बैडमिंटन के जरिए दुनिया भारत का नाम रोशन करने वाली साइना नेहवाल ने राजनीतिक पारी का आगाज किया है. दिल्ली विधानसभा चुनाव संग्राम के बीच साइना नेहवाल ने बुधवार को बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अरुण सिंह ने साइना और उनकी बड़ी बहन चंद्रांशु नेहवाल को पार्टी की सदस्यता दिलाई.
बीजेपी का दामन थामने वाली साइना नेहवाल ने कहा कि आज अच्छा दिन है. मैंने कई खिताब जीते हैं, लेकिन आज मैं ऐसी पार्टी में शामिल हो रही हूं, जो देश के लिए इतना अच्छा काम कर रही है. मैं मेहनती खिलाड़ी हूं और मुझे उन लोगों के साथ काम करना पसंद है जो कड़ी मेहनत करते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती हैं. मुझे खुशी है कि मैं बीजेपी का हिस्सा बनी हूं, जो देश के लिए काम कर रही है. मुझे उम्मीद है कि मैं पार्टी की उम्मीदों पर खरी उतरूंगी.
भारतीय बैडमिंटन को नई ऊंचाइयों पर ले जानी वाली स्टार खिलाड़ी साइना नेहवाल अब सियासत में किस्मत आजमाने उतरी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित होकर राजनीतिक में कदम रखा है. उनका हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सियासी कनेक्शन है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी के लिए बड़ा चेहरा बन सकती हैं और पार्टी के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकती हैं.
साइना नेहवाल का जन्म 17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में एक जाट परिवार में हुआ था. साइना के पिता हरवीर सिंह नेहवाल हरियाणा के हिसार एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में साइंटिस्ट थे, इनकी मां उषा रानी राज्य की बैडमिंटन खिलाड़ी थीं. हालांकि साइना के पिता मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत के रहने वाले हैं. वह हिसार में नौकरी करते थे. इस तरह से साइना का उत्तर प्रदेश और हरियाणा दोनों राज्य से रिश्ता है.
साइना के पिता हरियाणा से हैदराबाद शिफ्ट हो गए तो साइना ने अपनी स्कूल की पढ़ाई हिसार से ही शुरू की, लेकिन अपने पिता के ट्रांसफर के चलते उन्हें कई बार स्कूल बदलने पड़े. साइना ने 12वीं हैदराबाद के सेंट एनएस कॉलेज से किया था. बैडमिंटन की प्रतिभा साइना को उनके माता पिता से विरासत में मिली थी.
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साइना को छोटी सी उम्र में ही बैडमिंटन से लगाव हो गया था. आठ साल की उम्र में ही साइना के पिता ने उन्हें बैडमिंटन सिखाने का फैसला कर लिया था, वे उन्हें हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम ले गए, जहां साइना कोच 'नानी प्रसाद' के अंडर में बैडमिंटन सिखने लगीं. इसके बाद से साइना ने पलटकर नहीं देखा और कामयाबी की बुलंदियों को छुआ और दुनिया भर में भारत का नाम रोशन किया.
साइना की सियासत में ऐसे समय एंट्री हुई है जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव का सियासी पारा गर्म है. साइना जाट समुदाय से आती हैं. दिल्ली में करीब आठ फीसदी जाट समुदाय बाहरी दिल्ली की 10 सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. ऐसे में साइना को बीजेपी दिल्ली चुनाव प्रचार में उतारकर जाट समुदाय को साधने का दांव चल सकती है.
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इसके अलावा यूपी और हरियाणा में भी जाट मतदाता काफी अहम हैं. हरियाणा के चुनाव में बीजेपी को जाटों की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा है, जिसके चलते पार्टी के कई जाट नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा है. इसीलिए बीजेपी को जेजेपी से मिलकर सरकार बनानी पड़ी है. पश्चिमी यूपी की 7 लोकसभा और दो दर्जन विधानसभा सीटें जाट बहुल इलाके में आती हैं. हालांकि जाट समुदाय के बीच साइना को अपनी पहचान स्थापित करनी पड़ेगी, क्योंकि बहुत सारे लोग इस बात से वाकिफ नहीं हैं कि वह जाट समाज से आती हैं.