दिल्ली विधानसभा चुनाव के सियासी इतिहास में पहली बार रिकॉर्ड नामांकन किए गए हैं, लेकिन आधे से ज्यादा नामांकन पत्र खारिज हो गए हैं. दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर 1,029 उम्मीदवारों ने 1,528 नामांकन पत्र दाखिल किए जिनमें से 698 नामांकन वैध पाए गए हैं और बाकी पर्चों को अवैध करार देते हुए चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया. इनमें से 615 पुरुष और 83 महिला उम्मीदवार शामिल हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिए 14 जनवरी से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हुई जो 21 जनवरी तक चली. इस दौरान दिल्ली की सभी 70 सीटों के लिए 800 पर्चे नामांकन के आखिरी दिन 21 जनवरी दाखिल किए गए थे. वहीं, कुल 1528 पर्चे भरे थे, जिनमें 821 पुरुष और 188 महिला उम्मीदवार शामिल थीं. नामांकन पत्रों की जांच के बाद 311 उम्मीदवारों के 1029 नामांकन पत्र खारिज हो गए.
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दिल्ली के सभी 70 सीटों के के लिए कुल 1,528 नामांकन पत्रों की जांच के बाद 698 पर्चे वैध पाए गए जबकि 830 अवैध पाए गए जिन्हें खारिज कर दिया है. नामांकन पत्र वापस लेने की आज यानी शुक्रवार को आखिरी दिन है. ऐसे में अगर कुछ प्रत्याशी अपने पर्चे वापस लेते हैं तो यह आंकड़ा कम हो सकता है.
1993 में सबसे ज्यादा नामांकन
बता दें कि दिल्ली में पहली बार 1993 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में सभी कुल 1316 लोगों ने नामांकन किया था, जिसमें 1257 पुरुष और 59 महिलाएं शामिल थीं. ये अब तक का सबसे ज्यादा कैंडिडेट के नामांकन पर्चा भरने का रिकॉर्ड था, जो इस बार टूट गया है.
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दिल्ली में दूसरी बार 1998 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में सभी 70 सीटों के लिए कुल 1052 प्रत्याशियों ने नामांकन किया. इसमें 977 पुरुष और 75 महिलाएं शामिल थीं. इसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में 1001 लोगों ने नामांकन पत्र दाखिल किए थे. इनमें 897 पुरुष और 104 महिला कैंडिडेट शामिल थे.
2015 में सबसे कम नामांकन
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2008 में 1134 नामांकन पत्र किए गए थे. इसमें 1000 पुरुष और 134 महिलाएं शामिल थीं. इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में कुल 1120 लोग मैदान में किस्मत आजमाने उतरे थे, जिनमें 964 पुरुष और 156 महिलाएं शामिल थीं. दिल्ली में सबसे कम कैंडिडेट 2015 के विधानसभा चुनाव में उतरे थे. 2015 के चुनाव में कुल 70 सीटों के लिए कुल 935 लोगों ने नामांकन किया था, जिनमें 790 पुरुष और 144 महिलाएं मैदान में उतरी थीं.