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अगर आप बिहार की राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं तो आपको सीवान जिले के महाराजगंज के बारे में बखूबी जानकारी होगी. महाराजगंज वो इलाका है जहां से प्रभुनाथ सिंह जैसे बाहुबली ने लोकसभा का रास्ता तय किया. राजपूत के गढ़ के तौर पर पहचान बना चुका ये क्षेत्र विधानसभा चुनाव के लिए चर्चा में है. दरअसल, महाराजगंज के विधानसभा क्षेत्र में इस बार एनडीए के बीच ही दावेदारी की जंग है. हालांकि, एनडीए की ओर से एक ऐसे शख्स दावेदार बनकर उभरे हैं जो राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन के लिए चुनौती बन सकते हैं. ये शख्स कोई और नहीं बल्कि डॉक्टर कुमार देवरंजन सिंह हैं.
कौन है कुमार देवरंजन सिंह?
महाराजगंज विधानसभा के लिए कुमार देवरंजन सिंह कोई नया नाम नहीं है. 58 साल के देवरंजन साल 2010, 2014 और 2015 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. 2010 में डॉक्टर देवरंजन सिंह निर्दलीय मैदान में थे तो वहीं साल 2014 में महाराजगंज विधानसभा पर उपचुनाव में विधायक चुने गए. दरअसल, वर्ष 2010 में जदयू के दामोदर सिंह विजयी रहे थे लेकिन उनके निधन के बाद साल 2014 में लोकसभा चुनाव के साथ ही महाराजगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था. इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ.देवरंजन सिंह ने राजद के मानिकचंद राय को 4150 मतों से हरा दिया. वहीं, साल 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के देवरंजन सिंह और जेडीयू के हेमनारायण साह से सीधा मुकाबला था. हालांकि, इस चुनाव में देवरंजन सिंह को हेमनारायण साह से मामूली अंतर से हार मिली.
एनडीए के प्रबल दावेदार क्यों?
इस चुनाव में महाराजगंज की विधानसभा सीट पर कुमार देवरंजन सिंह एनडीए की ओर से प्रबल दावेदार बनकर उभरे हैं. दरअसल, जेडीयू के वर्तमान विधायक हेमनारायण साह के खिलाफ क्षेत्र में माहौल है. ऐसा माना जा रहा है कि जेडीयू बड़े पैमाने पर अपने सीटिंग विधायकों को टिकट नहीं देगी. इसमें हेमनारायण साह का भी नाम आ सकता है. वहीं, ये भी चर्चा है कि महाराजगंज विधानसभा सीट बीजेपी अपने खाते में लेना चाहती है. अगर ऐसा होता है तो डॉक्टर देवरंजन सिंह को टिकट मिलना तय है. अहम बात ये है कि डॉक्टर देवरंजन सिंह पर महाराजगंज में बीजेपी और जेडीयू दोनों राजनीतिक दलों के बीच विरोध के सुर भी नहीं उठेंगे.
जिला के चर्चित डॉक्टर
डॉक्टर कुमार देवरंजन सिंह ने एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई की है. वह 1993 से लेकर 1999 तक बिहार सरकार में मेडिकल ऑफिसर रह चुके हैं. देवरंजन सिंह ने प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिस साल 2013 तक की है. देवरंजन सिंह की बीजेपी के प्रति निष्ठा काफी पुरानी है. वह 1995 से लेकर 2000 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे. कुमार देवरंजन सिंह के बारे में खास बात ये है कि उनकी पत्नी उर्मिला ठाकुर भी सीवान की चर्चित डॉक्टर हैं. पति—पत्नी की फ्री मेडिकल सर्विस आज भी जिला में काफी चर्चित है.
कोरोना काल में सक्रिय
कोरोना काल में कुमार देवरंजन सिंह की सक्रियता काफी चर्चित रही. उन्होंने लॉकडाउन के दौरान कोटा में फंसे सीवान और गोपालगंज के छात्रों की घर वापसी के लिए मोर्चा खोला था. इसके अलावा क्वारंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूरों को बतौर डॉक्टर चिकित्सीय सुझाव देना हो या इलाज हो, हर काम में सक्रियता मीडिया की सुर्खियों में रही. इसके अलावा बाढ़ के दौरान भी डॉक्टर देवरंजन सिंह लोगों के बीच नजर आए.