बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बदले हुए सियासी समीकरण में अपनी राजनीतिक दशा और दिशा साफ कर दी है. नीतीश की छवि अभी तक ऐसे नेता की रही थी जो बीजेपी के साथ गलबहियां करते हुए धर्मनिरपेक्षता की राजनीति किया करते थे, लेकिन अब उन्होंने बदले हुए समीकरण में बीजेपी के एजेंडे के साथ आगे चलने का फैसला कर लिया है.
इसी का नतीजा है कि नीतीश कुमार ने सीएए पर सवाल खड़े करने वाले अपने दो नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है जबकि जेडीयू के ये दोनों नेता उनके करीबी माने जाते थे. बीजेपी दिल्ली में जेडीयू के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी है और अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ नीतीश कुमार मंच साझा करेंगे और पहली बार चुनावी रैली को संबोधित करेंगे.
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बिहार से बाहर जेडीयू पहली बार लंबे अरसे के बाद बीजेपी के साथ मिलकर दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रही है. बीजेपी ने जेडीयू को दिल्ली में बुराड़ी और संगम विहार दो विधानसभा सीटें दी हैं. इनमें से संगम विहार सीट पर बीजेपी के पूर्व विधायक डॉ. सीएल गुप्ता जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और दूसरी बुराड़ी सीट पर शैलेंद्र कुमार गठबंधन के प्रत्याशी हैं.
शाह के साथ नीतीश की साझा रैली
अमित शाह दिल्ली में हिंदुत्व के मुद्दे को धार देने में जुटे हैं. सीएए-एनआरसी के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन पर अमित शाह लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. शाह की छवि बीजेपी में एक कट्टर हिंदुत्व नेता के तौर पर बनी है. ऐसे में नीतीश कुमार अमित शाह के साथ दिल्ली में मंच साझा करेंगे और दो फरवरी को दिल्ली के बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र में एक संयुक्त रैली को संबोधित करेंगे. इसके अलावा नीतीश बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ संगम विहार में प्रचार करेंगे.
नीतीश कुमार दिल्ली में चुनावी समर में अमित शाह के साथ उतरकर बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कवायद करेंगे. इस तरह से नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक लकीर भी खीचेंगे. माना जा रहा है कि नीतीश के बीजेपी नेताओं के साथ चुनाव प्रचार करने में दिल्ली में दोनों दलों के लिए संभावना बढ़ेगी और बिहार में गठबंधन में मिठास आएगी. इसका का सीधा असर साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में पड़ेगा.
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नागरिकता संशोधन कानून पर नीतीश कुमार की पार्टी बीजेपी के साथ खड़ी रही है और संसद में इस कानून के समर्थन में जेडीयू के सांसदों ने वोट भी किया था. हालांकि इससे पहले नीतीश कुमार बीजेपी से अलग स्टैंड लेते रहे थे. तीन तलाक और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने पर जेडीयू ने बीजेपी का साथ नहीं दिया था. ऐसे में सीएए पर जिस तरह के नीतीश कुमार ने स्टैंड लिया, इस मुस्लिम समुदाय ही नहीं बल्कि जेडीयू नेता भी आश्चर्य चकित थे.
सीएए पर विरोध करने वाले नेताओं को किया बाहर
सीएए-एनआरसी के खिलाफ जेडीयू नेता प्रशांत किशोर और आलोक वर्मा लगातार आवाज उठा रहे थे. इन दोनों नेताओं ने बीजेपी ही नहीं बल्कि नीतीश कुमार के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था. प्रशांत किशोर ने कहा था, 'पूरे देश में एनआरसी लागू करने का विचार नागरिकता के मामले में नोटबंदी के सामान है. इससे सबसे ज्यादा पीड़ित गरीब और हाशिए पर रह रहे लोग होंगे.'
वहीं, अलोक वर्मा ने कहा था कि नीतीश कुमार को इस मामले में अपना स्टैंड साफ करना चाहिए. नीतीश कुमार ने बुधवार को अपने इन दोनों नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इससे साफ हो गया है कि नीतीश कुमार ने अब धर्मनिरपेक्षता की सियासत के बजाय बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे के साथ मिलकर चलने का फैसला किया है. ऐसे में जेडीयू के कई मुस्लिम नेता भी नीतीश के बदले हुए तेवर से आश्चर्य चकित हैं.