आजतक-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल दिल्ली में आम आदमी पार्टी की धमाकेदार वापसी का संकेत दे रही है. अगर ये एग्जिट पोल सही साबित हुए तो अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार दिल्ली के सीएम बनेंगे. एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी दिल्ली की 70 सीटों में से 59 से 68 सीटें पाती दिख रही हैं. वहीं बीजेपी के खाते में 2 से 11 सीटें जाती दिख रही हैं. दिल्ली में लगातार 15 सालों तक राज करने वाली कांग्रेस पिछले बार की तरह ही इस बार भी दिल्ली में अपना खाता नहीं खोल पाएगी.
अगर अरविंद केजरीवाल एग्जिट पोल के आकलन के मुताबिक ही फिर से दिल्ली विजय कर लेते हैं तो उनकी शख्सियत और आभामंडल में व्यापक इजाफा होगा. अरविंद केजरीवाल इस बात को साबित कर पाने में सफल होंगे कि वोट और कल्याणकारी राजनीति को साथ-साथ लेकर चला जा सकता है.
AAP के मोदी बनने की राह पर केजरीवाल
केजरीवाल इस जीत के साथ ही आम आदमी पार्टी के नरेंद्र मोदी बनने की राह पर हैं. AAP के लिए इस राजनीतिक घटनाक्रम का अपना नफा-नुकसान है. इसका फायदा ये है कि केजरीवाल अकेले दम पर अपनी पार्टी को अपने मुताबिक चला सकते हैं. नुकसान ये है कि केजरीवाल की पार्टी में कोई दूसरा ऐसा नेता नहीं है जो उनकी लोकप्रियता के आस-पास आ सके.
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एग्जिट पोल से ये निष्कर्ष सामने आया है कि कई सीटों पर लोग आप विधायक से नाराज थे, लेकिन वे केजरीवाल की वजह से AAP को वोट देना चाहते हैं. आजतक-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के इस आंकड़ों के मुताबिक केजरीवाल को इस वक्त दिल्ली में सबसे ज्यादा 54 फीसदी लोग सीएम कैंडिडेट के रूप में देखना चाहते हैं.
सिसोदिया को 2 फीसदी लोग चाहते हैं CM के रूप में चाहते हैं
जबकि मात्र 2 फीसदी लोग मनीष सिसोदिया को बतौर सीएम देखना चाहते हैं. यहां पर सीएम पद के लिए केजरीवाल-सिसोदिया के सामने लोगों को विकल्प के रूप में मनोज तिवारी, हर्षवर्धन, अजय माकन, विजय गोयल, परवेश वर्मा और रमेश विधुड़ी को विकल्प के रूप में दिया गया था. मनोज तिवारी को 21 फीसदी, हर्षवर्धन को 10 फीसदी, अजय माकन को 4 प्रतिशत विजय गोयल को 2 प्रतिशत, परवेश वर्मा को 1 प्रतिशत और रमेश विधुड़ी को 1 फीसदी लोगों ने सीएम के रूप में चुनना चाहते हैं.
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बता दें कि इस एग्जिट पोल में जब पूछा गया कि चुनाव में वोट डालते समय उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा क्या था? तो 37 फीसदी लोगों ने विकास को अपना मुद्दा बताया जबकि 17 फीसदी लोगों के लिए महंगाई और 14 फीसदी लोगों के लिए बेरोजगारी कारण था. 3 फीसदी लोगों ने वोट करते वक्त केजरीवाल को ध्यान में रखा तो 2 फीसदी लोगों ने मोदी को बजह बताया.