दिल्ली की चर्चित विधानसभा सीटों में राजौरी गार्डन सीट की भी गिनती होती है. इस सीट के नाम देश में किसी विधानसभा के लिए सबसे कम उम्र का स्पीकर देने का रिकॉर्ड दर्ज है. बहरहाल, इस सीट से अभी भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़े शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा विधायक हैं. 2017 अप्रैल में हुए उप चुनाव में बीजेपी ने यह सीट आम आदमी पार्टी से छीनी थी.
आम आदमी पार्टी को झटका
असल में, मनजिंदर सिंह सिरसा से पहले यहां से आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह विधायक हुआ करते थे, लेकिन उनके इस्तीफे से खाली हुई सीट पर 2017 में हुए उप चुनाव में बीजेपी के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे अकाली नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की नेता मीनाक्षी चंदेला को 14652 मतों के अंतर से हराया था. आम आदमी पार्टी के हरजीत सिंह तीसरे नंबर पर रहे.
चुनावी वर्ष | विजयी सदस्य | पार्टी |
1993 | अजय माकन | कांग्रेस |
1998 | अजय माकन | कांग्रेस |
2003 | अजय माकन | कांग्रेस |
2004 (उपचुनाव) | रमेश लाम्बा | कांग्रेस |
2008 | दयानंद चंदेला | कांग्रेस |
2013 | मनजिंदर सिंह सिरसा | शिरोमणि अकाली दल |
2015 | जरनैल सिंह | आम आदमी पार्टी |
2017 (उपचुनाव) | मनजिंदर सिंह सिरसा | भारतीय जनता पार्टी |
2017 के उपचुनाव की हार को आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना गया क्योंकि 2015 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के उम्मीदवार जरनैल सिंह ने 54,916 वोटों यानी 46.55 फीसदी मतों के साथ जीत हासिल की थी. वहीं अकाली उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा 44,880 वोट (38.04 फीसदी वोट) पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे, लेकिन 2017 के उपचुनाव में उन्होंने बड़े अंतर से जीत हासिल की जबकि आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा और उनकी जमानत तक जब्त हो गई.
कांग्रेस के गढ़ में सेंध
राजौरी गार्डन सीट का चुनावी इतिहास बताता है कि दिल्ली विधानसभा के लिए 1993 में हुए पहले चुनाव में जनता ने कांग्रेस के युवा उम्मीदवार अजय माकन को चुना. अजय माकन 1993 से 2004 तक लगातार इस सीट से दिल्ली विधानसभा में प्रतिनिधित्व करते रहे. 2004 में वह लोकसभा सदस्य चुने गए और इस सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के ही रमेश लाम्बा चुने गए. फिर जब 2008 में विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस के दयानंद चंदेला ने जीत हासिल की मतलब लंबे समय तक यह सीट कांग्रेस का गढ़ बनी रही.
मिला सबसे कम उम्र का स्पीकर
इस सीट से विधायक रहते हुए अजय माकन 2003-04 तक दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रहे. अजय माकन मात्र ने 39 वर्ष की आयु में देश में सबसे कम उम्र का नौजवान विधानसभा स्पीकर बनने का रिकॉर्ड दर्ज किया था. वह 37 वर्ष की आयु में दिल्ली सरकार में सबसे युवा मंत्री रहे और ऊर्जा मंत्री, परिवहन एवं पर्यटन मंत्री के तौर पर 2001-03 तक कार्यभार संभाला.
केजरीवाल के सामने चुनौती
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष अपना सबसे मजबूत किला बचाने की प्रबल चुनौती है.
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पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतने वाले केजरीवाल का जादू इस बार चलेगा या नहीं इस पर पूरे देश की निगाहें हैं. केजरीवाल अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान विशेषकर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों को गिनाते हुए इस बार भी पूरे आत्मविश्वास में हैं जबकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पिछला करिश्मा दोहराना मुश्किल नजर आ रहा है.
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वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही ‘AAP’ का गठन हुआ था और उस चुनाव में दिल्ली में पहली बार त्रिकोणीय संघर्ष हुआ जिसमें 15 वर्ष से सत्ता पर काबिज कांग्रेस 70 में से केवल आठ सीटें जीत पाई जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार बनाने से केवल चार कदम दूर अर्थात 32 सीटों पर अटक गई. ‘आप’ को 28 सीटें मिली और शेष दो अन्य के खाते में रहीं.
बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के प्रयास में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया और केजरीवाल ने सरकार बनाई. लोकपाल को लेकर दोनों पार्टियों के बीच ठन गई और केजरीवाल ने 49 दिन पुरानी सरकार से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा और फरवरी 2015 में आम आदमी पार्टी ने सभी राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को झुठलाते हुए 70 में से 67 सीटें जीतीं. बीजेपी तीन पर सिमट गई जबकि कांग्रेस की झोली पूरी तरह खाली रह गई.