बेगूसराय जिले में आने वाली टेघड़ा विधानसभा सीट पर जेडीयू और सीपीआई के बीच टक्कर है. सीपीआई ने राम रतन सिंह को जबकि जेडीयू ने विरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है. वहीं एलजेपी ने ललन कुमार और जन अधिकार पार्टी ने श्रीराम राय को टिकट दिया है. इस सीट पर तीन नवंबर को हुए मतदान के दौरान 59.96% पोलिंग हुई. चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.
टेघड़ा विधानसभा सीट को पहले बरौनी विधानसभा क्षेत्र के रूप में जाना जाता था. 2008 के परिसीमन के दौरान इस सीट का नाम बदल कर टेघड़ा कर दिया गया था.
क्या रहा 2015 का नतीजा
टेघड़ा सीट पर 2015 के चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उम्मीदवार विरेंद्र कुमार महतो को जीत मिली थी. उन्हें 68,975 (43.2%) मत मिले थे जबकि बीजेपी के राम लखन सिंह 53,364 (33.4%) मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे. वहीं सीपीआई के प्रत्याशी राम रतन सिंह 25,818 (16.2%) मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.
माना जाता है कि 2015 के चुनावों में बीजेपी और सीपीआई के उम्मीवार एक ही जाति से थे लिहाजा वोट बंट गया और दोनों दलों के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था. वहीं महागठबंधन में कांग्रेस-राजद-जदयू मिलकर चुनाव लड़े, लिहाजा राजद उम्मीदवार विरेंद्र कुमार को जीत मिली.
2010 के चुनावों में वामदलों का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर पहली बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सेंधमारी करने में कामयाब रही थी. भारतीय जनता पार्टी के लखन कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी जहां उन्हें 38,694 (31.4%) मत मिले थे जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के प्रत्याशी राम रतन सिंह 32,848 (26.6%) मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे.
राजनीतिक इतिहास
यह सीट पहले बरौनी विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती थी. 1962 में चंद्र शेखर सिंह चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचने वाले पहले वामपंथी सदस्य बने थे. इसके बाद से टेघड़ा सीट 2010 तक वामदलों का गढ़ बनी रही.
ऐतिहासिक महत्व
बेगुसराय में टेघड़ा विधानसभा कई लिहाज से ऐतिहासिक निर्वाचन क्षेत्र भी है. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर इसी क्षेत्र से थे जबकि प्रसिद्ध इतिहासकार राम शरण शर्मा का जन्म भी इसी इलाके में हुआ था. जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी इसी विधानसभा क्षेत्र से आते हैं.
जातीय ताना-बाना
जनगणना 2011 के मुताबिक टेघड़ा विधानसभा क्षेत्र की आबादी 415161 है. इसमें 49.83% लोग गांवों में रहते हैं जबकि 50.17% आबादी ग्रामीण है. इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति का अनुपात क्रमशः 10.78 और 0.12 फीसदी है. 2019 की मतगणना सूची के मुताबिक इस सीट पर 280340 मतदाता है. 2015 के विधानसभा चुनावों में 59.46% मतदान हुआ था.