मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव-2020 को लेकर लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में अगर इस बार की बात करें तो नीतीश कुमार को अपनी चुनावी सभाओं में काफी नाराज देखा जा रहा है.
पिछले दिनों में नीतीश कुमार की जहां-जहां सभाएं हुई हैं, उनमें से कुछ जगहों पर उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा है जिसके कारण नीतीश अपना आपा खो बैठे हैं और रैली में शामिल होने आए लोगों पर उनका गुस्सा उतर जा रहा है.
रविवार को नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर के कांटी में एक चुनावी सभा की, जहां पर उन्हें स्थानीय युवकों की नाराजगी झेलनी पड़ी. नीतीश कुमार जैसे ही मंच पर आए तो कुछ लोगों ने ''नीतीश गो बैक'' के नारे लगाने शुरू कर दिए और रोजगार का मुद्दा उठाने लगे. नीतीश कुमार एक तरफ अपना भाषण जारी रखे हुए थे और दूसरी तरफ युवकों का एक समूह नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी कर रहा था.
इस अंदाज में फूटा नीतीश का गुस्सा
नीतीश कुमार इस पर काफी नाराज हुए और चुनावी मंच से आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर इशारों-इशारों में हमला किया और कहा “कुछ लोगों को ना ज्ञान है ना अनुभव”. नीतीश कुमार का यह हमला तेजस्वी यादव के उससे वादे को लेकर था, जहां पर तेजस्वी ने सरकार बनने के बाद 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया है.
इससे पहले शनिवार को बेगूसराय के तिगरा विधानसभा में नीतीश कुमार एक चुनावी सभा कर रहे थे तो वहां पर कुछ लोगों ने लालू प्रसाद के समर्थन में नारेबाजी शुरू कर दी. इस पर भी नीतीश कुमार काफी नाराज हो गए और उन्होंने कहा “अगल-बगल देख लो और समझ लो, सबका हाल ठीक कर देंगे”.
इसके बाद नाराज नीतीश ने लालू और राबड़ी शासनकाल पर हमला बोला और सवाल उठाया कि किस तरीके से 1990 से 2005 के बीच बिहार में शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुका था. नीतीश कुमार ने लालू और राबड़ी पर हमला करते हुए कहा, ''जाओ अपने बाप से पूछो, उन लोगों ने कभी स्कूल बनाया था जो सत्ता में थे? एक व्यक्ति जेल चला गया तो उसने अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया.''
परसा में लालू के समर्थन में लगे थे नारे
21 अक्टूबर को छपरा जिले की परसा विधानसभा सीट के लिए जनता दल यूनाइटेड उम्मीदवार चंद्रिका राय के प्रचार प्रसार के लिए नीतीश पहुंचे तो वहां पर भी उन्हें काफी नाराज देखा गया जब स्थानीय लोगों ने लालू के समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए. चंद्रिका राय लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के ससुर हैं. चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या और तेजप्रताप यादव के तलाक का मामला कोर्ट में चल रहा है.
परसा की इस सभा में जब लालू के समर्थन में नारे लगने शुरू हो गए तो नाराज नीतीश ने तीन दफा कहा “अरे क्या कह रहे हो.” इसके बाद जो लोग नारेबाजी कर रहे थे उन्हें सभा से बाहर जाने के लिए नीतीश ने कह दिया. सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों नीतीश कुमार आजकल अपनी जनसभाओं में नाराज हो जा रहे हैं और आखिर किस बात की बौखलाहट है जो गुस्से की शक्ल में देखने को मिल रहा है.
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पहली बार बेरोजगारी एक चुनावी मुद्दा बना
दरअसल, बिहार में पहली बार बेरोजगारी एक चुनावी मुद्दा बन चुका है. इस मुद्दे को लगातार तेजस्वी यादव बनाने का प्रयास कर रहे हैं और उन्होंने वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनेगी तो वह बिहार के युवाओं को 10 लाख सरकारी नौकरी दे देंगे.
बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर तेजस्वी यादव को लगातार बिहार के युवाओं और नौजवानों का समर्थन मिल रहा है. युवाओं में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि पिछले 15 साल में नीतीश सरकार ने बिहार के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा नहीं किए.
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इसी को लेकर जब नीतीश कुमार अपनी चुनावी सभाएं करते हैं तो बिहार के नाराज लोग उनके खिलाफ नारेबाजी करते हैं और रोजगार की मांग करते हैं जिस पर नीतीश कुमार बिफर जाते हैं.
नीतीश कुमार को भी यह कहीं ना कहीं एहसास हो चुका है कि 2 महीने पहले जो मुकाबला एकतरफा लग रहा था और जहां उन्हें इस बात का भरोसा था कि एनडीए बिहार में 200 से भी ज्यादा सीटें लेकर आएंगे, वह हालात अब नहीं है.
तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को लगातार कड़ी टक्कर दे रहे हैं और बेरोजगारी के मुद्दे पर उन्होंने काफी जनसमर्थन भी जुटा लिया है जिसके कारण तेजस्वी की सभाओं में भी लगातार भारी भीड़ उमड़ रही है.
महागठबंधन कुछ लोगों को भाड़े पर भेज रहा: JDU
वहीं इस मामले में जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि प्लैंड प्रोपेगेंडा के तहत महागठबंधन कुछ लोगों को भाड़े पर नीतीश कुमार की सभा में भेजता है, ताकि माहौल खराब हो सके. लेकिन नीतीश कुमार जी इन मुट्ठी भर लोगों की बात भी इत्मीनान से सुनकर इन्हें अच्छी सलाह दे रहे हैं. बिहार की जनता इस तरह की ओछी राजनीति को भी अच्छे तरीके से समझती है और चुनाव में इसका जवाब देगी.
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