दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई. दिल्ली के जामनगर हाउस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से अपना पर्चा दाखिल किया. बीजेपी के उम्मीदवार सुनील यादव और कांग्रेस के रमेश सभरवाल ने भी केजरीवाल के खिलाफ पर्चा दाखिल किया.
इस बीच, नामांकन का आखिरी दिन बेहद दिलचस्प रहा. नामांकन अजीबोगरीब हुए. केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर नई दिल्ली से खड़े हुए रमेश सभरवाल ट्रैफिक जाम के चलते नामांकन के लिए लेट होते-होते बचे. नेताजी दौड़ते दौड़ते नामांकन केंद्र पर पहुंचे.
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दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल तो दोपहर के 12:00 बजे ही जामनगर हाउस पहुंच गए लेकिन शाम के 4:00 बजे तक भी नामांकन पूरा नहीं हो पाया था. इससे पहले केजरीवाल सोमवार को रोड शो के चलते नामांकन केंद्र समय से नहीं पहुंच पाए.
मुख्यमंत्री को नामांकन केंद्र में जाने दिया गया तो वहां पहले से ही मौजूद प्रदर्शनकारियों ने हंगामा कर दिया. 72 साल के रामवीर सिंह निर्दलीयों का नामांकन कराने पहुंचे थे. रामवीर सिंह कहते हैं कि हम अंग्रेजों वाली व्यवस्था बदलेंगे, लेकिन उन्हें यही नहीं पता कि दिल्ली में सीटें कितनी हैं.
अनजान आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी वालों ने पर्चा भरा, बीजेपी वालों ने भी पर्चा भरा, लेकिन नामांकन केंद्र पर अनजान आदमी पार्टी वाले भी मिल गए. यह इतने अनजान थे कि इनको यही नहीं पता कि उम्मीदवार कौन है और कौन सी सीट पर लड़ रहे हैं. अनजान आदमी पार्टी के कार्यकर्ता से जब हमने पूछा तो कहा कि एक सीट दिल्ली और दूसरी बिजनौर है. यह और बात है कि बिजनौर उत्तर प्रदेश में है और वहां फिलहाल कोई चुनाव नहीं होना है.
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जामनगर हाउस में ही दिल्ली कैंट विधानसभा क्षेत्र के लिए भी नामांकन होता है. इस सीट से 5 साल आम आदमी पार्टी के विधायक कमांडो सुरेंद्र रहे हैं, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है. कमांडो सुरेंद्र अब एनसीपी के टिकट पर दिल्ली कैंट से चुनाव लड़ रहे हैं. कमांडो का कहना है कि वह हर पार्टी के उम्मीदवार हैं.
दिल्ली कैंटोनमेंट इलाका फौजियों का है. इसीलिए कमांडो सुरेंद्र के साथ-साथ कई और फौजी भी पर्चा दाखिल करने आए. निर्दलीय के तौर पर पर्चा दाखिल करने आए इन फौजी से सुनिए. कहते हैं कि व्यवस्था बदलनी है.
पापा हर प्रॉमिस पूरा करते हैं...
ग्रेटर कैलाश से आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज भी जामनगर हाउस से पर्चा भरने आए. साथ में पत्नी और बेटी नायरा भी थीं. पत्नी ने कहा कि चुनाव आगे नहीं लड़ना है, लेकिन बेटी कहती है कि पापा हर प्रॉमिस पूरा करते हैं.
इस तरह कुल मिलाकर नामांकन का आखिरी दिन पूरा हुआ और दिल्ली चुनाव के आखिरी चरण का बिगुल बज गया. अब चुनाव प्रचार होंगे, रैलियां होंगी, शब्दों के तीर चलेंगे और उसके बाद 8 तारीख को ईवीएम पर बटन दबेगा.