बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए गठबंधन से हटकर एलजेपी के प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. आलम ये है कि एलजेपी प्रत्याशियों के निशाने पर जेडीय़ू है लेकिन बीजेपी पर वो नरम हैं. सासाराम विधानसभा से एलजेपी प्रत्याशी रामेश्वर चौरसिया के तेवर कुछ ऐसे ही नजर आए. (इनपुट- मनोज सिंह)
रामेश्वर चौरसिया ने कहा कि एलजेपी से चुनाव लड़ना, बीजेपी से चुनाव लड़ने के समान ही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना फायदा देखते हैं. रोहतास जिले की दो सीट नोखा और सासाराम बीजेपी के खाते में थीं. ये सीट जेडीयू के नाम कर दी गईं.
रामेश्वर ने कहा कि नीतीश कुमार चाहते हैं कि बीजेपी छिन्न-भिन्न हो जाए, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे. हम बीजेपी के एक सच्चे सिपाही रहे हैं. 30 वर्ष तक बीजेपी में मुख्य कार्यकर्ता के तौर पर जुड़े रहे हैं.
रामेश्वर चौरसिया ने कहा कि उस समय काफी दुख हुआ, जब पार्टी ने इस लायक भी नहीं समझा कि चुनाव लड़ सकूं. नीतीश कुमार बीजेपी को बर्बाद करने में तुले हुए हैं. उन्होंने कहा कि जेडीयू में लुटेरे आ गए हैं.
एलजेपी से चुनाव मैदान में आने पर कहा कि चुनाव नहीं लड़ता, लेकिन नोखा और सासाराम विधानसभा से जुड़े लोगों ने कहा कि एलजेपी और बीजेपी का केन्द्र में अटूट बंधन है. एलजेपी से चुनाव लड़ना एक तरह से बीजेपी से चुनाव लड़ने के समान है. बस यही कारण है कि इस बार एलजेपी से चुनावी मैदान में हूं.
एलजेपी प्रत्याशी रामेश्वर चौरसिया ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि विकास हुआ है. जबकि सासाराम की सड़कों पर आकर देखा जाए, तो विकास के दावों की पोल खुल जाती है.