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बिहार के सीवान जिले में एनडीए उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है. जिले की सभी आठ विधानसभा सीटों के लिए बीजेपी और जेडीयू दोनों ने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. इनमें कुछ उम्मीदवारों ने तो नामांकन भी कर दिया है. हालांकि, एनडीए के लिए उनके बागी नेता मुसीबत बनते जा रहे हैं. दरअसल, कई ऐसे उम्मीदवारों ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है जो कल तक बीजेपी या जेडीयू में थे लेकिन उन्हें इस बार टिकट नहीं मिला है. आइए हर सीट पर एनडीए का हाल जानते हैं.
किसके खाते में कौन सी सीट
सीवान की जीरादेई, रघुनाथपुर, बड़हरिया और महाराजगंज विधानसभा सीट जेडीयू के खाते में है तो वहीं सीवान सदर, गोरेयाकोठी, दरौली और दरौंदा की सीट बीजेपी के खाते में गई है. बीजेपी की ओर से सीवान सदर से ओमप्रकाश यादव को टिकट मिला है. वहीं गोरेयाकोठी से देवेशकांत सिंह, दरौंदा से करनजीत सिंह और दरौली से रामायण मांझी को टिकट दिया गया. अगर जेडीयू की बात करें तो जीरादेई से कमला कुशवाहा, रघुनाथपुर से राजेश्वर चौहान, बड़हरिया से श्याम बहादुर सिंह और महाराजगंज से हेम नारायण साह को टिकट दिया गया है.
कौन बनेगा कहां मुसीबत
इसकी शुरुआत सीवान सदर से करते हैं. सीवान सदर पर बीजेपी उम्मीदवार ओमप्रकाश यादव के लिए विधायक व्यासदेव प्रसाद मुसीबत बनने वाले हैं. व्यासदेव प्रसाद ने निर्दलीय नामांकन कर दिया है. आपको बता दें कि व्यासदेव प्रसाद तीन बार से बीजेपी के टिकट पर विधायक रहे हैं लेकिन इस बार उनका टिकट कट गया है. वहीं, ओमप्रकाश यादव की बात करें तो वो सीवान से लगातार दो बार (2009, 2014 ) सांसद रहे हैं. उन्होंने शहाबुद्दीन के खिलाफ संघर्ष कर एक खास पहचान बनाई है. ओमप्रकाश यादव पहली बार तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई थी.
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चर्चित तेजाब कांड में चंदा बाबू के बेटों की हत्या हो या पत्रकार राजदेव रंजन का मर्डर, हर मामले में ओमप्रकाश यादव ने खुलकर शहाबुद्दीन का विरोध किया. यही वजह है कि उन्हें शहाबुद्दीन के सबसे बड़े विरोधी के तौर पर जाना जाता है. बीते साल सीवान के दरौंदा विधानसभा पर उपचुनाव में ओमप्रकाश यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार करनजीत उर्फ व्यास सिंह का समर्थन किया था. इस वजह से उपचुनाव में जेडीयू उम्मीदवार अजय सिंह को हार नसीब हुई. यही वजह है कि अजय सिंह और ओमप्रकाश यादव के बीच तनाव है. अजय सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार व्यासदेव प्रसाद को समर्थन देकर इस पर मुहर लगा दी है.
जीरादेई में भी बगावत
इसी तरह जीरादेई विधानसभा सीट पर जेडीयू ने वर्तमान विधायक रमेश कुशवाहा का टिकट काटकर कमला कुशवाहा को टिकट दिया है. ऐसे में रमेश कुशवाहा बागी रुख अख्तियार कर रहे हैं. इसके अलावा विवेक शुक्ला समेत जेडीयू के अन्य नेताओं में भी नाराजगी है. अब बात करते हैं दरौली की तो इस सीट से ये तय था कि बीजेपी से रामायण मांझी को ही टिकट मिलेगा. हालांकि, रामायण मांझी 2015 में हारे हुए उम्मीदवार हैं. कमोबेश यही स्थिति बड़हरिया विधानसभा की थी. बड़हरिया विधानसभा से श्याम बहादुर सिंह को टिकट मिलना अनिवार्य माना जा रहा था. यही वजह है कि इन दोनों सीट से विरोध के स्वर ज्यादा नहीं उठ रहे हैं.
गोरेयाकोठी-रघुनाथपुर का ये है हाल
गोरेयाकोठी से बीजेपी के देवेशकांत सिंह को टिकट दिए जाने के बाद स्थानीय नेता मनोज सिंह ने भी बागी तेवर अपना लिए हैं. उन्होंने तो यहां तक दावा किया है कि सीवान की आठों सीट एनडीए हार जाएगी. रघुनाथपुर की बात करें तो बीजेपी के जिलाध्यक्ष मनोज सिंह को टिकट नहीं मिला है. ये सीट जेडीयू के खाते में है और पार्टी ने राजेश्वर चौहान को टिकट दिया है. ऐसे में मनोज सिंह ने बागी तेवर अपना लिए हैं. मनोज सिंह के बगावत से जेडीयू की मुश्किल बढ़ सकती है. मनोज सिंह इस बार एलजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं. महाराजगंज से जेडीयू ने हेमनारायण साह को टिकट दिया है. इस सीट पर पहले डॉक्टर देवरंजन सिंह के टिकट दिए जाने की खबर थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसका नतीजा ये हुआ है कि देवरंजन सिंह ने बागी तेवर अपना लिए हैं.
एक मुश्किल दरौंदा में भी
अब बात दरौंदा की करते हैं. सीवान संसदीय क्षेत्र में एनडीए की सबसे विवादित सीट पर करनजीत उर्फ व्यास सिंह को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. इस फैसले से सांसद कविता सिंह के पति अजय सिंह नाराज हैं और वह विरोध में प्रचार कर रहे हैं. यही नहीं, उन्होंने बीजेपी के ही नेता जीतेंद्र स्वामी के भाई रोहित कुमार अनुराग के समर्थन का ऐलान भी कर दिया है.
आपको बता दें कि रोहित कुमार अनुराग दरौंदा विधानसभा से निर्दलीय नामांकन भर चुके हैं. बहरहाल, सीवान एनडीए के बीच चल रहे बवाल का क्या असर होगा, ये 10 नवंबर को चुनावी नतीजों के साथ पता चल जाएगा.