बिहार विधानसभा के इस बार के चुनाव में कई ऐसे चेहरे हैं जिन्होंने 2019 में सांसद बनने का सपना संयोजा था. लेकिन एनडीए की आंधी में उनके सपने धराशायी हो गए. अब बिहार विधानसभा में जीत के सपने लेकर एक बार फिर से ये चुनाव मैदान में हैं. इसमें कई बड़े और चर्चित चेहरे भी हैं. आइये मिलते हैं ऐसे प्रत्याशियों से...
नीलम देवी भी मैदान में...
बिहार के बाहुबली नेताओं में से एक अनंत सिंह इस बार राजद के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ रहे हैं. इसी सीट पर उनकी पत्नी नीलम सिंह ने भी पर्चा दाखिल किया है. नीलम सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में मुंगेर सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी थीं. हालांकि वह डेढ़ लाख से ज्यादा मतों से चुनाव हार गई थीं. मोकामा से इस बार के उनके नामांकन के पीछे एक अलग कहानी है. माना जा रहा है अनंत ने अपनी पत्नी को वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतारा है. अब अनंत सिंह के रहते वह कितनी गंभीरता के साथ चुनाव लड़ेंगी, ये वक्त ही बताएगा.
लालू के समधी भी ठोंक रहे ताल...
लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय भी इस बार जदयू के टिकट पर परसा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. 2019 में उन्होंने अपने समधी लालू की पार्टी राजद के टिकट पर सारण सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें 1.34 लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. दामाद तेज प्रताप और बेटी ऐश्वर्या राय के बीच के विवाद के बाद उनके और लालू के परिवार के बीच दूरियां हो गईं हैं. अब वह राजद छोड़ जदयू के नेता हैं और उसके टिकट पर विधानसभा में भाग्य आजमा रहे हैं.
राजबल्लभ की पत्नी भी मैदान में...
नवादा विधानसभा सीट इस बार अपनी विधानसभा सदस्यता खो चुके सजायाफ्ता पूर्व विधायक राजबल्लभ की पत्नी की वजह से चर्चा में है. राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी को राजद ने अपना प्रत्याशी बनाया है. विभा देवी 2019 में नवादा सीट संसदीय सीट से ही लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं. तब उन्हें डेढ़ लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. इस सीट पर विभा के पति राजबल्लभ पर विधायक रहने के दौरान बलात्कार के एक मामले में आरोप सिद्ध हो चुका है और इसलिए वह जेल में हैं. उनकी विधानसभा की सदस्यता भी इसी वजह से समाप्त हो गई थी.
चिराग के प्रतिद्वंद्वी भूदेव भी लड़ रहे...
लोकसभा चुनाव 2019 में लोजपा प्रमुख चिराग पासवान के प्रतिद्वंद्वी के रूप में चुनाव लड़ चुके भूदेव चौधरी अब विधानसभा के लिए उम्मीदवार हैं. रालोसपा का दामन छोड़ अब राजद खेमे में जुड़ चुके हैं. राजद के टिकट पर वह धोरैया सीट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भूदेव चौधरी ने जमुई सीट पर लोजपा के चिराग पासवान का सामना किया था और करीब ढाई लाख वोटों से हारे थे. अब एक बार फिर नई पार्टी के साथ अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
सुरेंद्र फिर चाहते हैं विधानसभा जाना...
बाहुबली छवि के नेता और बेलागंज के विधायक सुरेन्द्र यादव एक बार फिर बेलागंज सीट पर ही चुनाव लड़ने जा रहे हैं. पिछले साल इन्होंने भी लोकसभा में जाने का सपना देखा था. इसके लिए राजद के टिकट पर जहानाबाद से चुनाव भी लड़े थे. लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया. महज 1751 वोट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वरना ये सीट राजद के खाते में होती. हालांकि अब वह फिर से विधानसभा जाने के लिए तैयारी में जुट गए हैं.
अब्दुल बारी भी हुए थे मायूस...
लोकसभा चुनाव 2019 में मायूस होने वाले नेताओं में राजद के बड़े चेहरों में से एक अब्दुल बारी सिद्दिकी भी हैं. उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में दरभंगा सीट पर भाग्य आजमाया था. हालांकि उन्हें ढाई लाख से ज्यादा वोटों से पराजय का सामना करना पड़ था. लेकिन राजद ने अपने इस खिलाड़ी को अब अलीनगर विधानसभा सीट पर उतारा है. देखना है कि अबकी अब्दुल बारी की किस्मत उन्हें जीत का सेहरा देती है या मायूसी.
पशुपति से हारे थे शिवचंद्र राम...
राजद के एक और बड़े नेता शिवचंद्र राम पातेपुर विधानसभा सीट के प्रत्याशी हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में वह राजद के टिकट पर ही हाजीपुर सुरक्षित सीट से प्रत्याशी थे. उनका मुकाबला लोजपा प्रत्याशी और स्व. रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस से था. इसमें शिवचंद्र के हिस्से में हार आई थी. अब शिवचंद्र विधायक बनने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं.
अशोक राम भी लड़ रहे हैं चुनाव...
बिहार कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक डॉ. अशोक राम भी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं. वह इस बार कुशेश्वर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. डॉ. अशोक भी 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. तब वह समस्तीपुर संसदीय सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी थे लेकि इस चुनाव में उन्हें हार मिली.
हिना शहाब पर है सबकी निगाहें...
सीवान के पूर्व सांसद और बाहुबली हिना शहाब पर भी सबकी निगाहें हैं. राजद ने उन्हें सीवान के रघुनाथपुर विधानसभा से टिकट की पेशकश की है. लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया. हालांकि अब भी यही कयास लगाया जा रहा है कि हिना बिना किसी टिकट के ही मैदान में आ सकती है. अगर वो चुनाव लड़ती है तो वह भी ऐसी प्रत्याशी होंगी जो लोकसभा में हार के बाद विधानसभा के लिए प्रयासरत नेता होगा. हिना 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन तीनों ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
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