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दिल्ली चुनाव: बीजेपी को एक और झटका, अकाली दल के बाद जेजेपी ने भी किया मना

अकाली दल ने बीजेपी का साथ सीएए के मुद्दे पर छोड़ा है जबकि जेजेपी ने अपना चुनाव चिन्ह न मिल पाने की वजह से दिल्ली विधानसभा चुनाव से दूरी बना ली है.

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दिल्ली चुनावों में बीजेपी की दो सहयोगी पार्टियों ने किया किनारा (फोटो: PTI)
दिल्ली चुनावों में बीजेपी की दो सहयोगी पार्टियों ने किया किनारा (फोटो: PTI)

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  • अकाली दल के बाद दिल्ली में जेजेपी ने भी बीजेपी से कर लिया किनारा
  • दुष्यंत चौटाला ने मंगलवार को दिल्ली में चुनाव न लड़ने की घोषणा की

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की सहयोगी पार्टियां एक-एक कर उसका साथ छोड़ रही हैं. पहले बीजेपी के 21 साल पुराने सहयोगी अकाली दल का सुर बदला. उसके बाद अब हाल ही में साथ आई जननायक जनता पार्टी (JJP) ने भी चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. जेजेपी ने मंगलवार को चुनाव चिन्ह का हवाला देते हुए घोषणा की कि वह दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी.

दुष्यंत चौटाला ने की चुनाव न लड़ने की घोषणा

जेजेपी के मुखिया और हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से सलाह लेने के बाद निर्णय लिया गया है. दुष्यंत चौटाला ने कहा, "चुनाव न लड़ने का फैसला डॉ अजय सिंह चौटाला और पार्टी कार्यकर्ताओं सहित जेजेपी के सभी नेताओं से सलाह के बाद लिया गया है. चुनाव न लड़ने का सबसे बड़ा कारण मनमाफिक पार्टी सिंबल न मिलना था. हम पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ना चाहते थे. हमने तीन निशानों का सुझाव दिया था जो पहले से ही दूसरों को आवंटित किए गए थे. हमने कल (सोमवार) सुबह तक अपने स्तर पर काफी कोशिश की."

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चौटाला ने चुनाव न लड़ने की एक और वजह बताई

चौटाला ने चुनाव नहीं लड़ने का एक और कारण भी बताया कि उनके पास नई दिल्ली में पार्टी संगठन के विस्तार के लिए समय की काफी कमी है. दुष्यंत चौटाला ने कहा, "पार्टी संगठन का विस्तार एक दिन में नहीं किया जा सकता है. हरियाणा में विस्तार करने में एक वर्ष का समय लगा, जिसके परिणामस्वरूप 10 सीटों पर जीत मिली. दिल्ली चुनाव के लिए हमारे पास केवल 70 दिन थे."

अकाली दल के फैसले पर भी बोले दुष्यंत चौटाला

अकाली दल के फैसले को उनका आंतरिक मुद्दा बताते हुए दुष्यंत चौटाला ने कहा कि नागरिकता अधिनियम में संशोधन सताए गए अल्पसंख्यकों को लाभ पहुंचाने के लिए ही किया गया है. चौटाला ने आगे कहा, "जिन्होंने सीएए पढ़ा है, वे बता सकते हैं कि किसी भी भारतीय की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है. सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून हैं."

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अकाली दल ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया

आपको बता दें कि दिल्ली में अकाली दल और बीजेपी हमेशा से एक साथ मिलकर चुनाव लड़ते रहे हैं. इस बार अकाली दल ने सीएए के चलते दिल्ली विधानसभा चुनाव में नहीं लड़ने का फैसला किया था. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष और अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने मीडिया से कहा था कि सीएए पर स्टैंड बदलने की बजाय हमने विधानसभा चुनाव में नहीं उतरने का फैसला किया है.

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