निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा भी है. 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद इस विधानसभा सीट में बदलाव किया गया और इसके तहत सिकटा सामुदायिक विकास ब्लॉक, बरवा बरौली, सोमगढ़ और नरकटियागंज सामुदायिक विकास ब्लॉक के भवटा ग्राम पंचायत समेत कई क्षेत्रों को शामिल किया गया.

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सिकटा विधानसभा सीट का इतिहास पुराना है और इस सीट की खास बात यह है कि यहां से मुस्लिम और हिंदू प्रत्याशी बारी-बारी से चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं. साथ ही किसी एक पार्टी का कब्जा भी नहीं रहा है. 1990 से पहले यहां पर 1962 को छोड़ दिया जाए तो 1977 तक कांग्रेस का दबदबा रहा और उसने पांच बार चुनाव जीता. 1962 में स्वतंत्र पार्टी ने चुनाव जीता था. 1980 में जनता पार्टी (जेपी) और 1985 में जनता पार्टी ने चुनाव जीता.

दिलीप वर्मा पार्टी बदलते रहे और जीतते रहे

1990 के बाद के चुनाव की बात करें तो निर्दलीय प्रत्याशी फैयाजुल आजम ने जीत हासिल की थी. लेकिन 1991 के उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी दिलीप वर्मा ने जीत हासिल की. दिलीप बार-बार पार्टी बदलते रहे और चुनाव जीतते रहे. 1995 में चंपारण विकास पार्टी, 2000 भारतीय जनता पार्टी, फरवरी 2005 में समाजवादी पार्टी और 2010 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दिलीप चुनाव जीते. हालांकि नवंबर 2005 के चुनाव में दिलीप हार गए और कांग्रेस के फिरोज अहमद ने उनसे यह सीट छीन ली. 2010 में दिलीप फिर से जीते. लेकिन 2015 में जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर फिरोज ने भारतीय जनता पार्टी के दिलीप को हरा दिया.

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2015 में हुए विधानसभा चुनाव में सिकटा विधानसभा सीट की बात की जाए तो इस सीट पर कुल 2,43,498 मतदाता थे. जिसमें 1,30,45 पुरुष और 1,13,053 महिला मतदाता शामिल थे. कुल 2,43,498 में से 1,60,709 मतदाताओं ने वोट डाले जिसमें 1,55,130 वोट वैध माने गए. इस सीट पर 66.0% मतदान हुआ था. जबकि नोटा के पक्ष में 5.579 लोगों ने वोट किया था.

रोमांचक मुकाबला

सिकटा विधानसभा सीट पर 2015 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड के खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद ने जीत हासिल की थी. इस सीट पर भी मुकाबला रोमांचक रहा. खुर्शीद ने भारतीय जनता पार्टी के दिलीप वर्मा को एक कांटेदार मुकाबले में महज 2,835 मतों के अंतर से हराया था. खुर्शीद को 43.5% वोट मिले जबकि दिलीप वर्मा को 41.7% वोट हासिल हुए. इस सीट पर 12 उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें से 5 उम्मीवार निर्दलीय थे.

विधायक खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद की शिक्षा के बारे में बात करें तो वह 10वीं पास हैं और 2015 में दाखिल हलफनामे के अनुसार उनके खिलाफ 5 आपराधिक केस दर्ज है. उनके पास 1,74,25,536 रुपये की संपत्ति है, जबकि उन पर 38,58,045 रुपये की लायबिलिटीज है.


 

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