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सीतामढ़ी विधानसभा सीटः क्या जनता फिर जताएगी आरजेडी पर भरोसा?

सीतामढ़ी विधानसभा सीट के विधायक सुनील कुमार हैं. यह विधानसभा सीतामढ़ी जिले के अंतर्गत आता है. इस विधानसभा में अब तक 13 बार चुनाव संपन्न हुए हैं. 3 बार उपचुनाव भी कराए गए हैं.

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सीतामढ़ी का प्रसिद्ध जानकी मंदिर (फाइल फोटो)
सीतामढ़ी का प्रसिद्ध जानकी मंदिर (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीतामढ़ी सीट के विधायक हैं सुनील कुमार
  • बेहद समृद्ध रहा है सीतामढ़ी का इतिहास
  • 2015 के चुनाव में RJD को मिली थी जीत

सीतामढ़ी के विधायक राष्ट्रीय जनता दल(आरजेडी) के सुनील कुमार हैं. सीतामढ़ी विधानसभा, सीतामढ़ी जिले का हिस्सा है. पौराणिक आख्यानों में उल्लेख सीता की जन्मस्थली के तौर पर है. बिहार के उत्तरी गंगा के मैदान में स्थित यह जिला नेपाल की सीमा पर होने के कारण संवेदनशील माना जाता है.

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सांस्कृतिक तौर पर सीतामढ़ी का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है. मौर्य कालीन भारत के साक्ष्य भी सीतामढ़ी में देखे गए हैं. यहां का रामजानकी मंदिर और सीता कुंड बेहद प्रसिद्ध हैं. 2015 में आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. तब बीजेपी-जेडीयू का 17 साल पुराना गठबंधन टूटा था. तब  इस सीट पर आरजेडी को जीत मिली थी.

सत्ता में वापसी के बाद नीतीश कुमार, लालू यादव की पार्टी के साथ कदम मिलाकर नहीं सके और नया गठबंधन तोड़कर, नीतीश कुमार ने फिर से एनडीए में वापसी कर ली. एक बार फिर बीजेपी और जेडीयू साथ आ रहे हैं, ऐसे में नए सियासी सीमकरण क्या होंगे, यह देखने वाली बात होगी.

2015 का चुनाव 

2015 में हुए विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी सुनील कुमार ने भारतीय जनता पार्टी के सुनील कुमार उर्फ पिंटू को हराया था. आरजेडी को इस सीट से जहां 81,557 वोट हासिल हुए, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी प्रत्याशी को 66,835 मत हासिल हुए थे. वहीं तीसरे नंबर पर निर्लदीय प्रत्याशी नगीना देवी को 3,624 तो आरएसएसजेपी के अनुप महतो को 2,236 वोट हासिल हुए थे. 2015 के चुनाव में कुल 16 लोग मैदान में थे, जिनमें 2 महिलाएं भी थीं. इस चुनाव में 11 प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी.

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सीतामढ़ी विधानसभा का इतिहास

सीतामढ़ी विधानसभा, जिले की सबसे पुरानी विधानसभाओं में से एक है. पहली बार इस विधानसभा में 1951 में चुनाव हुआ था. इस विधानसभा में अब तक 13 बार चुनाव संपन्न हुए हैं. 3 बार उपचुनाव भी कराए गए हैं. पहली बार 2003 में उपचुनाव फिर 2005 में. यहां का वोटिंग पैटर्न बदलता रहा है. 

इस सीट पर वामदलों को भी सत्ता मिली, तो कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू के हाथ में भी कमान मिली. 2003 में हुए उपचुनाव में यहां से सुनील कुमार उर्फ पिंटू को जीत हासिल हुई थी, जो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी थे. 2005 और 2010 के चुनाव में भी सुनील कुमार उर्फ पिंटू यहं से विजयी रहे. बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव की एंट्री के बाद सियासी समीकरण बदले और आरजेडी प्रत्याशी सुनील कुमार को यह सीट हासिल हुई.

सामाजिक ताना बाना
इस विधानसभा में कुल 2,46,038 वोटर्स हैं. इनमें 1,31,944 पुरुष और 1,14,083 महिला वोटर्स हैं.

विधायक के बारे में
सुनील कुमार नौवीं पास हैं. राजनीति में उतरने से पहले वे कृषि के क्षेत्र में सक्रिय थे. इनका जन्म 11 जून 1976 को सीतामढ़ी के बलुआ गांव में हुआ था. सन 2000 में सुनील कुमार सक्रिय रूप से राजनीति में दाखिल हुए. पहली बार 2015 में सुनील कुमार विधायक के तौर पर चुने गए. 2005 से 2015 तक इन्होंने आरजेडी के प्रखंड अध्यक्ष के तौर पर पद संभाला है.
 

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किस-किसके के बीच है मुकाबला?

सीतामढ़ी बेहद चर्चित सीट है. यहां से एनडीए की ओर से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मिथिलेश कुमार चुनाव लड़ रहे हैं. महागठबंधन की ओर से आरजेडी प्रत्याशी सुनील कुमार सामने हैं. सुनील कुमार मौजूदा विधायक भी हैं, ऐसे में मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा. आरेजेडी दोबारा सत्ता में वापसी करना चाहेगी, वहीं बीजेपी की कोशिश होगी कि कैसे विजय रथ रोका जाए. 

अन्य उम्मीदवारों में भारतीय सबलोग पार्टी की ओर से श्रीनिवास कुमार, समता पार्टी की ओर से कुमार अभिमन्यु श्रीवास्तव चुनावी समर में हैं. प्लूरल्स पार्टी की ओर से मालती सिंह ने नामांकन दाखिल किया था लेकिन उनका नामांकन रद्द कर दिया गया. 

61.88 फीसदी मतदाताओं ने किया वोट

सीतामढ़ी विधानसभा में दूसरे चरण के तहत वोटिंग हुई. इस चरण में 17 जिलों की 94 सीटों पर चुनाव संपन्न कराए गए. सीतामढ़ी सीट पर 3 नवंबर को वोटिंग हुई चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे. इस बार के चुनाव में कुल 61.88% वोटरों ने इस विधानसभा में मतदान किया है.

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