scorecardresearch
 

सीता मइया के नाम पर पड़ा जिले का नाम सीतामढ़ी, बदलता रहा है वोटिंग पैटर्न

पिछले चुनाव में जिले की 6 सीटें महागठबंधन यानि 3 आरजेडी, 2 जेडीयू और एक कांग्रेस ने जीती थी. 2 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. 2010 के चुनाव में जेडीयू और बीजेपी मिलकर यहां लड़ीं थीं. उस समय दोनों ही दलों ने चार-चार सीटें जीती थीं.

Advertisement
X
bihar assembly election 2020
bihar assembly election 2020
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 11 दिसंबर 1972 को मुजफ्फरपुर जिले से अलग कर बनाया गया था सीतामढ़ी
  • सीतामढ़ी जिले में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं
  • मुख्य रूप से हिन्दी और बज्जिका बोली जाती है

उत्तरी बिहार का सीतामढ़ी जिला राज्य के सर्वाधिक बाढ़ग्रस्त जिलों में से एक है. सीता मइया के नाम पर पड़े इस जिले को 11 दिसंबर 1972 को मुजफ्फरपुर जिले से अलग कर बनाया गया था. जिले का मुख्यालय डुमरा में मौजूद है. 1934 में यहां भयंकर भूकंप आया था, जिससे जिले में बड़ी तबाही हुई थी. उसके बाद जिला मुख्यालय यहां स्थानांतरित किया गया था. जिले का नाम पहले सीतामड़ई, फिर सीतामही और उसके बाद सीतामढ़ी किया गया था.

Advertisement

राजनीतिक पृष्ठभूमि
जिले में किसी एक दल का दबदबा नही है. यहां वोटिंग पैटर्न बदलता रहता है. यहां हर दल को लोगों ने मौका दिया है. 2015 में आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. तब बीजेपी-जेडीयू का 17 साल पुराना गठबंधन टूटा था. तब  इस सीट पर आरजेडी को जीत मिली थी. सत्ता में वापसी के बाद दोनों की दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चली और नीतीश ने एक बार फिर बीजेपी के सहयोग से सरकार बना ली. अब बदले समीकरण में एक तरफ जेडीयू-बीजेपी तो दूसरी तरफ आरजेडी-कांग्रेस के बीच टक्कर देखना दिलचस्प होगा. जिले की सीतामढ़ी विधानसभा सीट सबसे पुरानी है. पहली बार इस विधानसभा में 1951 में चुनाव हुआ था. 

देखें: आजतक LIVE TV 

सामाजिक ताना-बाना
जिले में धान, गेहूं, दलहन, मक्का, तिलहन, तम्बाकू, सब्जी, केला, आम और लीची की पैदावार अच्छी होती है. जिले में मुख्य रूप से हिन्दी और स्थानीय भाषा के रूप में बज्जिका बोली जाती है. बज्जिका भोजपुरी और मैथली का मिलाजुला रूप है. 2011 की जनगणना के अनुसार सीतामढ़ी जिले की कुल आबादी 3,423,574 है. जिले की साक्षरता दर 52.05% है. 12805 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जिले में कुल 17 ब्लॉक हैं. 

Advertisement

ऐतिहासिक महत्व
सीतामढ़ी जिले में घूमने लायक कई जगहें हैं. पुनौरा धाम, जानकी मंदिर, हलेश्वर स्थान, बगही मठ, बाबा नागेश्वर नाथ मंदिर और गह्रौल शरीफ इनमें मुख्य हैं. सांस्कृतिक तौर पर सीतामढ़ी का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है. मौर्य कालीन भारत के साक्ष्य भी सीतामढ़ी में देखे गए हैं. यहां का रामजानकी मंदिर और सीता कुंड बेहद प्रसिद्ध हैं. 

2015 का जनादेश

सीतामढ़ी जिले में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं. पिछले चुनाव में जिले की 6 सीटें महागठबंधन यानि 3 आरजेडी, 2 जेडीयू और एक कांग्रेस ने जीती थी. 2 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. 2010 के चुनाव में जेडीयू और बीजेपी मिलकर यहां लड़ीं थीं. उस समय दोनों ही दलों ने चार-चार सीटें जीती थीं.
सीतामढ़ी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पिछले चुनाव में आरजेडी के सुनील कुमार ने 81557 वोट पाकर जीत दर्ज की थी. 66835 वोटों के साथ दूसरे नंबर बीजेपी प्रत्याशी रहे थे.

जिले की रीगा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अमित कुमार ने 79217 वोट के साथ जीत दर्ज की थी. बथनहा सीट से बीजेपी के दिनकर राम ने 74763 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी. यहां से दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र ने 54597 वोट हासिल किए थे. परिहार सीट से बीजेपी प्रत्याशी गायत्री देवी ने 66388 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. आरजेडी के रामचंद्र 62371 वोट पा सके थे. 

Advertisement

बजपट्टी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां से जेडीयू की डॉक्टर रंजू गीता ने 67194 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. सरसंड सीट से आरजेडी के सैयद अबू दोजाना ने 52857 वोट पाकर जीत दर्ज की थी. रुन्नीसैदपुर सीट से जेडीयू की मंगिता देवी ने 55699 वोट के साथ जीत हासिल की थी. बेलसंड सीट से जेडीयू की सुनीता सिंह चौहान ने 33785 वोट के साथ जीत दर्ज की थी. उन्होंने एलजेपी प्रत्याशी मो. नासिर को मात दी थी.

 

Advertisement
Advertisement