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बिहार के चुनावी रण में बेटे-बेटियों-रिश्तेदारों को जीत नहीं दिला पाए दिग्गज

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के परिणाम आ चुके हैं. एनडीए पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहा है. बिहार के चुनावी रण में हर किसी ने पूरी ताकत के साथ मुकाबला किया. मुद्दा भले ही विकास था, लेकिन बिहार की राजनीति पर इस बार भी परिवारवाद हावी रहा. चुनाव मैदान में महागठबंधन हो या फिर अन्य दल परिवारवाद में सभी पार्टियां आगे रहीं, लेकिन सफलता ज्यादा नहीं मिली.

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Veteran leader sons daughters relatives failed to win
Veteran leader sons daughters relatives failed to win
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बॉलीवुड स्टार शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे की भी हुई हार
  • चिराग पासवान के चचेरे भाई भी नहीं जीत सके चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के परिणाम आ चुके हैं. एनडीए पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहा है. बिहार के चुनावी रण में हर किसी ने पूरी ताकत के साथ मुकाबला किया. मुद्दा भले ही विकास था, लेकिन बिहार की राजनीति पर इस बार भी परिवारवाद हावी रहा. चुनाव मैदान में महागठबंधन हो या फिर अन्य दल परिवारवाद में सभी पार्टियां आगे रहीं, लेकिन सफलता ज्यादा नहीं मिली. 

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बिहार में परिवारवाद की राजनीति की बात की जाये, तो लालू प्रसाद यादव के घराने की चर्चा सबसे पहले रहती है. लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव भले ही जीत गये, लेकिन तेजस्वी की अगुवाई वाले महागठबंधन में कई नेता ऐसा रहे, जो अपने परिवार के सदस्यों को जीत नहीं दिला सके. आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद, पूर्व सांसद कांति सिंह के पुत्र और सजायाफ्ता राजबल्लभ यादव की पत्नी के अलावा अधिकांश चुनाव हार गए. पूर्व सांसद जयप्रकाश यादव के भाई जमुई से तो बेटी तारापुर से पराजित हो गईं.

रिश्तों पर भारी पड़ी सियासत 

इस चुनाव में रिश्तेदार एक दूसरे के सामने चुनाव लड़े. नरकटियागंज में बीजेपी प्रत्याशी रश्मि वर्मा ने अपने जेठ कांग्रेस प्रत्याशी विनय वर्मा को हरा दिया. पीरपैंती से आरजेडी से परामविलास पासवान और उनके पिता उदाली पासवान निर्दलीय चुनाव मैदान में आमने सामने थे, दोनों को हार का सामना करना पड़ा. 

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शाहपुर से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरीं जेठानी शोभा देवी और बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ रहीं देवरानी मुन्नी देवी को भी हार का सामना करना पड़ा. जोकीहाट से आरजेडी प्रत्याशी सरफराज आलम अपने भाई एआईएमआईएम प्रत्याशी मो. शाहनवाज से हार गये. रामगढ़ से आरजेडी के सुधाकर सिंह ने अपने चचेरे भाई शंकर दयाल को हराया. वहीं मनेर से निर्दलीय प्रत्याशी श्रीकांत निराला ने फुफेरे भाई बीजेपी प्रत्याशी निखिल आनंद को हराया. 

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बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के रण में कई ऐसे प्रत्याशी रहे, जिनके पिता-पति और दादा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी. कहलगांव से कांग्रेस के दिग्गज नेता सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश हार गये. तारापुर से पूर्व केंद्रीय मंत्री की पुत्री दिव्या प्रकाश को भी हार का सामना करना पड़ा. वजीरगंज से अवधेश सिंह के पुत्र शशिशेखर सिंह कांग्रेस से, फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव सिन्हा, शरद यादव की बेटी सुभाषिनी बुंदेला, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर के पोते आसिफ गफूर, रामनगर से पूर्णमासी राम के भाई राजेश राम को भी हार का सामना करना पड़ा. एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान के चचेरे भाई कृष्णराज रोसड़ा से चुनाव हार गए. 

वहीं, रामगढ़ से जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह आरजेडी से, जुमई से स्व. दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह बीजेपी से, ओबरा से कांति सिंह के बेटे ऋषि सिंह आरजेडी से, राजबल्लभ यादव की पत्नी नवादा विधानसभा आरजेडी से, सिमरी बख्तियारपुर से महबूब अली के बेटे यूसुफ कैसर आरजेडी से, शिवहर से आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद आरजेडी से और गौराबौड़ाम से दिवंगत नेता सुनील सिंह की पुत्रवधु स्वर्णा सिंह बीजेपी के टिकट पर जीत गईं.

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